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दावा- ममता कुलकर्णी और किन्नर महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण निष्कासित: संस्थापक अजय दास ने कहा- वे रास्ते से भटकीं; अखाड़ा परिषद अध्यक्ष बोले- आपको नहीं जानते


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प्रयागराज5 मिनट पहले

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ममता जनवरी को 24 जनवरी को किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर की पदवी दी थी।

किन्नर अखाड़ा के संस्थापक ऋषि अजय दास ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा- मैंने लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी और अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद से हटा दिया है। ममता को महामंडलेश्वर बनाने में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, जिस पर (ममता पर) देशद्रोह का आरोप हो। उसे महामंडलेश्वर कैसे बनाया जा सकता है?

दास ने ये भी कहा कि लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी को मैंने किन्नर समाज के उत्थान और धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए आचार्य महामंडलेश्वर बनाया था, लेकिन वह भटक गईं। ऐसे में मुझे एक्शन लेना पड़ा।

महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने अजय दास के दावे को खारिज किया है। उन्होंने कहा- वे कौन होते हैं, मुझे अखाड़े से निकालने वाले। 2016 में अजय दास को किन्नर अखाड़े से निकाल दिया गया है। वो निजी स्वार्थ के लिए ऐसा कह रहे हैं।

इधर, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने कहा कि हम लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के साथ हैं। अजय दास हैं कौन? हम इन्हें नहीं जानते।

लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के साथ अजय दास (एकदम बाएं लंबे बाल वाले)

अजय दास बोले- लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी भटक गईं

अजय दास ने लेटर जारी कर कहा- 2015-16 उज्जैन कुंभ में मैंने किन्नर अखाड़े लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को आचार्य महामंडलेश्वर बनाया था। अब उन्हें किन्नर अखाड़ा के पद से मुक्त करता हूं। जल्द ही उन्हें लिखित सूचना दी जाएगी।

उन्हें किन्नर समाज के उत्थान और धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए नियुक्त किया था, लेकिन भटक गईं। उन्होंने मेरी बिना परमिशन के जूना अखाड़ा के साथ लिखित एग्रीमेंट 2019 के प्रयागराज कुंभ में किया, जो अनैतिक ही नहीं, बल्कि चारसौबीसी है।

‘देशहित को छोड़कर ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बना दिया’

अजय दास ने कहा कि एग्रीमेंट में जूना अखाड़े ने किन्नर अखाड़ा संबोधित किया है। इसका अर्थ है कि उन्होंने किन्नर अखाड़ा को 14वां अखाड़ा स्वीकार किया है। इसका अर्थ यह है कि सनातन धर्म में 13 नहीं, बल्कि14 अखाड़े मान्य हैं। यह बात कॉन्ट्रैक्ट से साबित होती है।

लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने देशहित को छोड़कर ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बना दिया। इस वजह से मैं उन्हें आचार्य महामंडलेश्वर के पद से मुक्त करता हूं। ये लोग न तो जूना अखाड़े के सिद्धांतों को के अनुसार चल रहे हैं, न ही किन्नर अखाड़े के सिद्धांतों के।

संन्यास बिना मुंडन संस्कार के मान्य नहीं होता अजय दास ने बताया कि उदाहरण के लिए किन्नर अखाड़े के गठन के साथ ही वैजयंती माला गले में धारण कराई गई थी, जो श्रृंगार की प्रतीक है। इन्होंने उसे त्याग कर रुद्राक्ष की माला धारण कर ली, जो संन्यास का प्रतीक है। संन्यास बिना मुंडन संस्कार के मान्य नहीं होता। इस प्रकार यह सनातन धर्म प्रेमी और समाज के साथ एक प्रकार का छलावा कर रहे हैं।

आचार्य महामंडलेश्वर को अखाड़े से निकालने की बात गलत- रवींद्र पुरी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने दैनिक भास्कर से कहा- किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर को अखाड़े से निकालने की बात गलत हैं। डॉ लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को निकालने वाले ऋषि अजय दास कौन हैं?

इन्हें कोई नहीं जानता, न ही वो कभी सामने आए। अब अचानक कहां से आ गए? अखाड़ा परिषद इस पर सख्त एक्शन लेगा। अखाड़ा परिषद किन्नर अखाड़ा के साथ है। जूना अखाड़े के साथ किन्नर अखाड़ा जुड़ा हुआ है।

ममता का किन्नर अखाड़े में हुआ था पट्‌टाभिषेक 24 जनवरी को ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर की पदवी दी गई थी। संगम में स्नान के बाद उनका पिंडदान कराया गया था। इसके बाद सेक्टर-16 में स्थित किन्नर अखाड़े में भव्य रूप से पट्‌टाभिषेक का कार्यक्रम हुआ था उनका नया नाम श्री यामाई ममता नंद गिरि रखा गया था। करीब 7 दिनों तक वह महाकुंभ में ही रहीं।

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