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नई दिल्ली3 मिनट पहले
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16 मई को सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और सेलेबी दिल्ली कार्गो टर्मिनल मैनेजमेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थीं।
सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और सेलेबी दिल्ली कार्गो टर्मिनल मैनेजमेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। मामला जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच में लिस्टेड है। 19 मई को कोर्ट ने समय की कमी के चलते सुनवाई बुधवार तक के लिए टाल दी थी।
पिछली सुनवाई में सेलेबी के वकील एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया था कि बिना कारण बताए कंपनी का सिक्योरिटी क्लियरेंस कैंसिल कर दिया गया। कंपनी के शेयरहोल्डर्स तुर्किये के हैं, इसी धारणा के कारण ऐसा किया गया है।
वहीं, सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है, क्योंकि कंपनी का कंट्रोल किसके पास है, और उसे कौन निर्देश दे रहा है यह बात ज्यादा मायने रखती है।
इस पर जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा था- नियम कहता है कि बाद में पछताने से बेहतर है कि सावधानी बरती जाए।
19 मई की सुनवाई में क्या-क्या हुआ…
सेलेबी की हाईकोर्ट में 3 दलीलें…
- क्लियरेंस कैंसिल करने का कोई कारण नहीं बताया। सुनवाई का कोई मौका नहीं दिया। यह सार्वजनिक धारणा के कारण किया गया क्योंकि यह कंपनी की तुर्किये की है।
- कानून के मुताबिक अगर एक घंटे का नोटिस भी नहीं दे सकते, तो यह बताने की जिम्मेदारी भी आपकी थी। क्या आशंका इतनी गंभीर थी कि नोटिस की जरूरत ही नहीं महसूस की गई।
- सेलेबी एक भारतीय कंपनी है, यहां के कर्मचारी भी भारतीय हैं। आपको अदालत में यह साबित करना होगा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है।
सरकार की हाइकोर्ट में 3 दलीलें…
- छोटी और इंटरनेशनल एयरलाइन्स के पास एयरपोर्ट पर अपना स्टाफ नहीं होता, यह कंपनी मुहैया कराती है। इसका कोई भी कर्मचारी एयरपोर्ट के हर कोने तक जा सकता है।
- हम कार्गो और पैसेंजर विमानों के लिए परेशान हैं। सरकार को जानकारी मिली थी कि मौजूदा हालात में इस कंपनी के हाथों में यह काम छोड़ना खतरनाक होगा।
- कुछ ऐसी रेयर कंडीशन होती हैं, जिनमें नोटिस में कारण बताना संभव नहीं होता। खुलासा करना ही उल्टा पड़ सकता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी असर डाल सकता है।
- कंपनी को कौन कंट्रोल करता है, कौन निर्देश देता है, यह मायने रखता है। दुश्मन 10 बार कोशिश कर सकता है और एक बार सफल हो सकता है। लेकिन देश को हर बार सफल होना चाहिए।
तुर्किये की एविएशन कंपनी दिल्ली हाईकोर्ट क्यों पहुंची
दरअसल, भारत सरकार ने सेलेबी (Celebi) एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की सुरक्षा मंजूरी 15 मई को तत्काल प्रभाव से रद्द की थी। ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (BCAS) के आदेश के मुताबिक यह काम राष्ट्रीय सुरक्षा के चलते किया गया। तुर्किये की सेलेबी कंपनी सिक्योरिटी क्लियरेंस रद्द होने के बाद भारतीय एयरपोर्ट पर ग्राउंड हैंडलिंग का काम नहीं कर पाएगी।
सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया, तुर्किये की सेलेबी ग्रुप का हिस्सा है, जो मुंबई, दिल्ली, कोच्चि, कन्नूर, बेंगलुरु, हैदराबाद, गोवा, अहमदाबाद व चेन्नई जैसे मुख्य भारतीय एयरपोर्ट्स पर सेवाएं देती थी।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की मदद करने को लेकर भारत में अजरबैजान, चीन और तुर्किये की कंपनी और सामानों का विरोध हो रहा है।
