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दुनिया के सबसे एक्टिव ज्वालामुखी किलाउवे में विस्फोट: 260 फीट तक उठा लावा, इसकी गैस से इंसानों-जानवरों को खतरा


वॉशिंगटन10 मिनट पहले

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दुनिया के सबसे एक्टिव ज्वालामुखी किलाउवे में सोमवार को देर रात करीब दो बजे विस्फोट हुआ।

अमेरिका के हवाई द्वीप में मौजूद दुनिया के सबसे एक्टिव ज्वालामुखी किलाउवे में सोमवार को देर रात करीब दो बजे विस्फोट हुआ। विस्फोट के बाद लावा 260 फीट (80 मीटर) तक ऊपर उठकर जमीन पर फैल गया। अमेरिका के ज्वालामुखी विभाग ने विस्फोट का वीडियो जारी कर सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी।

US जिओलोजिकल सर्वे के मुताबिक इस घटना को #HVO के B2cam कैमरे में कैद किया गया। यह ज्वालामुखी साल 1983 से एक्टिव है और समय-समय पर इसमें विस्फोट होते रहते हैं। ज्वालामुखी विस्फोट से निकली गैस से लोगों को नुकसान पहुंचा सकती हैं, इसलिए अलर्ट जारी किया गया है।

अमेरिकी एजेंसी के मुताबिक ज्वालामुखी विस्फोट के बाद निकले राख समुद्र तल से 6000-8000 फीट ऊंचाई तक उड़ रहे हैं। इसे हवाएं दक्षिण-पश्चिम की ओर ले जा रही हैं। दरार से निकलने वाला सल्फर डाइऑक्साइड वायुमंडल में मौजूद अन्य गैसों के साथ मिलकर इंसानों और जानवरों के साथ-साथ फसलों को भी प्रभावित कर सकता है। वहीं, लावा की मोटाई करीब 3 फीट है।

किलाउवे में ज्वालामुखी विस्फोट के बाद लावा बह रहा है।

किलाउवे में ज्वालामुखी विस्फोट के बाद लावा 80 मीटर तक ऊपर उठा।

US जिओलोजिकल सर्वे के वैज्ञानिक हवाई द्वीप में ज्वालामुखी की तस्वीर कैमरे में कैद कर रहे हैं।

किलाउवे में विस्फोट के बाद धुंए का गुब्बार उठ रहा है।

विश्व का सबसे बड़ा ज्वालामुखी है मौना लोआ

हवाई द्वीप में 6 ऐसे हैं वोल्केनो हैं जो हमेशा एक्टिव रहते हैं। इनमें मौनालाओ भी शामिल है। लाओ विश्व का सबसे बड़ा ज्वालामुखी है, जबकि किलाउवे कहीं ज्यादा सक्रिय है। ये ज्वालामुखी कैसे बना इसके बारे में वैज्ञानिक सालों से रिसर्च कर रहे हैं। इसमें फ्लो होने वाले लावा के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।

1984 में 22 दिन तक बहा था लावा

जिओलोजिकल सर्वे के मुताबिक मौनालाओ 1843 से करीब 33 बार फट चुका है। यह लावा 1984 में भी फटा था। तब लगातार 22 दिन तक 7 किलोमीटर के एरिया में लावा बहता रहा था। वहीं, साल 2018 में मौनालाओ के पास ही किलाउवे वोल्केनो फट गया था। इसमें लगभग 700 घर तबाह हो गए थे। इसके बाद नवंबर 2022 में भी यहां ब्लास्ट हुआ था। जिससे कोई नुकसान नहीं हुआ, क्योंकि इसकी ढलान बहुत ज्यादा सीधी हैं जिसके कारण इससे लावा नीचे जाने की संभावना ज्यादा हो जाती है।

ज्वालामुखी क्या होता है?

ज्वालामुखी धरती की सतह पर मौजूद प्राकृतिक दरारें होती हैं। इनसे होकर धरती के आंतरिक भाग से पिघला हुआ पदार्थ जैसे मैग्मा, लावा, राख आदि विस्फोट के साथ बाहर निकलते हैं। ज्वालामुखी पृथ्वी पर मौजूद 7 टेक्टोनिक प्लेट्स और 28 सब टेक्टोनिक प्लेट्स के आपस में टकराने के कारण बनते हैं।

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