दुर्ग जिले में बुधवार रात से हो रही रुक-रुक कर बारिश ने न केवल स्थानीय निवासियों को गर्मी से राहत दिलाई है, बल्कि किसानों के चेहरों पर भी मुस्कान लौटा दी है। दक्षिण-पश्चिम मानसून ने जिले में 16 जून 2025 को प्रवेश किया था, लेकिन इसके बाद बारिश में देर
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मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ और अन्य मौसमी प्रणालियों के प्रभाव के कारण बारिश में देरी हुई। हालांकि, 25 जून से मौसम में बदलाव के साथ बारिश का दौर शुरू हुआ, जिसने जिले के कृषि क्षेत्र को नई उम्मीद दी है।
मौसम का हाल और विशेषज्ञों का पूर्वानुमान
मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि 25 जून 2025 से गंगेटिक पश्चिम बंगाल और इसके आसपास के क्षेत्रों में एक ऊपरी हवा का चक्रीय चक्रवाती परिसंचरण बनने की संभावना थी। यह सिस्टम छत्तीसगढ़ सहित आसपास के क्षेत्रों में बारिश के लिए अनुकूल परिस्थितियां तैयार करने में महत्वपूर्ण साबित हुआ।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, इस चक्रवाती परिसंचरण के प्रभाव से छत्तीसगढ़ में अगले कुछ दिनों तक रुक-रुक कर बारिश होने की संभावना है।
25 जून को दुर्ग जिले में दिन का अधिकतम तापमान 30.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि रात का न्यूनतम तापमान 23.2 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से लगभग 3 डिग्री कम था। यह ठंडा मौसम बारिश के साथ और भी सुहावना हो गया, जिससे लोगों को गर्मी से काफी राहत मिली।
किसानों की स्थिति और खेती की तैयारी
दुर्ग जिले में खेती-किसानी मुख्य रूप से मानसून पर निर्भर है। इस वर्ष मानसून के समय पर आगमन के बावजूद बारिश में देरी ने किसानों की चिंताओं को बढ़ा दिया था। खरीफ फसल की तैयारी में जुटे किसानों ने धान की बुवाई के लिए बीज, खाद, और अन्य आवश्यक सामग्रियों का भंडारण पहले ही कर लिया था।
नौतपा (मई-जून में पड़ने वाली नौ दिन की भीषण गर्मी) के दौरान हुई असमय बारिश ने खेतों को पहले ही नम कर दिया था, जिससे किसानों ने खेतों की जुताई शुरू कर दी थी। इस जुताई से खेतों में खरपतवार नष्ट हुए और खेतों की सफाई भी हो गई थी।
हालांकि, 16 जून को मानसून के आगमन के बाद बारिश न होने से किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया था। लगभग 10 दिनों के लंबे इंतजार के बाद 25 जून से शुरू हुई बारिश ने किसानों को राहत दी। अब किसान खेतों में धान की बुवाई और अन्य खेती के कार्यों में तेजी से जुट गए हैं।
बारिश का महत्व और इसका प्रभाव
छत्तीसगढ़, जिसे धान का कटोरा कहा जाता है, यहां बारिश का विशेष महत्व है। दुर्ग जिले में धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है, और समय पर बारिश न केवल फसलों की पैदावार बढ़ाती है, बल्कि जलाशयों और भूजल स्तर को भी रिचार्ज करती है। इस बारिश से न केवल खेती को बल मिलेगा, बल्कि जिले के जल संसाधनों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक रुक-रुक कर बारिश होने की संभावना है, जिससे खेतों में नमी बनी रहेगी। यह स्थिति धान की बुवाई और प्रारंभिक विकास के लिए अपेक्षित स्थिति होती है। किसानों का कहना है कि यदि बारिश का यह सिलसिला नियमित रूप से जारी रहा, तो इस वर्ष खरीफ फसल की पैदावार अच्छी हो सकती है।