कृषि विभाग ने यह अभियान शुरू किया है।
कृषि विभाग ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए अभियान शुरू किया है। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को रासायनिक खाद की जगह जैव उर्वरकों का उपयोग करने के लिए प्रेरित करना है।
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जबलपुर जिले के सहायक संचालक कृषि रवि आम्रवंशी ने बताया कि जिले में तीनों सीजन में कुल 6 लाख 30 हजार हेक्टेयर में खेती होती है। किसान प्रति हेक्टेयर औसतन 244 किलोग्राम रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल करते हैं। कुल मिलाकर सालाना 1 लाख 54 हजार मैट्रिक टन रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल होता है।
विभाग के अनुसार रासायनिक खाद का अधिकतर हिस्सा बेकार जाता है। नाइट्रोजन उर्वरक का केवल 40-50% हिस्सा ही पौधे उपयोग कर पाते हैं। बाकी या तो जमीन की निचली सतह में चला जाता है या वाष्प बनकर उड़ जाता है। इसी तरह फास्फोरस उर्वरक का महज 20-25% हिस्सा ही पौधों को मिल पाता है।
जैविक उर्वरकों के उपयोग से उत्पादन प्रभावित किए बिना रासायनिक खाद की खपत 30-40% तक कम की जा सकती है। इससे न केवल किसानों की लागत कम होगी, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहेगी। जैविक उर्वरक सस्ते होने के साथ-साथ रासायनिक उर्वरकों की क्षमता को भी बढ़ाते हैं।
कृषि विभाग का मानना है कि वर्तमान में खेती पूरी तरह रासायनिक उर्वरकों पर निर्भर हो गई है। पीक सीजन में इनकी उपलब्धता की समस्या भी रहती है। ऐसे में जैविक उर्वरकों का उपयोग एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।
क्या है जैविक खाद
जैविक खाद, प्राकृतिक पदार्थों से बनी खाद होती है। इसमें किसी तरह के रासायनिक तत्वों का इस्तेमाल नहीं किया जाता। जैविक खाद को कम्पोस्ट खाद भी कहते हैं। यह पौधों की वृद्धि के लिए बहुत फायदेमंद होती है।