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दुकान पर लिखा- हेयर स्टूडियो, बिक रही थी स्कूल ड्रेस: कांग्रेस प्रवक्ता ने सीएस-कलेक्टर से की लिखित शिकायत, कहा-सख्त कार्यवाही हो – Bhopal News



राजधानी भोपाल में निजी स्कूलों की मनमानी का मामला सामने आया है। नेहरू नगर चौराहे पर स्थित दुकान पर हेयर स्टूडियो का बोर्ड लगा हुआ है, लेकिन स्कूल ड्रेस बेची जा रही थीं। बुधवार को इस मामले से जुड़े वीडियो कांग्रेस प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी ने जारी किए।

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जिसमें उन्होंने कहा कि नेहरू नगर चौराहे पर स्थित एक अवैध दुकान में निजी स्कूल की ड्रेस महंगे दामों पर बेची जा रही है। इस दुकान का कोई वैध रजिस्ट्रेशन नहीं है, न ही इसका कोई दस्तावेजी अस्तित्व है। यहां जो बिल दिया जा रहा है, उसमें GST नंबर तक नहीं है। मुख्य सचिव और जिला कलेक्टर भोपाल को भेजे एक लिखित शिकायत पत्र में साक्ष्यों के आधार पर कार्यवाही की मांग भी की गई है। यह मामला साफ तौर पर अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक भार डालने और टैक्स चोरी से जुड़ा हुआ है।

कर्मचारी ने कहा- सारा सामान स्कूल का दुकान में काम करने वाले कर्मचारी ने कहा, यह सारा सामान स्कूल का है। हम तो सिर्फ बेच रहे हैं। जो सामान बचेगा वो वापस स्कूल को भेज दिया जाएगा। यही नहीं, उसने यहां तक स्वीकार किया कि जो बिल मुझे स्कूल से मिला है, मैं वही काट रहा हूं। GST का जो भी मामला है, उससे मेरा लेना-देना नहीं।

त्रिपाठी का आरोप- यह करोड़ों की लूट का खेल कांग्रेस प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी ने कहा कि यह अवैध दुकान केवल एक उदाहरण है। नामी गिरामी निजी स्कूल कुछ खास दुकानों को ठेका देकर यूनिफॉर्म, बैग और किताबें बेचने का दबाव बनाते हैं। जिससे पेरेंट्स मजबूरी में मूल्य से कई गुना अधिक कीमत चुकाते हैं। शिक्षा का क्षेत्र अब सेवा नहीं, व्यापार बन चुका है। ये पूरा तंत्र करोड़ों की अवैध कमाई, GST चोरी और इनकम टैक्स चोरी से जुड़ा हुआ है।

उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा 8 अप्रैल 2025 को एक आदेश जारी कर निरीक्षण दल का गठन किया गया था, जिसमें टीटी नगर एसडीएम को जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन जब उनके दिए गए मोबाइल नंबर पर संपर्क किया गया, तो किसी अन्य व्यक्ति ने फोन उठाया और कहा यह नंबर गलत है।

कांग्रेस ने रखी यह प्रमुख मांगें

  • नेहरू नगर स्थित अवैध दुकान को तत्काल सील किया जाए।
  • स्कूल प्रबंधन के खिलाफ FIR दर्ज कर कठोर कार्यवाही की जाए।
  • पूर्व में गठित जिला निरीक्षण समिति की निष्क्रियता की जांच की जाए।
  • हर स्कूल में पालक संघ गठित कर उन्हें निर्णय प्रक्रिया में शामिल किया जाए।



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