अप्रैल का अंतिम प्रदोष व्रत वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाएगा. यह शुक्रवार के दिन होने के कारण शुक्र प्रदोष व्रत होगा. पंचांग के अनुसार, हर माह में त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. एक माह में 2 बार त्रयोदशी तिथि आती है, एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में. इस तरह से एक माह में 2 प्रदोष व्रत होते हैं. इस बार अप्रैल के अंतिम प्रदोष व्रत पर पंचक है और पूजा के लिए 2 घंटे 10 मिनट का शुभ मुहूर्त है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि अप्रैल का अंतिम प्रदोष व्रत या शुक्र प्रदोष व्रत कब है? शिव पूजा का मुहूर्त, मंत्र और महत्व क्या है?
अप्रैल का अंतिम प्रदोष 2025 तारीख
दृक पंचांग के अनुसार, इस बार 25 अप्रैल दिन शुक्रवार को 11 बजकर 44 एएम पर वैशाख शुक्ल त्रयोदशी तिथि शुरू हो रही है. यह तिथि 26 अप्रैल दिन शनिवार को सुबह 8 बजकर 27 मिनट पर खत्म होगी. प्रदोष पूजा मुहूर्त के आधार पर अप्रैल का अंतिम प्रदोष व्रत यानि शुक्र प्रदोष व्रत 25 अप्रैल को रखा जाएगा.
शुक्र प्रदोष व्रत 2025 मुहूर्त
यदि आप 25 अप्रैल को शुक्र प्रदोष का व्रत रखना चाहते हैं तो आपको शिव पूजा के लिए 2 घंटे 10 मिनट का ही शुभ मुहूर्त प्राप्त होगा. प्रदोष व्रत पर शिव पूजा शाम के समय में करते हैं. शुक्र प्रदोष की पूजा का मुहूर्त शाम 6 बजकर 53 मिनट से रात 9 बजकर 3 मिनट तक है. इस समय में पूजा कर लेनी चाहिए.
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शुक्र प्रदोष के दिन ब्रह्म मुहूर्त 04:19 ए एम से 05:02 ए एम तक है. उस दिन का शुभ समय यानि अभिजीत मुहूर्त 11:53 ए एम से दोपहर 12:45 पी एम तक है. प्रदोष के दिन निशिता मुहूर्त 11:57 पी एम से देर रात 12:40 ए एम तक है.
पंचक में शुक्र प्रदोष व्रत 2025
यह शुक्र प्रदोष व्रत पंचक में है. पूरे दिन ही पंचक रहेगा. हालांकि यह पंचक बुधवार से शुरू हुआ है, तो इसका कोई अशुभ प्रभाव नहीं होता है. इसमें आप शुभ कार्य कर सकते हैं. हालांकि शिव पूजा मे राहुकाल, पंचक आदि बाधा नहीं होते हैं.
शुक्र प्रदोष व्रत पर बनेगा इंद्र योग
शुक्र प्रदोष वाले दिन इंद्र योग बन रहा है. उस दिन प्रात:काल से लेकर दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक इंद्र योग रहेगा. उसके बाद से वैधृति योग बनेगा. प्रदोष के दिन पूर्व भाद्रपद नक्षत्र सुबह 8 बजकर 53 मिनट तक है, उसके बाद उत्तर भाद्रपद नक्षत्र है.
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शुक्र प्रदोष व्रत पर रुद्राभिषेक समय 2025
शुक्र प्रदोष को पूरे दिन शिववास होगा. उस दिन शिववास नंदी पर 11:44 ए एम तक है, उसके बाद भोजन में है. प्रदोष को आप कभी भी रुद्राभिषेक करा सकते हैं.
शिव पूजा मंत्र
1. ओम नम: शिवाय
2. ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
शुक्र प्रदोष व्रत का महत्व
शुक्रवार का प्रदोष व्रत रखकर शिव जी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि बढ़ती है. वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है. शिव कृपा से रोग और दोष मिटते हैं. जो भी मनोकामनाएं होती हैं, वह पूर्ण हो जाती हैं.