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वेटिकन2 मिनट पहले
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सेंट पीटर्स बेसिलिका में रखा पोप का शव। शुक्रवार रात को ताबूत को बंद कर दिया गया।
ईसाई कैथोलिक धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का आज अंतिम संस्कार किया जाएगा। वेटिकन के सेंट पीटर्स स्क्वायर में स्थानीय समयानुसार सुबह 10 बजे (भारतीय समय के मुताबिक दोपहर 1:30 बजे) अंतिम संस्कार की रस्में शुरू होंगी।
पोप के अंतिम संस्कार में करीब 2 लाख श्रद्धालुओं के जुटने की उम्मीद है। इसमें 170 देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इनमें भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिलेई, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों शामिल हैं।
अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के बाद पोप का लकड़ी का सादा ताबूत धीरे-धीरे रोम की सांता मारिया मैगियोरे बेसिलिका तक ले जाया जाएगा, जहां उन्हें दफनाया जाएगा। ये सेंट पीटर्स स्क्वायर से करीब 4 किमी दूर है। बीते 100 साल में वे पहले पोप होंगे जिन्हें वेटिकन के बाहर दफनाया जाएगा।
पोप का 21 अप्रैल को 88 साल की उम्र में स्ट्रोक और हार्ट फैलियर से निधन हुआ था। बीते तीन दिन से उनके पार्थिव शरीर को ताबूत में अंतिम दर्शन के लिए सेंट पीटर्स बेसिलिका में रखा गया था।
पोप का शव सेंट पीटर्स स्क्वायर में रखे जाने की तस्वीरें…
पोप के घर सांता मार्था कासल में उनके शव को ताबूत में रखा गया। पादरियों ने उनके पास प्रार्थनाएं कीं।
वेटिकन के स्विस गार्ड्स की सुरक्षा में पोप का शव वेटिकन स्क्वायर लाया गया।
पोप का शव ले जाते समय पादरियों ने विशेष प्रार्थनाएं पढ़ीं।
सेंट पीटर्स बेसिलिका के अंदर पोप का शव तीन दिन तक उनके अंतिम दर्शन के लिए रखा गया।
सेंटर पीटर्स बेसिलिका में पोप के अंतिम दर्शन के लिए लगी भीड़…
सेंट पीटर्स बैसिलिका में पोप के अंतिम दर्शन के लिए लंबी कतारें लगी रहीं।
सेंट पीटर्स बेसिलिका में पोप की बॉडी रखे जाने के तीन दिनों में करीब डेढ़ लाख लोगों ने उनके अंतिम दर्शन किए।
पोप ने वेटिकन से बाहर दफन होने की इच्छा जताई थी
आमतौर पर पोप के शव को वेटिकन सिटी में सेंट पीटर्स बेसिलिका के नीचे गुफाओं में दफनाया जाता है। लेकिन पोप फ्रांसिस को रोम में टाइबर नदी के दूसरी तरफ मौजूद सांता मारिया मैगियोरे बेसिलिका में दफनाया जाएगा।
पोप ने खुद को यहां दफन किए जाने की इच्छा का खुलासा दिसंबर 2023 में किया था। उन्होंने बताया था कि वे मैगियोरे बेसिलिका से खास जुड़ाव महसूस करते हैं। वे वर्जिन मैरी के सम्मान में हर रविवार की सुबह इस बेसिलिका आते थे।
सांता मारिया मैगियोरे बेसिलिका में 7 अन्य पोप को भी दफनाया गया है। पोप लियो XIII आखिरी पोप थे जिन्हें वेटिकन से बाहर दफनाया गया था। उनकी मृत्यु 1903 में हुई थी।
पोप फ्रांसिस की अंतिम यात्रा उनसे पहले के पोप से अलग होगी। पिछले साल अप्रैल में परंपराएं तोड़ते हुए उन्होंने पोप का अंतिम संस्कार साधारण तरीके से किया जाने से जुड़े नियम तय किए थे।
उन्होंने कहा था कि अंतिम संस्कार की प्रक्रिया सम्मानजनक हो, लेकिन जरूरत से ज्यादा भव्य नहीं। पोप का अंतिम संस्कार ऐसे हो, जैसे चर्च के किसी भी सामान्य बेटे या बेटी का होता है।