तुर्किये ने पाकिस्तान को ड्रोन दिए थे। इन्हीं ड्रोन को पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया था।
कंपनी का दावा- फैसले का कारण साफ नहीं, बिना चेतावनी लागू किया
सेलेबी ने अपनी याचिका में दावा किया है कि ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी का कंपनी की सुरक्षा मंजूरी रद्द करने का कारण स्पष्ट नहीं है। इसे बिना किसी चेतावनी के लागू किया गया है। कंपनी ने तर्क दिया है कि इससे 3,791 नौकरियों और निवेशकों के विश्वास पर असर पड़ेगा।
15 साल से भारत में काम कर रही है सेलेबी
सेलेबी भारत में 15 साल से भी ज्यादा समय से एक्टिव है। कंपनी का कहना है कि वे प्राइवेट ग्राउंड हैंडलिंग क्षेत्र में टॉप लीडर हैं। हम 10,000 से अधिक भारतीयों को सीधे तौर पर रोजगार देते हैं। हमने 220 मिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा निवेश किया है।
सेलेबी की स्थापना 1958 में हुई थी। ये कंपनी विमानन सेवाओं में टॉप लीडर है, जो ग्राउंड हैंडलिंग, कार्गो और वेयरहाउस मैनेज करती है। सेलेबी एविएशन की सर्विस में पैसेंजर हैंडलिंग, रैंप सर्विस, लोड कंट्रोल, फ्लाइट ऑपरेशन और विमान की सफाई शामिल हैं।
सेलेबी तुर्की, भारत, हंगरी, जर्मनी, तंजानिया और इंडोनेशिया सहित कई देशों में काम कर रही है। 400 से ज्यादा एयरलाइन कस्टमर को सेवाएं देती है।
सेलिबी ने कहा- वह तुर्किये का ऑर्गनाइजेशन नहीं
इस मामले को लेकर सेलेबी एविएशन इंडिया ने कहा- “हम किसी भी मानक से तुर्किए का ऑर्गनाइजेशन नहीं हैं और कॉर्पोरेट गवर्नेंस, ट्रांसपेरेंसी का पूरी तरह से पालन करते हैं। किसी भी विदेशी सरकार या व्यक्तियों के साथ हमारा कोई राजनीतिक संबंध नहीं है।”
कंपनी ने कहा- हमें विश्वास है कि फैक्ट, ट्रांसपेरेंसी और कॉमनसेंस मिसइन्फॉर्मेंशन पर जीत हासिल करेंगे। ये ग्लोबली ऑपरेटेड कंपनी है। कंपनी में कनाडा, अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, सिंगापुर, UAE और पश्चिम यूरोप के अंतरराष्ट्रीय संस्थागत निवेशकों की 65% हिस्सेदारी है।
देश के 5 राज्यों में तुर्किये कंपनियों के प्रोजेक्ट जारी
देश के 5 राज्यों यूपी, दिल्ली, मुंबई, गुजरात और जम्मू-कश्मीर में तुर्किये की कंपनियां आईटी, मेट्रो रेल और टनल सहित कई तरह के प्रोजेक्ट में काम कर रही हैं। इनके अलावा दूसरी कंपनियों ने भारत में कंस्ट्रक्शन और टेक्नोलॉजी जैसे सेक्टरों में निवेश कर रखा है। लखनऊ, पुणे और मुंबई में मेट्रो प्रोजेक्ट्स और गुजरात में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट इसमें शामिल हैं।
केंद्र सरकार ने तुर्किये की बाकी कंपनियों के सभी सरकारी और निजी प्रोजेक्ट्स की जानकारी जुटानी शुरू कर दी है। इन कंपनियों की भूमिका और हिस्सेदारी की समीक्षा के बाद जरूरी कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि अगर राष्ट्रीय हित प्रभावित होता है तो इन कंपनियों को प्रोजेक्ट्स से हटाया भी जा सकता है।
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पाकिस्तान को सपोर्ट करने के कारण तुर्किये का भारत में बॉयकॉट हो रहा है। न केवल ट्रैवल कैंसिलेशन बढ़े हैं, बल्कि सेब और मार्बल सहित तुर्किये से इंपोर्ट किए जाने वाले हर सामान का बॉयकॉट किया जा रहा है। 16 मई को कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT ) ने तुर्किये और अजरबैजान के साथ व्यापार खत्म करने की घोषणा की।
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