जशपुर में वशिष्ठ कम्युनिटी हॉल में गुरुवार को कटहल मेले का आयोजन किया गया। जिला प्रशासन और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की इस पहल का उद्देश्य किसानों और ग्रामीण महिला समूहों को सशक्त बनाना था।
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मेले में 36.63 किलो के विशाल कटहल के लिए किसान त्रिलोचन सिंह को प्रथम पुरस्कार मिला। कार्यक्रम में ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत अतिथियों को कटहल का पौधा और स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। प्रकृति सेवा संस्थान, बिलासपुर ने तकनीकी सहयोग प्रदान किया।
36.63 किलो के विशाल कटहल के लिए किसान त्रिलोचन सिंह को प्रथम पुरस्कार मिला
कटहल जशपुर की पहचान- विधायक
विधायक रायमुनी भगत ने कहा कि कटहल जशपुर की पहचान है। यह किसानों की आजीविका का मजबूत आधार बन सकता है। उन्होंने बताया कि पूर्वजों द्वारा कटहल को सुखाकर साल भर उपयोग किया जाता था। खाद्य संकट के समय यह पोषण का प्रमुख स्रोत होता था।
कलेक्टर रोहित व्यास ने कटहल के पोषण मूल्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह विटामिन सी, ए, मैग्नीशियम, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है। यह वजन कम करने, इम्यूनिटी बढ़ाने, डायबिटीज नियंत्रण और हृदय स्वास्थ्य में लाभदायक है।
जिले में महिला समूहों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वे कटहल से अचार, पापड़, चिप्स जैसे उत्पाद बना रही हैं। इन उत्पादों का विपणन स्थानीय बाजारों में किया जाएगा। कार्यक्रम में कटहल की खेती, प्रसंस्करण और पोषण संबंधी विस्तृत जानकारी दी गई।
कटहल से बने अचार, पापड़, चिप्स, जैम और अन्य खाद्य उत्पादों की प्रदर्शनी।
सबसे भारी कटहल के लिए मिला पुरस्कार
मेले में किसानों द्वारा लाए गए सबसे बड़े और लंबे कटहलों की प्रतियोगिता में त्रिलोचन सिंह (कुरमीटिकरा, पत्थलगांव) को उनके 36.63 किलो के कटहल के लिए प्रथम पुरस्कार 5001 मिला। वही फलिन्दर सिंह (जुरतेला) को 28.07 किलो कटहल के लिए 3001 और चिंता सिंह (जुरगुम) को 26.71 किलो कटहल के लिए ₹2001 का तृतीय पुरस्कार मिला।
कटहल मेला, जशपुर में कलेक्टर और विधायक।
उत्पादों की प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केंद्र
मेले में कटहल से बने अचार, पापड़, चिप्स, जैम और अन्य खाद्य उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई, जिसे प्रतिभागियों और दर्शकों ने खूब सराहा। कृषि विशेषज्ञों ने कटहल के औषधीय और पोषण गुणों की जानकारी भी दी।
इस आयोजन में कृषि महाविद्यालय एवं उद्यानिकी महाविद्यालय कुनकुरी, कृषि विज्ञान केंद्र, वन विभाग, नाबार्ड पोषित रीड्स संस्था, और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत सभी विकासखंडों के संकुल संगठनों की महिला समूहों ने सक्रिय भागीदारी की।