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पहली बार शिबू सोरेन ने नहीं किया प्रचार: झारखंड चुनाव में चील, कौवे-गिद्ध से लेकर बंटी-बबली, आतंकी और बंटेंगे तो कटेंगे का नारा – Ranchi News


18 नवंबर की शाम 5 बजे दूसरे चरण का प्रचार खत्म हो जाएगा। एक महीने तक चले प्रचार में दोनों तरफ से जमकर वार किए गए।

झारखंड विधानसभा चुनाव का प्रचार कल 18 नवंबर की शाम 5 बजे समाप्त हो जाएगा। यह चुनाव थोड़ा हटकर है। नारों से लेकर केंद्रीय एजेंसियां तक पूरे चुनाव में सक्रिय रहीं। चील, कौवे, गिद्ध से लेकर बंटेंगे तो कटेंगे और आतंकी जैसे शब्द सुनाई दिए।

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वहीं, ऐसा पहली बार हुआ जब झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) अध्यक्ष शिबू सोरेन चुनाव से बाहर हैं। पार्टी ने बैनर-पोस्टर में उन्हें प्रमुखता से स्थान दिया है, लेकिन ​गुरुजी ने किसी प्रत्याशी के लिए प्रचार नहीं किया। किसी मंच पर दिखाई भी नहीं दिए। हालांकि, इसकी वजह बढ़ती उम्र और खराब स्वास्थ्य है।

अब ग्रॉफिक्स के जरिए जानिए वो बयान जो सबसे ज्यादा चर्चा में रहे…

सीनियर जर्नलिस्ट शंभूनाथ चौधरी कहते हैं, ‘भाषणों के गिरते स्तर को लेकर सबको सोचने की जरूरत है। चुनाव आयोग को भी इस पर कोई नियम बनाना चाहिए। ताकि समाज में इस तरह की बातें ना फैले। यह सभ्य समाज के लिए ठीक नहीं है।’

इस वजह से भी थोड़ा हटकर है चुनाव….

1. राधाकृष्ण किशोर हर चुनाव में अलग-अलग दल से लडे़

राधाकृष्ण किशोर ऐसे एक मात्र राजनेता रहे हैं, जो हर चुनाव अलग-अलग पार्टियों की टिकट पर छतरपुर विस क्षेत्र से लड़ चुके हैं। किशोर 2005 का चुनाव जदयू से लड़े और जीते। 2009 में कांग्रेस से लड़े और तीसरे स्थान पर रहे। 2014 में भाजपा की टिकट पर लड़े और जीत गए। 2019 में राधाकृष्ण किशोर ने पार्टी बदली। आजसू की टिकट पर चुनाव लड़े। इस बार वह कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हैं।

2. कुछ ऐसे नेता जिन्होंने हर विधानसभा चुनाव में भाग्य आजमाया

राज्य में कुछ ऐसे भी नेता हैं जो हर विधानसभा चुनाव में खड़े हुए। इनमें रामचंद्र चंद्रवंशी, राधाकृष्ण किशोर, स्टीफन मरांडी, सीपी सिंह, नीलकंठ सिंह मुंडा, मनोज यादव, चंपाई सोरेन, लोबिन हेंब्रम, रबींद्र नाथ महतो, प्रदीप यादव और सुदेश महतो प्रमुख हैं।

3. पहली बार सबसे कम समय में चुनाव

पहला अवसर है जब कम अंतराल में मतदान की प्रक्रिया पूरी हो रही है। पहले चरण का मतदान 13 और दूसरे चरण का 20 नवंबर को संपन्न होगा। 8 दिनों के भीतर मतदान संपन्न हो जाएगा। इससे पूर्व 2005 में 3 से 23 फरवरी के बीच तीन चरणों में प्रक्रिया पूरी हुई थी। इसमें 21 दिन लगे थे। 2009 में पांच चरण में 27 नवंबर से 18 दिसंबर के बीच मतदान हुआ था। इसमें 22 दिन का समय लगा था। 2014 में 25 नवंबर से 20 दिसंबर तक पांच चरणों में मतदान हुआ था। 26 दिन लगे थे।



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