जैन धर्मावलंबियों के झारखंड में स्थित पवित्र स्थल पारसनाथ पहाड़ी को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में दायर पीआईएल पर चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति दीपक रोशन की खंडपीठ में सुनवाई हुई।
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सुनवाई के बाद अदालत ने अंतरित आदेश जारी करते हुए कहा कि पारसनाथ पवित्रता को बनाए रखें। इसे लेकर अदालत ने राज्य सरकार को 2019 की अधिसूचना और 2023 के कार्यालय ज्ञापन को लागू करने के लिए कहा है।
चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति दीपक रोशन की खंडपीठ ने दिए आदेश
2023 के कार्यालय ज्ञापन में यह कहा गया था कि पारसनाथ पहाड़ी जैन समुदाय के लिए पवित्र स्थल है। इससे इनकार नहीं किया जा सकता। यहां पर्यटन, शराब और मांसाहार भोजन पर प्रतिबंध लगाया जाए।
होमगार्ड की संख्या बढ़ाने का निर्देश
सुनवाई के बाद दिए आदेश में हाई कोर्ट ने गिरिडीह एसपी को निर्देश दिया है कि वह पारसनाथ पहाड़ी पर होमगार्ड की संख्या बढ़ाए। खंडपीठ ने गिरिडीह के डालसा (DLSA) सचिव को प्रार्थी और प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने के बाद पारसनाथ पहाड़ी का दौरा करने का निर्देश दिया है।
इस दौरान करने के पीछे का मकसद यह पता लगाना है कि पारसनाथ पहाड़ी पर स्कूल/आंगनबाड़ी मौजूद है या नहीं। क्या इस पर कोई खनन गतिविधि चल रही है। पारसनाथ पहाड़ी पर कितनी संरचनाएं बनाई गई हैं।
पारसनाथ पहाड़ को लेकर आदिवासियों और जैन समुदाय के बीच मतभेद है।
क्या उचित निर्माण की अनुमति दिए जाने के बाद ऐसी संरचनाओं को कानूनी रूप से बनाया गया है। प्रतिवादियों को इस संबंध में डालसा सचिव को दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे ताकि उक्त अधिकारी मामले की पुष्टि कर सकें। अब इस मामले की सुनवाई 21 जुलाई को होगी।
सुनवाई में इन्होंने रखा अपना-अपना पक्ष
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डेरियस खंबाटा, वरिष्ठ अधिवक्ता पर्सिवल बिलिमोरिया के साथ-साथ अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा, भाविक लालन, खुशबू कटारुका, विधि शाह और शुभम कटारुका ने पक्ष रखा। वहीं राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन, पीयूष चित्रेश आदि ने पैरवी की।
पर्यटन स्थल नहीं बल्कि धार्मिक तीर्थस्थल बनाना चाहते हैं
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि पारसनाथ पहाड़ी को एक वाणिज्यिक पर्यटन स्थल के रूप में वे विकसित नहीं करना चाहते, बल्कि वे झारखंड पर्यटन नीति, 2021 के अनुसार इसे धार्मिक तीर्थस्थल के रूप में विकसित करना चाहते हैं।
राज्य ने आगे तर्क दिया कि उसका जैन समुदाय या किसी अन्य समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं है। होटल या रिसॉर्ट आदि जैसी व्यवसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देकर राजस्व बढ़ाने का भी उसका कोई इरादा नहीं है। वह पारसनाथ को एक व्यवसायिक पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा नहीं देंगे या वहां पारंपरिक पर्यटन गतिविधियों की अनुमति नहीं देगा।
पारसनाथ पहाड़ पर हुए निर्माण की जांच करने को झारखंड हाइकोर्ट ने कहा है।
अदालत ने स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा
खंडपीठ ने सुनवाई के बाद डालसा सचिव और अन्य प्रतिवादियों को निर्देशों को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया है। बता दें कि जैन संस्था ज्योत की ओर से पीआईएल दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि पारसनाथ पहाड़ जैन धर्मावलंबियों का पवित्र स्थल है।
वहां कई सालों से शराब और मांस की बिक्री होती है। अतिक्रमण भी किया जा रहा है। राज्य सरकार इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रही है। केंद्र सरकार के वन पर्यावरण और क्लाइमेट चेंज मंत्रालय ने अधिसूचना जारी की थी। मंत्रालय ने माना है कि पारसनाथ पहाड़ी पर जो भी कार्य किया जाए वह जैन धर्म और लोगों की भावना को ध्यान में रखकर किया जाए।
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सम्मेद शिखर विवाद भाजपा का हिडेन एजेंडा:झारखंड के CM बोले- जैन-आदिवासियों को लड़ाने की साजिश; मरांग बुरु हमारा था, हमारा रहेगा
झारखंड के पारसनाथ पहाड़ पर स्थित जैन तीर्थ सम्मेद शिखर विवाद भाजपा का हिडेन एजेंडा है। वे जैन और आदिवासी समाज के लोगों को लड़ाने की साजिश रच रहे हैं। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह आरोप लगाया है। सोरेन ने संताली भाषा में कहा कि मरांग बुरु हमारा था… हमारा है और हमारा रहेगा। आप लोग निश्चिंत रहें।
सोरेन बुधवार को गिरिडीह में आयोजित खतियानी जोहार यात्रा में बोल रहे थे। बता दें कि सम्मेद शिखर भी गिरिडीह जिले में ही पड़ता है। जैन समाज के देशभर में प्रदर्शन के बाद 10 जनवरी को आदिवासी समाज के लोगों ने भी इस तीर्थ क्षेत्र पर अपना अधिकार जताते हुए प्रदर्शन किया था। इसका नेतृत्व सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने किया था। पूरी खबर यहां पढ़ें…