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नकली पनीर के लिए अकेले में तैयार करते थे घोल: गोरखपुर में फैक्ट्री के बाहर बैठा रहता था मालिक, वर्कर्स की एंट्री रहती थी बंद – Gorakhpur News


नकली पनीर बनाने की फैक्ट्री को सील कर दिया गया है। फाइल फोटो

नकली पनीर बनाते समय फैक्ट्री का संचालक काफी सतर्कता बरतता था। पनीर के लिए केमिकल से घोल कैसे तैयार किया जाता था, इसकी जानकारी वर्कर्स को भी नहीं होती थी। हरियाणा से आए दो कारीगरों के जिम्मे घोल तैयार करने का काम था। जब तक घोल तैयार होता था, अंदर किसी

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घोल तैयार करने के बाद जब उसे बॉयलर में डालना होता था तब वर्कर्स को अंदर भेजा जाता था। अत्यंत गोपनीय तरीके से मिलावट के घोल से नकली पनीर तैयार करने का खेल होता था। वहां काम करने वाले भी नहीं जानते थे कि पनीर बनाने वाला घोल किस तरह से तैयार किया जाता था।

नकली पनीर मामले में फैक्ट्री का संचालक और 2 अन्य जेल भेजे जा चुके हैं। फाइल फोटो

25-25 हजार रुपये मिलता था वेतन

मो. खालिद के फैक्ट्री में काम करने वाले हरियाणा के कारीगरों को 25-25 हजार रुपये महीने वेतन मिलता था। उनका काम नकली पनीर के लिए घोल तैयार करना था। कौन से केमिकल का इस्तेमाल किया जाएगा, कौन से केमिकल कितनी मात्रा में डाला जाएगा, यह कारीगर ही तैयार करते थे। जितनी देर तक घोल तैयार करने का काम होता था, उसे सभी की नजरों से दूर रखा जाता था।

खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने नष्ट कराया था 800 लीटर घोल 22 मई को जब खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने बरईपुर में छापा मारा था तो वहा बॉयलर में 800 लीटर घोल पकड़ा गया था। सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा डा. सुधीर कुमार सिंह ने पूरे घोल को नष्ट करा दिया गया था। यह घोल दूध जैसा सफेद था। इसी को बॉयलर में उबालने के बाद इससे पनीर तैयार किया जाता था। दूध की अधिक मात्रा बताने के लिए फर्जी बिल भी तैयार कराया जाता था।

बाकी श्रमिकों को मिलते थे 8 से 10 हजार रुपये फैक्ट्री में काम करने वाले श्रमिकों को 8 से 10 हजार रुपये महीने दिए जाते थे। इस फैक्ट्री में लगभग एक दर्जन श्रमिक काम करते थे। मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी की ओर से संचालक मो. खालिद सहित 5 लोगों पर केस दर्ज कराया गया था। इसमें से 3 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

मो. खालिद अपने पनीर की डिमांड पैदा करता था। वह अक्सर पर्याप्त माल न होने का हवाला देता था। उसका कहना था कि दूध नहीं मिल पा रहा है इसलिए ज्यादा माल तैयार नहीं हो पा रहा। जब खरीदार पनीर की व्यवस्था करने को कहते थे तो वह एहसान जताते हुए कहता था कि किसी तरह पनीर की व्यवस्था करेगा। उसके बाद पनीर उन्हें देता था। वह कसया हाईवे पर गाड़ी में काउंटर भर लगाता था। एक बार में वहां 10 किलो से अधिक पनीर नहीं रखता था। दूसरे जिलों में जो पनीर भेजा जाता था, उसे रात में 4 वाहनों से भेजा जाता था। सुबह होते-होते संबंधित खरीदारों तक पहुंचा दिया जाता था।

अधिकतर खरीदार भी जानते थे असलियत मो. खालिद के जो नियमित खरीदार थे वे उसके पनीर की असलियत जानते थे। उन्हें सस्ते दर पर पनीर मिल भी जाता था। सुबह-सुबह पनीर पहुंचता था तो उसे कुछ घंटों के भीतर वे बेच लेते थे। सस्ता होने के कारण पनीर आसानी से बिक जाता था। यदि कोई नया खरीदार पनीर की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाता था तो उसे पनीर वापस करने की धौंस दी जाती थी।

पुलिस चार्जशीट फाइल करने की कर रही तैयारी इस मामले में पुलिस ने जांच तेज कर दी है। तीन लोगों को जेल भेजा जा चुका है। पुलिस जल्द से जल्द इस मामले में चार्जशीट फाइल करने की तैयारी में है। अभी कुछ और नाम भी सामने आ सकते हैं। गुरुवार की रात 3 गाड़ियों से लखनऊ से टीम बरईपुर पहुंची थी और खालिद के परिवार से पूछताछ कर लौट गई।

9 और नमूनों का आना है परिणाम सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा डा. सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि फैक्ट्री से 10 नमूने लिए गए थे। पनीर के नमूने का परिणाम आ गया है। वह मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मिला है। शेष 9 नमूनों के परिणाम का इंतजार है। जल्द ही रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी।



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