‘सरकार से बस यही गुजारिश है कि हमारे बच्चों को ईरान से निकालिए। अब वो जरा भी महफूज नहीं हैं। तेहरान जल रहा है। वहां कोई गली, कोई इलाका सेफ नहीं है। इंटरनेट बंद है। 10-15 बार कोशिश करने पर किसी तरह एक फोन लग रहा है। हम सब बहुत डरे हुए हैं। इराक और पाक
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कश्मीर की रहने वाली रेहाना अख्तर की बेटी शाहीन उन 1500 भारतीय स्टूडेंट्स में से है, जो ईरान-इजराइल के बीच बने जंग के हालात में तेहरान में फंसी है। इजराइल ने 15 जून की दोपहर तेहरान के हुजत दोस्त अली हॉस्टल पर हमला किया, जिसमें कुछ कश्मीरी स्टूडेंट्स घायल हुए हैं। इसके बाद से वहां फंसे भारतीय स्टूडेंट्स के परिवारों का तनाव और बढ़ गया है।
हालांकि तेहरान से 150 किमी दूर कोम में रह रहे कारगिल के विलायत काचो अब भी ईरान को सेफ बता रहे हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत में वे कहते हैं कि यहां अब भी सब कुछ आम दिनों की तरह है। वहीं, इजराइल के हाइफा में पढ़ रहे केरल के सूरज रंजन डरे हुए हैं। वे कहते हैं, ‘इस बार हालात सबसे ज्यादा डरावने हैं। हमास के हमले के वक्त भी खौफ था, लेकिन इस बार ज्यादा है।‘
संघर्ष के पहले 3 दिनों में इजराइली हमलों से ईरान में 138 लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें 9 न्यूक्लियर साइंटिस्ट और 20 से ज्यादा ईरानी कमांडर्स शामिल हैं। 350 से ज्यादा लोग घायल हैं। ईरान ने भी इजराइल पर 150 से ज्यादा मिसाइलें दागी हैं। इसमें 14 इजराइली मारे गए हैं और 380 घायल हैं।
दैनिक भास्कर की टीम ने ईरान और इजराइल में रह रहे भारतीय स्टूडेंट्स और उनके परिवारों से बातचीत की। साथ ही अंतरराष्ट्रीय मामलों के एक्सपर्ट्स से समझने की कोशिश की कि इजराइल और ईरान के बीच अगर जंग बढ़ी तो भारत पर क्या असर होगा।
तस्वीर इजराइल के तामरा शहर की है, जहां ईरानी हमलों में ये तबाही हुई है।
सबसे पहले भारतीय स्टूडेंट्स के परिवार… मिसाइल अटैक ने उड़ाई रातों की नींद, हमारे बच्चों को ईरान से निकाले सरकार ईरान में करीब 1500 भारतीय स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं। इनमें करीब 1300 कश्मीरी हैं। 15 जून को इजराइल की एयरस्ट्राइक में तेहरान का हुजत दोस्त अली हॉस्टल भी निशाना बना। ये कश्मीरी स्टूडेंट्स का ठिकाना है। हमले में कुछ स्टूडेंट्स जख्मी भी हुए हैं। इसके बाद से इनके परिवार वापसी के लिए परेशान हैं।
श्रीनगर की रहने वाली सजादा अख्तर का बेटा तेहरान में पढ़ रहा है। वे कहती हैं ‘बच्चे भले ही हमसे परेशान न होने को कह रहे हैं, लेकिन पिछले 3-4 दिनों से जो हालात बने हैं, उसे देखकर हम डरे हुए हैं। हमारी रातों की नींद और भूख-प्यास सब खत्म हो गई है।’
‘इजराइल इतने मिसाइल अटैक कर रहा है कि कब क्या हो जाए, कोई नहीं जानता। ये किसी देश की अंदरूनी लड़ाई नहीं है।’
कश्मीर के बड़गाम के रहने वाले सुहैल की भी यही गुजारिश है। वे कहते हैं, ‘ईरान में सबसे ज्यादा कश्मीरी बच्चे फंसे हैं। शुरू के दो दिन वो भी पैनिक नहीं हुए। हमें ही दिलासा देते रहे कि सब ठीक है, हम सब सेफ हैं। जब से इजराइल ने एरियल अटैक शुरू किया है, तब से उनका तनाव बढ़ गया है। अब बच्चे हमें फोन करके गुजारिश कर रहे हैं कि भारत सरकार हमारी वापसी की व्यवस्था करे या फिर कहीं सुरक्षित रहने का इंतजाम करा दे।’
