सिंगरौली में नवजीवन बिहार पाइपलाइन निर्माण कार्य में हुए फर्जी भुगतान को लेकर नगर निगम परिषद की बैठक में उक्त घोटाले को लेकर जमकर बवाल हुआ। बवाल को देखते हुए नगर निगम आयुक्त डीके शर्मा ने तत्काल निर्णय लेते हुए कार्यपालन यंत्री, एसडीओ सहित चार अधिकार
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बुधवार को नवजीवन विहार पाइपलाइन घोटाले में संलिप्त कार्यपालन यंत्री वीपी उपाध्याय, एसडीओ दिनेश तिवारी, लेखाधिकारी सत्यम मिश्रा का प्रभार छीन लिया गया है।
वहीं कमिश्नर ने कहा कि संविदाकार पर भी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही इस कार्रवाई पर आयुक्त के कार्य प्रणाली पर भी उंगली उठती हुई नजर आ रही है। हंगामा इस बात पर भी हुआ कि बाकी अधिकारी जितने दोषी हैं, उतने ही दोषी नगर निगम आयुक्त भी हैं। फिर क्यों आयुक्त के द्वारा एक तरफा कार्रवाई हुई है।
पार्षद अखिलेश सिंह ने कहा कि निगम के सबसे छोटे कर्मचारी कंप्यूटर ऑपरेटर, वाहन चालक, सफाई कर्मी जी तोड़ मेहनत कर परिवार का भरण पोषण करते हैं। लेकिन अधिकारी और आउटसोर्सिंग कंपनियां मिलकर गरीबों के हक में डाका डाला है।
करीब 2 साल से पीएफ का भुगतान नहीं किया गया है। पीएफ घोटाले में अब तक करीब 60 लाख रुपए का हेरफेर किया गया है। पार्षद के सवाल का जवाब देते कमिश्नर ने कहा कि जानकारी अधूरी है। मैं भी मानता हूं इसके पीछे प्रमुख वजह यह है कि पार्षद जी द्वारा जो जानकारी मांगी गई है। वह करीब 2500 पेज में होगी। जल्द ही इस जानकारी को पार्षद को देंगे।
पार्षद परमेश्वर पटेल ने पीएफ घोटाले में शामिल अधिकारियों और स्थापना शाखा अधीक्षक वीडी सिंह पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि सेवा पुस्तिका में छेड़छाड़ कर वीडी सिंह अपनी उम्र कम करके अधिक समय तक नगर निगम में काम कर रहे हैं।
वहीं नगर निगम को लाखों रुपए का चूना लगाया है। उनकी सेवा पुस्तिका की जांच हो और गलत पाए जाने पर आपराधिक मामला भी दर्ज होना चाहिए। जिस पर नगर निगम अध्यक्ष ने वीडी सिंह की सेवा पुस्तिका की जांच करने के आदेश दिए हैं।