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झांसी में ट्रक से सफर कर रहे युवक की मौत: पिता बोले-पुलिस ने कहा एक्सीडेंट हुआ है, पर कैसे और किससे हुआ ये नहीं बता रहे – Jhansi News


झांसी के मोठ थाना क्षेत्र में युवक की लाश मिली है। पिता को बेटे की मौत की जानकारी पुलिस से मिली तो वह झांसी पहुंचे। यहां पुलिस ने बताया कि युवक की ट्रक एक्सीडेंट में मौत हुई है। लेकिन पिता को इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा है। बोले,बेटा जिस ट्रक में स

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दरअसल, हमीरपुर जिले के मनकी खुर्द थाना कुरारा का रहने वाला 30 साल का आशाराम महाराष्ट्र के पुणे में टेक्सटाइल कंपनी में काम करता था। वह 12 दिन पहले चचेरी बहन की शादी में हमीरपुर आया था। आशाराम के पिता छोटे लाल निषाद ने बताया कि 16 जून को बेटा झांसी आने के लिए भोगनीपुर से एक ट्रक में सवार हुआ था। उसके साथ भतीजी का पति विनय कुमार भी था। दोनों को झांसी से पुणे के लिए ट्रेन पकड़नी थी। उन्होंने बताया कि रात को उनके पास मोठ थाने से फोन आया कि उनके बेटे की सड़क हादसे में मौत हो गई है। उनका लहना है कि जब वह झांसी पहुंचे तो थाने में उनके रिश्तेदार को पुलिस ने बिठा रखा था। वहीं, बेटे का शव पोस्टमॉर्टम के लिए मेडिकल कॉलेज भेजा जा चुका था। आरोप है कि जब उन्होंने पुलिस से पूरा घटनाक्रम जानने की कोशिश की तो उन्हें वहां से भगा दिया गया। छोटे लाल ने बताया कि वह उस जगह भी गए जहां एक्सीडेंट होना बताया जा रहा है। लेकिन मौके पर न वह ट्रक था, जिसमें आशाराम बैठा था और न ही वह वाहन था, जिससे बेटे की मौत हुई है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब बेटे की मौत एक्सीडेंट से हुई है तो वह वाहन कहां गए, जो जानलेवा टक्कर से क्षतिग्रस्त हुए हैं।

बोले-दामाद डरा हुआ है, कुछ भी नहीं बता रहा

मृतक आशाराम के पिता ने कहा कि बेटे के साथ जो दामाद विनय कुमार था, वह बुरी तरह डरा हुआ है। उससे हमनें कई बार घटना के बारे में जानकारी करना चाही लेकिन वह कुछ भी नहीं बता पा रहा। उन्होंने ये भी कहा कि पुलिस ने दामाद को थाने में बिठा कर क्यों रखा, जब उसकी कोई गलती नहीं थी।

15 साल की उम्र में चला गया था पुणे

मृतक आशाराम के पिता ने बताया कि वह उनका बड़ा बेटा था, उसी के कंधों पर परिवार की जिम्मेवारी थी। वह बीमार रहने के चलते कुछ काम नहीं कर पाते थे। इसलिए बेटे ने 15 साल की उम्र से ही काम करना शुरू कर दिया था। बताया कि वह 14 साल से सूरत में रहकर काम करता था। वहीं, उनका छोटा बेटा विशाल गांव में ही गोलगप्पे का ठेला लगाता है। आशाराम का एक 4 साल का बेटा संस्कार है। उसकी पत्नी गर्भवती है। बेटे की मौत से घर में कोहराम मच गया है।



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