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पदोन्नति की गोपनीयता पर कर्मचारी संघ ने उठाए सवाल: 2016 की स्थिति के आधार पर ही मांगा प्रमोशन, कहा- कर्मचारी क्यों भुगते सजा – Bhopal News



मंत्रालय कर्मचारी सेवा संघ के पदाधिकारी।

मध्यप्रदेश में 9 साल से रुकी पदोन्नति शुरू करने को लेकर मुख्यमंत्री की गई घोषणा के बाद अब तक प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। ऐसे में कर्मचारी संगठनों ने सरकार के फैसले पर संशय बताया है।

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कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सरकार को पदोन्नति 2016 की स्थिति के आधार पर ही देना चाहिए, जो कर्मचारी जिस दिनांक से पदोन्नति का हकदार था उसे उसी बैकडेट से पदोन्नति मिलना चाहिए। भले ही सरकार इतने सालों का एरियर न दे लेकिन पदोन्नति के पद पर उसकी वरिष्ठता तभी से गिनी जाए जिस तारीख को वह पदोन्नति का हकदार हो चुका था।

मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ ने कहा है कि सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि पदोन्नति के लिए वरिष्ठता किस दिनांक से गिनी जाएगी। उच्च न्यायालय द्वारा बार-बार स्पष्ट कर दिया है कि उनके द्वारा पदोन्नति पर कोई रोक नहीं लगाई गई थी।

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा भी सूचना का अधिकार के तहत दी गई जानकारी में साफ़ कर दिया कि उनके द्वारा भी कोई रोक नहीं लगाई गई थी। फिर रोक किसने लगाई थी? इतने सालों तक पूरे प्रदेश में पदोन्नतियां क्यों नहीं हुईं और यदि बिना किसी वैधानिक कारण के पदोन्नतियां बंद रखीं गई तो फिर इसकी सजा कर्मचारी क्यों भुगते?

यह है कर्मचारी संगठन की मांग

  • मंत्रालय कर्मचारी सेवा संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक और कार्यकारी अध्यक्ष राजकुमार पटेल का कहना है कि पदोन्नतियां उसी दिनांक से शुरू होनी चाहिए जिस दिनांक से अनधिकृत रूप से रोकी गई थीं। जो कर्मचारी जिस दिनांक से पदोन्नति का हकदार था उसे उसी बैक डेट से पदोन्नति मिलना चाहिए।
  • भले ही सरकार इतने सालों का एरियर न दे लेकिन पदोन्नति के पद पर उसकी वरिष्ठता तभी से गिनी जाए जिस दिनांक को वह हकदार हो चुका था।
  • वर्ष 2016, वर्ष 2017 से वर्ष 2025 तक के लिए अलग-अलग 10 डीपीसी आयोजित होनी चाहिए।
  • इससे जो लोग पात्र होते हुए भी बिना पदोन्नति पाये रिटायर हो गए उन्हें भी न्याय मिल सकेगा।
  • जो कर्मचारियों को प्रथम द्वितीय या तृतीय समयमान वेतनमान पा चुके हैं और उच्च वेतन लेकर भी निम्न पद का काम कर रहे हैं उनके लिए भी पदोन्नति के फार्मूले में प्रावधान किया जाना चाहिए।
  • ऐसा नहीं किया गया तो एक नई विसंगति का निर्माण होगा। कम वेतन वाले के अंडर में उच्च वेतन वाले को काम करना पड़ेगा।
  • समयमान वेतनमान के अनुरूप पदनाम देकर इस समस्या का निराकरण किया जा सकता है।
  • यह व्यवस्था राज्य प्रशासनिक सेवा, कोष एवं लेखा, स्वास्थ्य विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग, जनजातीय कार्य विभाग इत्यादि में पूर्व से ही चल रही है।

फिर निराशा और संदेह में बदल रहा माहौल

संघ के नेता सुधीर नायक और राजकुमार पटेल ने कहा है कि मुख्यमंत्री द्वारा शीघ्र पदोन्नतियां करने का संदेश देने के बाद कर्मचारियों में जो प्रसन्नता और उत्साह का वातावरण बना था, वह धीरे-धीरे निराशा और संदेह में बदल रहा है। मुख्यमंत्री के संदेश के बाद दो सप्ताह व्यतीत हो चुके हैं परंतु अब पदोन्नति को लेकर कोई हलचल नजर नहीं आ रही है।

अभी तक यही स्पष्ट नहीं हो पाया है कि पदोन्नतियां किस फाॅर्मूले के तहत होगीं। पूरी प्रक्रिया को इस कदर गोपनीय और रहस्यमय रखा जा रहा है कि तरह-तरह के संदेह उत्पन्न हो रहे हैं और तरह- तरह की अफवाहें जन्म ले रही हैं। मुख्यमंत्री के स्पष्ट संदेश के बाद भी विलंब होने से नौकरशाही की नेकनीयती संदेह के घेरे में आती जा रही है।

मुख्यमंत्री ने यह की थी घोषणा

सीएम डॉ. मोहन यादव ने सत्रह दिन पहले बयान जारी कर कहा था कि पदोन्नति में बनी बाधा को हटाने का रास्ता निकाल लिया है। जल्द ही कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि आठ साल से अधिक समय से कर्मचारियों, अधिकारियों की पदोन्नति का मसला उलझा हुआ है। अब सरकार ने उनके प्रमोशन करने का फैसला लिया है।

अधिकारी कर्मचारी लंबे अरसे से प्रमोशन से वंचित रहे हैं। हजारों अधिकारी कर्मचारी प्रमोशन के बिना रिटायर भी हो गए हैं। सीएम ने कहा कि अब सरकार ने अलग-अलग स्तर पर चर्चा के बाद समस्या का समाधान निकाला है। उन्होंने कहा कि मंत्रियों, डिप्टी सीएम और सभी वर्गों के साथ मिलकर प्रमोशन का रास्ता तलाशा है। धीरे-धीरे प्रमोशन के नजदीक आ गए हैं। जल्दी ही प्रमोशन के लिए कैबिनेट से मंजूरी देकर प्रमोशन करने का काम करेंगे।



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