तकनीकी शिक्षा हासिल करने के बावजूद युवा आज भी इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बीटेक, बीसीए और एमटेक जैसी डिग्रियां लेने के बाद भी बड़ी संख्या में छात्र बेरोजगार या फिर अपनी योग्यता से कमतर नौकरियों के लिए मजबूर हो रहे हैं। इसक
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करियर काउंसलर्स का कहना है कि छात्र पढ़ाई के पहले साल से ही अपने इंटरेस्ट और स्ट्रेंथ को पहचानें। इंटरनेट पर आज कई फ्री प्लेटफॉर्म्स हैं, जहां से छात्र खुद को अपग्रेड कर सकते हैं। साथ ही सॉफ्ट स्किल्स जैसे कम्युनिकेशन और टीमवर्क पर भी ध्यान देना जरूरी है। इसके अलावा दूसरे और तीसरे वर्ष में छात्रों को प्रैक्टिकल लर्निंग की ओर बढ़ना चाहिए। ओपन-सोर्स प्रोजेक्ट्स में हिस्सा लें, हैकथॉन में भाग लें और इंटर्नशिप करें, ताकि इंडस्ट्री की जरूरतों को समझा जा सके।
इंडस्ट्री की जरूरतों को समझ कर तैयारी करें
करियर काउंसलर सुयाश गुप्ता ने बताया कि बीटेक, बीसीए और एमटेक जैसी डिग्रियां लेने के बावजूद बड़ी संख्या में युवा नौकरी के लिए भटक रहे हैं। जब ये छात्र करियर काउंसलिंग के लिए आते हैं, तो पता चलता है कि उनमें इंडस्ट्री की जरूरत के अनुसार स्किल की कमी है। अब प्रयास यह हो रहा है कि छात्र प्लस-2 के बाद से ही सिर्फ डिग्री पर नहीं, बल्कि स्किल ट्रेनिंग पर भी ध्यान दें।
उन्हें पहले वर्ष से ही अपनी रुचि के अनुसार तकनीकी और सॉफ्ट स्किल्स पर काम करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इससे छात्र चार साल की पढ़ाई के साथ-साथ इंडस्ट्री में काम करने के लिए पूरी तरह तैयार हो सकेंगे। स्किल की कमी के कारण ही कई बार योग्य छात्र भी कम सैलरी वाली या गलत दिशा में जाने वाली नौकरियों के लिए मजबूर हो जाते हैं। समय रहते गाइडेंस, सही दिशा और प्रैक्टिकल लर्निंग से यह स्थिति बदली जा सकती है और अच्छी नौकरी भी हासिल की जा सकती है।
डमी प्रोजेक्ट, मॉक इंटरव्यू से बढ़ाएं आत्मविश्वास
इंटरव्यू के लिए बेसिक एचआर सवालों जैसे अपने बारे में बताएं और आपकी कमजोरियां क्या हैं? के जवाब पहले से तैयार करें। शीशे के सामने बोलने की प्रैक्टिस करें। दोस्तों या सीनियर्स के साथ मॉक इंटरव्यू करें जिससे इंटरव्यू का माहौल समझ सकें। जिस कंपनी में अप्लाई किया है, उसकी जानकारी और करंट अफेयर्स पर अपडेट रहना जरूरी है।
कम्युनिकेशन स्किल्स सुधारें और उस भाषा में अभ्यास करें जो इंटरव्यू में उपयोग होनी है। इंटरव्यू को एक अनुभव के रूप में लें, न कि डर के रूप में। ब्रीदिंग एक्सरसाइज और ध्यान से घबराहट कम होती है। टेक्निकल नॉलेज के साथ सॉफ्ट स्किल्स जैसे टीमवर्क, लीडरशिप और टाइम मैनेजमेंट पर भी ध्यान दें।
तीसरे-चौथे वर्ष तक छात्रों को अपना डिजिटल पोर्टफोलियो तैयार कर लेना चाहिए। डिजिटल पोर्टफोलियो के लिए डमी प्रोजेक्ट्स बनाएंं। अगर छात्र पहले वर्ष से ही सही दिशा में कदम उठाएं और लगातार स्किल बढ़ाते रहें तो डिग्री के साथ एक बेहतर करियर भी तय हो सकता है।