नालंदा जिले में एक युवा किसान ने कृषि क्षेत्र में नई मिसाल कायम की है। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद खेती से जुड़े सरमेरा प्रखंड के हुसैना निवासी अमेश विशाल ने एप्पल बेर की खेती से न केवल परंपरागत कृषि की सोच को बदला है, बल्कि क्षेत्र के किसानों के लिए
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अमेश ने अपने एक एकड़ के बाग में लगभग 300 एप्पल बेर के पेड़ लगाए हैं, जिनमें दो प्रभेद – हरे और लाल रंग के फल शामिल हैं। आधुनिक कृषि तकनीकों का प्रयोग करते हुए उन्होंने ड्रिप इरिगेशन सिस्टम से सिंचाई की व्यवस्था की है, जो पानी की बचत में सहायक है। वे रासायनिक खादों के स्थान पर जैविक खाद का प्रयोग कर रहे हैं।
अमेश ने बताया कि इस वर्ष मौसम की प्रतिकूलता के बावजूद हमें लगभग दो टन उपज की आशा है। उनके बाग से जनवरी से अब तक एक टन से अधिक एप्पल बेर बेगूसराय, पटना के बाढ़ और मोकामा के व्यापारियों को भेजा जा चुका है। शिवरात्रि और आगामी त्योहारों के लिए भी कई जिलों से मांग आ रही है।
विटामिन ए,बी,सी से प्रचुर है फल, एक पेड़ 25 वर्षों तक देगा फल।
55 से 60 रुपए प्रति किलो कीमत
अमेश ने बताया की व्यवसायिक दृष्टिकोण से यह खेती काफी लाभदायक साबित हो रही है। थोक में 40 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रहे एप्पल बेर बाजार में 55 से 60 रुपए प्रति किलो तक की कीमत पर उपलब्ध हैं। सामान्य मौसम में एक सीजन में तीन टन तक उपज मिल जाती है, जिससे तीन से चार लाख रुपए तक की आमदनी संभव है।
एप्पल बेर की विशेषता है कि इसमें सामान्य बेर की तुलना में कांटे कम होते हैं और फल का आकार बड़ा होता है। पोषण की दृष्टि से यह विटामिन ए, बी, सी और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होता है। एक बार लगाए गए पेड़ से उचित देखभाल के साथ 25 वर्षों तक फल प्राप्त किया जा सकता है।