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‘पति का मर्डर, सास-ससुर जमीन में हिस्सा नहीं दे रहे’: जमीन सर्वे के कॉल सेंटर पर रोजाना आ रहीं 4000 शिकायतें; सबसे ज्यादा बंटवारे के मामले – Bihar News


राज्स्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से बनाया गया हेल्प डेस्क।

केस-1 ‘सर, मेरी मां का निधन हो गया है। तीन भाइयों ने मिलकर मां की फर्जी साइन कर पूरी जमीन अपने नाम करवा ली है। मेरी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि मैं दीवानी मामला सालों तक कोर्ट में लड़ सकूं।’

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केस-2 ‘मेरे पति की हत्या की जा चुकी है। अब मेरे पति के हिस्से की जमीन सास-ससुर नहीं दे रहे हैं। मेरा भरण-पोषण कैसे होगा।’

केस-3 ‘हमारे घर में जमीन की खरीद की गई, लेकिन खरीददार और बेचने वाले दोनों की मौत हो चुकी है। भू-माफिया ने जमीन हड़प ली है। हम काफी सहमे हुए हैं।’

ये कुछ केसेस हैं, जो राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा चलाए जा रहे कॉल सेंटर से सामने आए हैं। इन कॉल सेंटर पर जमीन सर्वे से जुड़ी शिकायत की जा सकती हैं।

बिहार में जमीन सर्वे का काम चल रहा है। जमीन की दाखिल खारिज से लेकर संशोधन तक में शिकायतें आती रही हैं।

बिहार में जमीन से जुड़े अपराध ज्यादा

आंकड़ों की माने तो राज्य में जितने अपराध होते रहे हैं, उसमें से ज्यादातर के तार जमीन विवाद से जुड़े रहे हैं। भ्रष्टाचार के भी आरोप लगे हैं। कई अफसरों पर कार्रवाई भी हुई है।

अब सरकार ने शिकायत सुनने और समाधान देने के लिए टॉल फ्री नंबर 188003456215 जारी किया है।

एक जून को इस टॉल फ्री नंबर की शुरुआत सरकार ने की। सुबह 9.30 बजे से लेकर शाम 6.00 बजे तक इस पर फोन किया जा सकता है।

रोज 4 हजार कॉल आ रहे

पटना के सगुना मोड़ के पास इसकी हेल्प डेस्क बनाई गई है जहां 8 डेस्क हैं, लेकिन यहां हर दिन 3500 से 4000 कॉल आ रहे हैं।

यह संख्या इतनी बड़ी है कि नाक में जैसे दम है। इसमें से 400-500 कॉल का ही जवाब दिया जा रहा है। एक एक्जीक्यूटिव 50 से 60 कॉल का जवाब प्रतिदिन दे रहे हैं।

लोग जब फोन कर रहे हैं तो कई बार काफी उलझे हुए मामले सामने आ रहे हैं।

ज्यादातर शिकायतें पारिवारिक बंटवारे कीं

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह कहते हैं, ‘2 अंचलाधिकारी कुमारी सुजाता और सुधीर कुमार ओंकार को भी इस काम में लगाया गया है। कोशिश रहती है कि उलझे हुए सवालों का सही जवाब दिया जा सके।’

‘जमीन से जुड़े मामलों का निपटारा जल्द से जल्द पारदर्शी तरीके से हो सके। ज्यादातर मामले दाखिल खारिज से जुड़े आ रहे हैं।’

‘पारिवारिक बंटवारे को लेकर लोग ज्यादा परेशान हैं। ऐसे लोग जब फोन करते हैं तो उन्हें उचित सलाह दी जा रही है।’

बिहार CSC के स्टेट हेड संतोष तिवारी ने भास्कर से बातचीत में बताया कि किस-किस मामले में ज्यादा फोन आ रहे हैं। उन्होंने हमारे साथ इन समस्याओं के समाधान भी साझा किए…

1. सबसे अधिक फोन ऑनलाइन सर्वे में भूमि संबंधी जानकारी रजिस्टर टू से जानने को लेकर आते हैं। लोग शिकायत करते हैं कि खाता, खेसरा आदि का पूरा ब्योरा नहीं दिख रहा।

समाधान- ऐसे लोगों को ऑनलाइन परिमार्जन प्लस पर आवेदन करने की सलाह दी जाती है।

2. परिमार्जन अप्लाई के बाद समय से समाधान CO ऑफिस से नहीं होने पर जमीन मालिक फोन करते हैं।

समाधान- जन शिकायत पोर्टल पर इनका टिकट जनरेट कर विभाग को भेजा जाता है। शिकायतकर्ता को इसकी जानकारी दी जाती है।

3. फोन करते हैं कि जमीन के म्यूटेशन के लिए अप्लाई कर दिया गया, लेकिन समय से नहीं हो रहा, क्या करें?

समाधान- इन्हें बताया जाता है कि CO के डैश पर यह 15 दिनों तक रहता है। इसलिए 15 दिन इंतजार करें।

4. लोग फोन कर पूछते हैं कि जमीन का सर्वे कहां कराएं?

समाधान- इन्हें बताया जाता है कि ऑनलाइन अप्लाई कर सर्वे करवा सकते हैं। इसके अलावा कॉमन सर्विस सेंटर पर जा सकते हैं या अमीन से मिलें।

5. जमीन की पूरी जानकारी ऑनलाइन नहीं दिख रही है,रजिस्टर टू में डेटा सही से नहीं चढ़ा है, क्या करें?

