सागर के बड़तूमा में 101 करोड़ रुपए से देश का सबसे बड़ा संत रविदास का भव्य मंदिर और कला संग्रहालय का निर्माण कराया जा रहा है। यह मंदिर और संग्रहालय 11 एकड़ जमीन पर नागर शैली से आकार लेने लगा है। अब तक 50 से 60 फीसदी काम हो चुका है। मंदिर परिसर का आकार अब
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मंदिर निर्माण पूरा करने की समय-सीमा अगस्त 2025 तय की गई थी, लेकिन बजट के अभाव में मंदिर निर्माण का काम प्रभावित हुआ है। अब 2026 तक मंदिर का कार्य पूरा होने की संभावना है। परिसर में 10 हजार वर्गफीट क्षेत्र में संत रविदास महाराज के मंदिर का निर्माण होगा।
बता दें कि मंदिर निर्माण में लोहे का उपयोग नहीं किया जाएगा। इसमें पत्थर, रेत, गिटटी का उपयोग होगा। मंदिर निर्माण में राजस्थान के भरतपुर के रुदावल क्षेत्र के वंशी पहाड़पुर का पत्थर उपयोग किया जा रहा है। इसी पत्थर का उपयोग अयोध्या में भगवान रामलाल के भव्य मंदिर के निर्माण में किया गया था। संत रविदास मंदिर के निर्माण की केंद्र और राज्य सरकार द्वारा लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। रविदास मंदिर का भूमिपूजन होने के बाद 1 सितंबर 2023 से निर्माण कार्य शुरू किया गया था।
101 करोड़ की लागत से बनाया जा रहा है संत रविदास मंदिर और कला संग्रहालय।
25 करोड़ का बजट खत्म, काम प्रभावित हुआ संत रविदास मंदिर निर्माण के लिए पहली किस्त के रूप में शासन से 25 करोड़ की राशि जारी की गई थी। लेकिन यह राशि लगभग खत्म हो गई है। इस कारण मंदिर का निर्माण कार्य प्रभावित हुआ है। दिसंबर माह से ज्यादातर काम बंद है। राजस्थान से आए कारीगरों को वापस भेज दिया है। करीब 15 कारीगर ही पत्थरों को आकार देने और फिनिशिंग का कार्य कर रहे हैं।
टूरिज्म सब इंजीनियर बोले-50-60% काम ही हुआ टूरिज्म के सब इंजीनियर पवन धाकड़ ने बताया कि मंदिर का निर्माण कार्य 50-60 प्रतिशत हो चुका है। मंदिर के गर्भग्रह का वंशी पहाड़पुर के लाल और गुलाबी पत्थर से तैयार किया जा रहा है। लेकिन वर्तमान में बजट के अभाव में निर्माण कार्य प्रभावित हुआ है। ज्यादातर काम बंद पड़ा है। बजट के लिए शासन को पत्राचार किया गया है। बजट जारी होते ही काम में तेजी आएगी। तय समय-सीमा अगस्त 2025 तक मंदिर का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाएगा। वर्ष 2026 तक निर्माण कार्य पूरा करने की पूरी कोशिश की जाएगी।
बुधवार को संत रविदास जयंती है। इस दिन हम देश के सबसे बड़े मंदिर संत रविदास महाराज के भव्य मंदिर का ड्रोन VIDEO देखेंगे और जानेंगे इसमें क्या-क्या निर्माण कार्य हो रहे हैं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट..
मंदिर के ठीक सामने बनाया जा रहा जलकुंड।
तत्कालीन CM ने की थी मंदिर निर्माण की घोषणा, PM ने किया था भूमिपूजन 8 फरवरी 2023 को सागर के कजलीवन मैदान में आयोजित संत रविदास महाकुंभ में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सागर के बड़तूमा में 100 करोड़ रुपए की लागत से संत रविदास महाराज का मंदिर निर्माण कराने की घोषणा की थी। जिसके बाद 12 अगस्त 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सागर आकर मंदिर का भूमिपूजन किया था। 1 सितंबर 2023 से मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया गया। मंदिर निर्माण की समय-सीमा अगस्त 2025 तय की गई है।
डोरमेट्री और भक्त निवास के दो-दो तलों का निर्माण हुआ मप्र टूरिज्म के असिस्टेंट इंजीनियर मनीष डेहरिया ने बताया कि मंदिर निर्माण का कार्य लगातार किया जा रहा है। जिसमें अभी तक निर्माण एजेंसी ने करीब 50 प्रतिशत काम पूरा कर लिया है। उन्होंने बताया कि मंदिर का फाउंडेशन कार्य पूरा हो चुका है। म्यूजियम फाउंडेशन का कार्य चल रहा है। डोरमेट्री के दो तल, भक्त निवास के दो तल, बाउंड्रीवाल, कुंड कालोनेड स्ट्रक्चर फाउंडेशन का कार्य प्रगति पर है। टॉयलेट ब्लॉक स्ट्रक्चर, लाईब्रेरी और कैफेटेरिया का कार्य पूरा हो रहा है। सिकंदरा और भरतपुर के शिल्पकार कर रहे नक्काशी संत रविदास मंदिर निर्माण में उपयोग होने वाले सेंड स्टोन पर नक्काशी करने के लिए राजस्थान के सिकंदरा, भरतपुर और उदयपुर से शिल्पकार सागर आए हैं। 150 से अधिक शिल्पकार मंदिर में लगने वाले पत्थरों को आकार देने में लगे हुए हैं। हालांकि कुछ कारीगर वापस लौट गए हैं। सिकंदरा के शिल्पकार पत्थर को मूर्त रूप देने के लिए देश समेत विदेशों में पहचाने जाते हैं।
