Last Updated:
Neem Karoli Baba Train Story: नीम करौली बाबा को एक बार बिना टिकट ट्रेन से उतार दिया गया. ट्रेन नहीं चली तब अधिकारियों ने माफी मांगकर बाबा को वापस बुलाया. बाबा के चढ़ते ही ट्रेन चल पड़ी और गांव में स्टेशन बना.
नीम करौली बाबा को कोच से उतारने पर हुआ चमत्कार
हाइलाइट्स
- नीम करौली बाबा ने ट्रेन को रोकने का चमत्कार किया.
- बाबा की शर्त पर गांव में रेलवे स्टेशन बनाया गया.
- रेलवे अधिकारियों ने बाबा से माफी मांगी और ट्रेन चली.
Neem Karoli Baba Train Story: नीम करौली बाबा, एक प्रसिद्ध हिंदू संत और हनुमान भक्त थे. उनके भक्त उन्हें महाराज जी कहकर बुलाते थे. उनका असली नाम लक्ष्मण नारायण शर्मा था. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद ज़िले में हुआ था. नीम करौली बाबा ने अपने जीवन में कई चमत्कार किए, लेकिन एक चमत्कार जो सबसे प्रसिद्ध हुआ, वह था ट्रेन को रोक देना. यह घटना सिर्फ बाबा की चमत्कारी शक्ति को नहीं दर्शाती, बल्कि उनकी करुणा और सबके भले की भावना को भी दिखाती है. आइए जानते हैं ट्रेन रोक देने वाली इस चमत्कारी घटना के बारे में.
ट्रेन वाली चमत्कारी घटना
यह बात बाबा के युवावस्था की है, जब वे लगभग 28-30 वर्ष के रहे होंगे. एक दिन वे ट्रेन के फर्स्ट क्लास डिब्बे में यात्रा कर रहे थे. एक टिकट चेकर को यह बात पसंद नहीं आई कि एक साधु फर्स्ट क्लास में बैठे हैं. उसने गुस्से में आकर ट्रेन की इमरजेंसी ब्रेक खींच दी और बाबा को ट्रेन से उतरवा दिया. ट्रेन जहां रुकी थी, वह जगह बाबा का ही गांव था नीम करौली. बाबा चुपचाप पास के एक पेड़ के नीचे बैठ गए. इधर ट्रेन का ड्राइवर और गार्ड ट्रेन को दोबारा चलाने की कोशिश करने लगे, लेकिन ट्रेन एक इंच तक नहीं हिली.
ये भी पढ़ें- May 2025 Shubh Din: क्या आपके घर आने वाला है नन्हा मेहमान? मई 2025 में ये हैं मूलांक-भाग्यांक का श्रेष्ठ संयोग !
ट्रेन चालू क्यों नहीं हुई?
रेलवे के इंजीनियर और अधिकारी ट्रेन में तकनीकी खराबी ढूंढते रहे, लेकिन कुछ भी गलत नहीं मिला. ट्रेन चलाने की हर कोशिश नाकाम रही. वहीं के एक स्थानीय अधिकारी ने रेलवे वालों से कहा कि अगर महाराज जी को दोबारा ट्रेन में बैठा दिया जाए, तो ट्रेन चल सकती है. कई घंटों की नाकाम कोशिशों के बाद वे बाबा के पास पहुंचे.
बाबा की दो शर्तें और समाधान
रेलवे अधिकारियों ने माफी मांगी और बाबा से दोबारा ट्रेन में बैठने की प्रार्थना की. बाबा मुस्कराए और कहा, “मैं ट्रेन में चढ़ूंगा, लेकिन मेरी दो शर्तें हैं”. पहला नीम करौली गांव में एक रेलवे स्टेशन बनाया जाए, ताकि गांव वालों को दूर नहीं जाना पड़े. आगे से किसी भी साधु-संत के साथ ऐसा अपमानजनक व्यवहार न हो. अधिकारियों ने शर्तें मान लीं, इसके बाद बाबा के चढ़ते ही ट्रेन चल पड़ी.
ये भी पढ़ें- Mool Nakshtra May 2025: मई 2025 में कब लग रहा है मूल नक्षत्र? इसमें जन्मी संतान पर लगता है दोष !
बनाया गया रेलवे स्टेशन
बाबा की शर्त के अनुसार, नीब करौली गांव में स्टेशन बना दिया गया और साधुओं के प्रति रेलवे अधिकारियों का व्यवहार बदल गया. यह घटना सिर्फ एक चमत्कार नहीं थी, बल्कि एक ऐसा पल था जिसने सैकड़ों लोगों की सोच को बदल दिया.