समाधान- ऑनलाइन अप्लाई की सलाह दी जाती है।

6. रजिस्टर्ड टिकट के बावजूद CO या DCLR से नहीं मिल पा रहे हैं, लंबे समय से DCLR के यहां मामला लंबित है।

समाधान- फिर से टिकट जेनरेट किया जाता है।

शिकायत दर्ज करने के बाद क्या होता है

बता दें फोन आने पर सेंटर डिटेल जानकारी लेने के बाद जन शिकायत पोर्टल पर टिकट जेनरेट किया जाता है ताकि समाधान हो सके।

लोगों को सबसे अधिक राहत यह मिलती है कि CO ऑफिस के चक्कर नहीं लगाने पड़ते हैं।

1 मिनट की जगह 25 मिनट लग रहे

टॉल फ्री नंबर पर कोशिश यह की जा रही है कि एक मिनट में एक कॉल का समाधान कर लिया जाए, लेकिन स्थिति यह है कि लोग विस्तार से बातें बता रहे हैं और 25-30 मिनट का समय इसमें ले रहे हैं।

खास तौर से पारिवारिक जमीन विवाद के मामलों में लोग पूरे विस्तार से सभी बात बताना चाहते हैं।

जमीन सर्वे से जुड़ी परेशानियों को पॉर्टल पर शिकायत कर सकते

भूमि सर्वे के काम को स्मूथ बनाने और जमीन से जुड़ी परेशानियों को दूर करने के लिए विभाग ने ‘राजस्व शिकायत प्रबंधन प्रणाली’ पोर्टल की शुरुआत की है।

विभागीय मंत्री संजय सरावगी कहते हैं, ‘पोर्टल के आने से लोगों को सरकारी ऑफिस के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। लोग घर बैठे शिकायत दर्ज कर सकते हैं। शिकायतों का न सिर्फ तुरंत समाधान होगा, बल्कि हर चरण की जानकारी लोगों को समय पर मिलेगी।’

अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने बताया, ‘इस पोर्टल से परिमार्जन प्लस, भू-लगान और दाखिल खारिज से संबंधित सभी राजस्व संबंधित शिकायतों को दर्ज करने और उनकी प्रगति को देखने में लोगों को सहूलियत होगी। लोगों की सबसे अधिक शिकायतें इससे जुड़ी हैं।’

पोर्टल से बड़ा फायदा यह होगा कि दर्ज शिकायतों के डेटा का विश्लेषण करके, विभाग अपनी नीतियों और प्रक्रियाओं में सुधार कर सकता है और भविष्य में होने वाली समान शिकायतों को कम कर सकता है।

अब तक क्या-क्या हुआ…

जमीन सर्वे के पहले फेज में 89 अंचलों में काम शुरू हुआ था। पहले एक अंचल में दो से तीन शिविर लगाए गए थे, फिलहाल एक शिविर लगाकर काम हो रहा है। दो फेज में सर्वे का काम पूरा कर लेना है।

पहले फेज में 5 हजार 657 मौजा का सर्वे शुरू किया गया, जिसमें से एक हजार 190 राजस्व ग्राम (मौजा) का अंतिम खतियान तैयार कर अंचल कार्यालय को भेज दिया गया है। बाकी 35 हजार राजस्व ग्रामों (मौजा) में विशेष सर्वेक्षण का कार्य सितंबर में शुरू किया गया है।

एक मई 2025 तक भू-अभिलेख की वेबसाइट पर 17 करोड़ 99 लाख 5 हजार 405) स्कैन कर अपलोड किए जा चुके हैं। इसमें खतियान, कैडस्ट्रल खतियान (प्रथम खतियान), रिविजनल खतियान, रजिस्टर-2 और अन्य राजस्व अभिलेख शामिल हैं।

अरवल और शेखपुरा बिहार के दो सबसे छोटे जिले हैं, जिसमें सर्वे पहले फेज में ही प्रारंभ किया गया था। नंबर ऑफ फाइल 51 लाख 86 हजार 732 हैं। वैशाली के सबसे अधिक 1 करोड़ 21 लाख 12 हजार 085 पेज अपलोड हुए हैं। इसके बाद पश्चिम चंपारण है, जहां 1 करोड़ 2 लाख 97 हजार 812 पेज अपलोड हुए हैं।

मुजफ्फरपुर के 1 करोड़ 28 हजार 290 पेज अपलोड हुए हैं। लखीसराय से सबसे कम पेज 12 लाख 29 हजार 554 अपलोड हुए हैं। राजधानी पटना पर गौर करें तो 41 लाख 42 हजार 989 पेज अपलोड किए गए हैं।

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लॉर्ड डफरिन 1884 में भारत के वायसराय बन कर आए थे। अंग्रेज भारतीयों से ज्यादा से ज्यादा लगान वसूलना चाहते थे। डफरिन ने आते ही पूरे देश में लैंड सर्वे का आदेश दिया। 1885 से सर्वे शुरू हो गया। यह देश और संयुक्त बिहार (बंगाल, बिहार, ओडिशा) में पहला लैंड सर्वे था। इसे पूरा करने में 40 साल लगे यानि ये 1925 में पूरा हुआ। अंग्रेजों के बाद 1959 में बिहार के पहले सीएम श्री कृष्ण सिंह ने भी लैंड सर्वे की शुरुआत की थी, लेकिन पूरे राज्य में यह हो नहीं पाया था। पूरी खबर पढ़िए



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