लाल पत्थर पर जितना पानी लगता उतनी चमक आती है असिस्टेंट इंजीनियर डेहरिया ने बताया कि मंदिर का निर्माण 10 हजार वर्गफीट जगह पर किया जा रहा है। मंदिर की ऊंचाई 66 फीट रहेगी। मंदिर निर्माण में वंशी पहाड़पुर का पिंक और रेड कलर का पत्थर उपयोग किया जा रहा है। यह पत्थर सेंड स्टोन के नाम से भी पहचाना जाता है। मंदिर बनाने में करीब 70 हजार घनफीट पत्थर का उपयोग किया जाएगा। वंशी पहाड़पुर का सेंड स्टोन आम पत्थरों के मुकाबले काफी मजबूत और अच्छी क्वालिटी का होता है। इस पत्थर की उम्र करीब 5 हजार वर्ष मानी जाती है। साथ ही इस पत्थर पर पानी पड़ने से यह और ज्यादा निखर जाता है। हजारों वर्षों तक एक रूप में ही कायम रहता है। इसमें टूट-फूट नहीं होती है। कारीगर जरुरत के हिसाब से इस पत्थर पर नक्काशी कर लेते हैं।
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- सुंदर वाटिका को सजाया जाएगा। वाटिका में वृक्ष-वनस्पतियां रोपे जाएंगे।
- शिखरनुमा मंदिर होगा। संत रविदास की कमल पुष्प पर प्रतिमा स्थापित की जाएगी।
- मंदिर के पास ही एक अत्याधुनिक संग्रहालय होगा।
- संत रविदास के जीवन प्रसंगों को प्रदर्शित किया जाएगा।
- मध्यप्रदेश के संतों के जीवन और वाणियों को भी दर्शाया जाएगा।
- 15 कमरों वाले भक्त निवास का निर्माण किया जाएगा। क्षमता 80 लोगों की होगी।
- मंदिर परिसर में पुस्तकालय और संगाथ हॉल का निर्माण किया जाएगा।
- मंदिर परिसर में सुरक्षा की दृष्टि से हर कोने में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे।
आकार लेने लगा देश का सबसे बड़ा संत रविदास मंदिर और संग्रहालय।
12500 वर्गफीट में बन रहा भक्त निवास मंदिर परिसर में भक्त निवास का निर्माण लगभग 12500 वर्गफीट में कराया जा रहा है। जिसमें आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए सर्व सुविधायुक्त वातानकुलित 15 कक्ष बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा 80 लोगों के ठहरने के लिए डोरमेट्री (शयन कक्ष) का निर्माण चल रहा है। मंदिर परिसर में आने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए 15000 वर्गफीट में सर्व सुविधायुक्त फूड कोर्ट का निर्माण किया जा रहा है। मंदिर के प्रवेश द्वार के पास लगभग 1940 वर्गफीट के दो गजीबो निर्मित किए जाएंगे। संत रविदास महाराज के जीवन वृतांत का चित्रण सभी परिसर में म्युरल स्कल्प्चर के माध्यम से किया जाएगा।
भक्त निवास के दो तलों का निर्माण लगभग पूरा हुआ।
चार गैलरी का बनाया जा रहा म्यूजियम संत रविदास मंदिर का निर्माण नागर शैली में पत्थरों से किया जा रहा है। साथ ही संस्कृति व रचनात्मक विशेषता के साथ संत रविदास के दर्शन को प्रदर्शित करने वाली एक विशेष शैली के इंटरप्रिटेशन म्यूजियम का निर्माण किया जाएगा। म्यूजियम 20,500 वर्गफीट में बनेगा। जिसमें चार गैलरी भी बनाई जाएंगी। पहली गैलरी में संत रविदास महाराज के जीवन को प्रदर्शित किया जाएगा। दूसरी गैलरी संत रविदास महाराज के भक्ति मार्ग और निर्गुण पंथ में योगदान पर आधारित होगी। तीसरी गैलरी संत रविदास के दर्शन का विभिन्न मतों पर प्रभाव और रविदासिया पंथ पर केंद्रित रहेगी।
चौथी गैलरी में संत रविदास के काव्योचित, साहित्य व समकालीन विवरण का समावेश रहेगा। इसके अलावा दस हजार वर्ग फीट में लाइब्रेरी और संगत हाल बनाया जा रहा है। जिसमें संत रविदास महाराज के भक्ति मार्ग व दार्शनिक विचारों के सभी साहित्य का संकलन उपलब्ध होगा। सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त लायब्रेरी भी होगी। कुंड मंदिर परिसर में संत रविदास मंदिर के समीप जलकुंड का प्रतीकात्मक रूप से निर्माण किया जा रहा है। कुंड ने अपना आकार ले लिया है।