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तमिलनाडु गवर्नर को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका: दावा- राज्यपाल लगातार संविधान का उल्लंघन कर रहे; राष्ट्रगान बजाने का आदेश देना उनका कर्तव्य नहीं


चेन्नई15 मिनट पहले

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टीएन रवि तमिलनाडु से पहले मेघालय-नगालैंड गवर्नर भी रह चुके हैं।

तमिलनाडु के राज्यपाल को हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई है। जिसमें राष्ट्रपति के सचिव और अन्य को उन्हें टीएन रवि को वापस बुलाने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि रवि ने राज्यपाल के दायित्वों का पालन नहीं किया और लगातार संविधान का उल्लंघन किया है।

याचिका लगाने वाले एडवोकेट सीआर जया सुकिन ने कहा- राज्यपाल 6 जनवरी को अपना पारंपरिक संबोधन दिए बिना ही विधानसभा से चले गए। राज्यपाल ने संबोधन की शुरुआत में राष्ट्रगान बजाने कहा था, जबकि ऐसा आदेश देना उनका कर्तव्य नहीं है।

दरअसल, 6 जनवरी से शुरू हुए तमिलनाडु विधानसभा सत्र के पहले दिन राज्यपाल ने बिना संबोधन के वॉकआउट कर दिया था। जिसका राज्य के CM समेत अन्य मंत्रियों ने भी विरोध किया। स्टालिन ने यह भी कहा था कि यह बचकाना और लोकतांत्रिक परंपराओं का उल्लंघन है।

आरएन रवि ने 2021 में तमिलनाडु के राज्यपाल बनाए गए थे। तब से लेकर अब तक कई मुद्दों पर राज्य की एमके स्टालिन सरकार और उनके बीच विवाद हो चुका है। स्टालिन सरकार का आरोप है कि राज्यपाल भाजपा प्रवक्ता की तरह काम कर रहे हैं। वे सरकार के बिल रोकते हैं।

सदन से वॉकआउट की 2 तस्वीरें…

जनवरी 2025: आरोप- CM और स्पीकर ने राष्ट्रगान गाने से मना किया

सदन की कार्यवाही शुरू होने पर राज्य गान तमिल थाई वल्थु गाया जाता है और आखिरी में राष्ट्रगान गाया जाता है। लेकिन राज्यपाल रवि ने इस नियम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि राष्ट्रगान दोनों समय गाया जाना चाहिए। राजभवन ने बयान जारी किया- राज्यपाल ने सदन से राष्ट्रगान गाने की अपील की। ​​लेकिन मना कर दिया गया। यह गंभीर चिंता का विषय है। संविधान और राष्ट्रगान के अपमान से नाराज होकर राज्यपाल सदन से चले गए।

फरवरी 2024: आरोप- मसौदे में झूठ के कई अंश, राष्ट्रगान का अपमान भी

फरवरी 2024 में राज्यपाल ने विधानसभा में पारंपरिक अभिभाषण देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि मसौदे में भ्रामक दावों वाले कई अंश हैं जो सच्चाई से कोसों दूर हैं। राजभवन ने यह भी कहा था कि राज्यपाल के अभिभाषण के आरंभ और अंत में राष्ट्रगान को उचित सम्मान दिया जाना चाहिए और उसे बजाया जाना चाहिए।राज्यपाल के सदन से बाहर चले जाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष एम. अप्पावु ने राज्यपाल द्वारा पढ़ा जाने वाला अभिभाषण दिया।

याचिका में राज्यपाल को लेकर किए गए दावे

  • संविधान के अनुच्छेद 153 में कहा गया है कि प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा और अनुच्छेद 155 के तहत, राष्ट्रपति राज्यपाल की नियुक्ति करता है। संविधान के अनुच्छेद 163 में कहा गया है कि राज्यपाल की सहायता और सलाह के लिए मंत्रिपरिषद होगी।
  • राष्ट्रगान को पहले बजाने का आदेश देना राज्यपाल का कर्तव्य नहीं है। तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने अब भारतीय संविधान की सभी शर्तों को पार कर लिया है और उनका उल्लंघन किया है। सत्र की शुरुआत में राज्यपाल का विधानसभा में दिया जाने वाला पारंपरिक संबोधन हर साल अप्रिय घटना बनता जा रहा है।
  • तमिलनाडु के राज्यपाल का पदभार संभालने के बाद से उन्होंने राज्यपाल के कार्यालय के आचरण के नियमों की अनदेखी करते हुए राजनीतिक टिप्पणियां की हैं और द्रविड़ शासन मॉडल को ‘एक समाप्त हो चुकी विचारधारा’ कहा है।
  • राज्यपाल ने विधेयकों पर अपनी सहमति देने से इनकार करके कई कानून को बनने से रोक दिया है। कई मौकों पर उन्होंने विधेयकों को वापस भेज दिया है या उन्हें रोक लिया है।
  • सुप्रीम कोर्ट भी पहले कह चुका है कि राज्यपाल राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकते हैं। वे केवल संविधान में दिए कार्यों का निर्वहन कर सकते हैं।

2023 में भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका गवर्नर-स्टालिन का विवाद

तमिलनाडु गवर्नर और राज्य सरकार के बीच का विवाद नवंबर 2023 में भी सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। तब राज्यपाल के विधेयक अटकाने के मामले में सुनवाई हुई थी। बिल पर साइन न करने की शिकायत को लेकर तमिलनाडु सरकार ने याचिकाएं दायर की थीं।

तत्कालीन CJI चंद्रचूड़ कोर्ट ने कहा था- हमने देखा कि गवर्नर रवि ने दस बिलों पर अपनी मंजूरी तब तक नहीं दी जब तक हमने राज्य सरकार की याचिका पर गवर्नर को नोटिस नहीं भेजा। ये बिल तीन साल से पेंडिंग थे, गवर्नर तीन साल तक क्या कर रहे थे? बिलों पर एक्शन न लेना गंभीर चिंता का विषय है।

सुप्रीम कोर्ट ने गवर्नर और राज्य सरकार को आपसी मुद्दा सुलझाने के लिए एक साथ बैठकर चर्चा करने की नसीहत दी थी। पढ़ें पूरी खबर…

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मद्रास हाईकोर्ट बोला-राज्यपाल कैबिनेट के फैसले मानने के लिए बाध्य, वे इसे नहीं बदल सकते; तमिलनाडु गवर्नर ने स्टालिन सरकार का फैसला रोका था

मद्रास हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2024 में कहा कि राज्यपाल कैबिनेट के फैसले मानने के लिए बाध्य हैं। वे कैबिनेट के फैसले बदल नहीं सकते। दरअसल स्टालिन कैबिनेट ने 20 साल से जेल में बंद वीरभारती की जल्दी रिहाई की मंजूरी दी, लेकिन गवर्नर आरएन रवि ने इस फैसले पर रोक लगा दी। याचिका पर सुनवाई के दौरान मद्रास HC ने कहा कि गवर्नर आरएन रवि का इस मामले में कोई व्यक्तिगत, नैतिक अधिकार नहीं होना चाहिए।

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