गांदेरबल के रहने वाले मोहम्मद शफीक सरकार से खफा नजर आए। वे कहते हैं, ’तीन दिन से बच्चे सोए नहीं हैं। इस हाल में भारत सरकार को ईरान में फंसे भारतीय स्टूडेंट्स को निकालना चाहिए। इससे पहले जैसे यूक्रेन से निकाले वैसे ही हमारे बच्चों को निकालें, लेकिन इसकी कोई बात ही नहीं कर रहा है।’
तस्वीर ईरान की राजधानी तेहरान की है, जहां इजराइली हमलों को बाद सड़क पर अफरातफरी का माहौल है।
ईरान में फंसे भारतीय स्टूडेंट्स की बात… ‘हमले सिर्फ मिलिट्री साइट पर हो रहे, सिविलियन इलाके सुरक्षित’ जंग के हालात बने 3 दिन हो गए, लेकिन ईरान में सड़कों पर चहल-पहल कम नहीं हुई है। लोग यहां बाहर निकल रहे हैं। हालांकि सरकार कम्युनिकेशन चैनल्स पर सख्ती बरत रही है। वॉट्सएप, इंस्टाग्राम और बाकी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बंद कर दिए गए हैं। जो भी सोशल मीडिया चैनल्स चल रहे हैं, वो सिर्फ VPN की मदद से चल रहे हैं। इसके अलावा इंटरनेट भी स्लो कर दिया गया है।
कारगिल के रहने वाले विलायत काचो ईरान की राजधानी तेहरान से करीब 150 किमी दूर कोम में रहते हैं।
तेहरान के पास कोम शहर में विलायत, अल मुस्तफा यूनिवर्सिटी में इस्लामिक स्टडीज के स्टूडेंट हैं।
वे कहते हैं, ‘हमारी यूनिवर्सिटी के आसपास और शहर में तो सब कुछ आम दिनों की तरह लग रहा है। फिलहाल मुझे नहीं लग रहा कि ईरान से बाहर जाने की जरूरत है। जंग अभी शुरुआती स्टेज में है, अगर आगे बढ़ती है तो मुझे लगता है कि यहां मौजूद इंडियन एंबेसी हमें सुरक्षित भारत भेजने की कोशिश करेगी।’
’हम नॉर्मल दिनों की तरह बाहर जा रहे हैं। मार्केट खुले हुए हैं। गाड़ियां चल रही हैं। हम क्लास अटेंड कर रहे हैं। शनिवार को ईद के बाद एक सेलिब्रेशन रखा गया था, हमने वो भी सेलिब्रेट किया। ईरान में रहते हुए हमें अभी तो कोई दिक्कत नहीं हुई है।’
इंटरनेट डाउन, मैसेजिंग एप और सोशल मीडिया बंद इंटरनेट की क्या स्थिति है? क्या मैसेजिंग एप और सोशल मीडिया चैनल्स काम कर रहे हैं? इसके जवाब में विलायत कहते हैं कि इजराइल के हमले के बाद से इंटरनेट स्लो हो गया है। वॉट्सएप बंद कर दिया गया और कई दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी पाबंदियां लगानी शुरू कर दी गई हैं।
हालांकि खाने-पीने से लेकर आम जिंदगी में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं आया है। अभी हमारे आसपास ऐसा कुछ नहीं हुआ है, जिसकी वजह से खौफ का माहौल हो। मुझे उम्मीद है कि अगर हालात बिगड़े तो इंडियन एंबेसी हमारे लिए इंतजाम करेगी।’
ईरान में इंडियन एंबेसी ने यहां रह रहे भारतीय नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। उसमें कहा गया है कि मौजूदा हालात को देखते हुए यहां रहने वाले भारतीय नागरिकों और भारतीय मूल के लोगों को दूतावास के साथ संपर्क में रहना है। ईरान में गैरजरूरी मूवमेंट न करें। अपडेट्स के लिए एंबेसी का सोशल मीडिया पेज देखते रहें।’ एंबेसी ने ईरान में रह रहे भारतीयों के लिए इमरजेंसी कॉन्टैक्ट नंबर भी जारी किए हैं।
ये तेहरान के एक स्टोर की तस्वीर है, जहां जंग के माहौल के बीच लोग सामान खरीदने पहुंचे हैं।
अब बात इजराइल की… ‘अब तक का सबसे खौफनाक माहौल, काम कर रहा नया अलर्ट सिस्टम’ इजराइल में 32,000 भारतीय रह रहे हैं। इनमें से 12,000 अक्टूबर 2023 से मार्च 2025 के बीच इजराइल गए हैं। इसके अलावा कई इंडियन स्टूडेंट्स यहां रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। उन्हीं में से एक सूरज रंजन केरल के रहने वाले हैं और 2021 से इजराइल में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं।
सूरज हाइफा यूनिवर्सिटी में पीएचडी के स्टूडेंट है और करीब 4 साल से हाइफा शहर में रह रहे हैं। पिछले 4 साल में यहां जो कुछ घटा, उन्होंने वो सब देखा और महसूस किया है, चाहे 2023 में इजराइल पर हमास का हमला हो या फिर हिजबुल्ला और हूती की ओर से होने वाले मिसाइल हमले हों।
सूरज बताते हैं, ’कल रात को ही हाइफा में अलार्म (सायरन) बजने लगे। हालांकि इसके बारे हमें पहले से ही फोन पर बताया गया था। हर अपार्टमेंट में एक बॉम्ब शेल्टर होता है, जिसे यहां ‘ममाद’ कहा जाता है। सायरन बजते ही कुछ सेकेंड के अंदर हमें उस शेल्टर में जाना होता है।’
सूरज ने हमसे हाइफा शहर की ये फोटो शेयर की है। तस्वीर में दिख रही केबल कार हाइफा की पहचान है। यहां आम दिनों में चहल-पहल रहती है लेकिन अभी सन्नाटा पसरा हुआ है।
सूरज बताते हैं, ‘इस बार हालात सबसे ज्यादा डरावने हैं। ईरान के साथ सीधे युद्ध में इजराइल ज्यादा सतर्कता बरत रहा है। हमास के हमले के वक्त भी खौफ था, लेकिन इस बार खौफ कुछ ज्यादा है।‘
‘इजराइल में एक नया अलर्ट सिस्टम काम कर रहा है। पहले जब सायरन बजता था, तब हमें बॉम्ब शेल्टर में जाना होता था। अब काफी पहले ही लोकल प्रशासन हमें अलर्ट कर देता है कि शेल्टर के पास ही रहें, कभी भी बॉम्ब शेल्टर में जाना पड़ सकता है। इस वजह से हमें बॉम्ब शेल्टर में सुरक्षित पहुंचने के लिए ज्यादा वक्त मिल जाता है।’
सूरज बताते हैं, ‘शुक्रवार को इजराइल में ‘शबाद’ की वजह से छुट्टी जैसा माहौल होता है। युद्ध के हालात के बाद सड़कों और बाजारों में तो सन्नाटा पसरा हुआ है।‘
यूनिवर्सिटी में भी रौनक कम हो गई है। शनिवार रात हमने यूनिवर्सिटी के पास भी धमाकों की कई आवाजें सुनी थीं। उन धमाकों के बाद काफी देर तक मुझे अपने कमरे में कंपन महसूस होता रहा। शायद आसपास कोई मिसाइल गिरी हो।
हालांकि ईरान की तरह इजराइल में इंटरनेट की स्पीड और कनेक्टिविटी में कोई दिक्कत नहीं है। सारे मैसेजिंग एप और सोशल मीडिया चैनल्स काम कर रहे हैं। इजराइल में लोकल प्रशासन इन चैनल्स का इस्तेमाल करके लोगों को अलर्ट कर रहे हैं। इसी पर पूरा इजराइली सिविलियन अलर्ट सिस्टम काम कर रहा है।
सूरज इजराइल में मौजूद इंडियन एंबेसी के कॉन्टैक्ट में हैं। समय-समय पर एंबेसी भारतीयों के लिए एडवाइजरी जारी कर रही है। दूतावास ने भी इजराइल में रह रहे भारतीयों के लिए इमरजेंसी नंबर जारी किए हैं।
एक्सपर्ट बोले- भारतीयों की सेफ्टी पहली चिंता भारत के ईरान और इजराइल दोनों से अच्छे ताल्लुकात हैं। हालांकि भारत की डिफेंस और रणनीतिक साझेदारी हाल के वर्षों में इजराइल से काफी अच्छी रही है। भारत ने जब पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर चलाया तो इजराइल अकेला देश था, जो भारत के साथ मजबूती से खड़ा दिखा।
ऐसे में इजराइल और ईरान की जंग अगर आगे बढ़ती है तो इसका भारत पर क्या असर होगा। इसे हमने विदेश नीति के जानकारों के नजरिए से समझने की कोशिश की। हमने मिडिल ईस्ट से जुड़े मामलों के जानकार प्रोफेसर उमैर अनस से बात की, जो तुर्किये की अंकारा यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं।
प्रोफेसर उमैर बताते हैं, ‘इजराइल-ईरान संकट के बीच भारत की दो चिंताएं रहेंगी। पहला, जो भारतीय इन दोनों देशों में रह रहे हैं, उनकी सुरक्षा का सवाल। अगर तनाव ज्यादा बढ़ता है तो इन लोगों का रेस्क्यू करना। दूसरा, पश्चिम एशिया पर निर्भर भारत का एनर्जी सेक्टर, जिसमें कच्चा तेल सबसे अहम है।
भारत के लिए ईरान-इजराइल में चुनाव करना मुश्किल होगा प्रोफेसर उमैर कहते हैं, ‘ईरान और इजराइल में अगर युद्ध लंबा चलता है, तो कच्चे तेल की कीमतें बढ़ जाएंगी और इसकी वजह से भारत में महंगाई बढ़ने का खतरा रहेगा। भारत का बैलेंस ऑफ ट्रेड भी खराब होगा और भारत को आर्थिक रूप से नुकसान होगा। हालांकि ये असर बहुत बड़ा नहीं होगा क्योंकि भारत ईरान से बहुत कम तेल खरीदता है, भारत का ज्यादातर तेल खाड़ी देशों से आता है।‘
‘भारत के ईरान और इजराइल दोनों ही देशों से अच्छे संबंध हैं। ऐसे में भारत को एक देश चुनने में मुश्किल पेश आएगी।‘
अगर भारत ईरान का साथ देता है तो भारत के अमेरिका, इजराइल और पश्चिमी देशों से रिश्ते खराब होंगे। वहीं, इजराइल का साथ देने पर खाड़ी के इस्लामिक देश नाराज हो सकते हैं।
‘पाकिस्तान के मामले में ईरान और इजराइल दोनों अलग-अलग स्तर पर मदद करते रहे हैं। ऐसे में भारत बिल्कुल नहीं चाहेगा कि तनाव के बाद ईरान को बहुत ज्यादा नुकसान हो। भारत दोनों देशों से तनाव से पीछे हटने की गुजारिश करेगा और अपनी भूमिका निभाएगा। भारत की भूमिका इस संकट को काबू में रखने की ही होगी।‘
इजराइल के तामरा शहर की तस्वीर है, जहां ईरानी हमले में इमारतों को काफी नुकसान पहुंचा है।
भारत दोनों देशों के बीच बैलेंस बनाने की कोशिश करेगा स्ट्रैटजिक एंड फॉरेन अफेयर्स के एक्सपर्ट सौरभ कुमार शाही कहते हैं, ‘इंटरनेशनल कानून के मुताबिक इजराइल ने ईरान पर जो हमला किया, वो गलत है। न्यूक्लियर साइट पर हमला भी गैरकानूनी है। अमेरिका इजराइल के साथ खड़ा रहेगा। ऐसे में भारत को अपने कदम सोच-समझकर रखने होंगे।‘
भारत भले ही इजराइल का दोस्त है। दूसरी तरफ भारत के ईरान से पिछले कुछ सालों में अच्छे संबंध रहे हैं। भारत दोनों देशों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर सकता है और किसी एक देश की आलोचना करने से बचता दिखाई देगा।
दिल्ली में JNU के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल रिलेशन में एसोसिएट प्रोफेसर राजन कुमार कहते हैं, ‘इजराइल और ईरान के बीच युद्ध की स्थिति में भारत की विदेश नीति पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। भारत के दोनों देशों से अच्छे संबंध हैं। दूसरी और भारत की ना तो युद्ध रुकवाने की कोई क्षमता है, ना ही भारत कोई सलाह देने की स्थिति में होगा। हमारे कहने से ईरान और इजराइल दोनों ही नहीं मानेंगे।‘
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