इससे पहले तक पोप को तीन ताबूतों में दफनाया जाता था- पहला लकड़ी का (साइप्रस), फिर लेड धातु यानी सीसे का, और फिर ओक की लकड़ी का। लेकिन पोप फ्रांसिस ने खुद कहा था कि वे केवल एक साधारण लकड़ी के ताबूत में दफनाए जाना चाहते हैं, जिसमें अंदर जिंक की परत होगी।
सांता मारिया मैगीगोर बेसिलिका वेटिकन से 6 किमी दूर रोम में स्थित है। यहीं पोप फ्रांसिस का शव दफनाया जाएगा।
पोप के फ्यूनरल में हजारों की संख्या में सुरक्षाबल तैनात होगा
पोप के अंतिम संस्कार के लिए वेटिकन और रोम में बड़ी संख्या में सिक्योरिटी तैनात होगी। इसमें हजारों की संख्या में इटैलियन पुलिस और मिलिट्री और वेटिकन के स्विस गार्ड शामिल होंगे।
सेंट पीटर्स स्क्वायर में तैनात किए गए सैनिकों के पास बंदूकें होंगी, जो ड्रोन को मार गिराने में सक्षम होंगी। जबकि, इमारतों की छतों पर स्नाइपर्स और फाइटर जेट्स को स्टैंडबाई पर रखा गया है।
सेंट पीटर्स बेसिलिका के अंदर और बाहर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेड्स पहले ही लगाए जा चुके हैं और सिक्योरिटी चेक बढ़ा दिए गए हैं।
रोम और वेटिकन में अत्याधुनिक सुरक्षा और रक्षा प्रणालियां तैनात की गई हैं, जिनमें एंटी-ड्रोन हथियार, नो-फ्लाई जोन बनाया गया है जिसमें फाइटर जेट्स गश्त लगा रहे हैं और एडवांस्ड जैमिंग टेक्नीक शामिल हैं। आतंकवाद और तोड़फोड़ विरोधी विशेष टीमें भी पहले से ही तैनात हैं।
अब से लेकर अगले महीने की शुरुआत में होने वाले कॉन्क्लेव (जिसमें अगले पोप का चुनाव होगा) तक बेसिलिका और उसके आसपास के इलाके में 2,000 से ज्यादा पुलिसकर्मी गश्त करेंगे। डिप्लोमैटिक काफिलों का ट्रैफिक मूवमेंट कंट्रोल करने के लिए 400 ट्रैफिक पुलिसकर्मी भी तैनात होंगे।
मई 2013 में सांता मारिया मैगियोरे बेसिलिका में प्रार्थना के दौरान पोप फ्रांसिस।
1000 साल में पोप बनने वाले पहले गैर-यूरोपीय थे पोप फ्रांसिस
पोप फ्रांसिस अर्जेंटीना के एक जेसुइट पादरी थे, वो 2013 में रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप बने थे। उन्हें पोप बेनेडिक्ट सोलहवें का उत्तराधिकारी चुना गया था। पोप फ्रांसिस बीते 1000 साल में पहले ऐसे इंसान थे जो गैर-यूरोपीय होते हुए भी कैथोलिक धर्म के सर्वोच्च पद पर पहुंचे।
पोप का जन्म 17 दिसम्बर 1936 को अर्जेंटीना के फ्लोरेंस शहर में हुआ था। पोप बनने से पहले उन्होंने जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो नाम से जाना जाता था। पोप फ्रांसिस के दादा-दादी तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी से बचने के लिए इटली छोड़कर अर्जेंटीना चले गए थे। पोप ने अपना ज्यादातर जीवन अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में बिताया है।
वे सोसाइटी ऑफ जीसस (जेसुइट्स) के सदस्य बनने वाले और अमेरिकी महाद्वीप से आने वाले पहले पोप थे। उन्होंने ब्यूनस आयर्स यूनिवर्सिटी से दर्शनशास्त्र और धर्मशास्त्र में मास्टर डिग्री हासिल की थी। साल 1998 में वे ब्यूनस आयर्स के आर्कबिशप बने थे। साल 2001 में पोप जॉन पॉल सेकेंड ने उन्हें कार्डिनल बनाया था।
पोप के अंतिम संस्कार के बाद अब आगे क्या?
पोप के अंतिम संस्कार समारोह के बाद से नोवेंडियालेस की शुरुआत होगी। नौ दिन तक प्रार्थनाओं और विशेष मास का दौर चलेगा जो पोप फ्रांसिस की आत्मा की शांति के लिए आयोजित किए जाएंगे। इसके बाद उनका उत्तराधिकारी यानी अगला पोप चुनने की प्रक्रिया पर ध्यान दिया जाएगा।
नए पोप के चुनाव के लिए होने वाली कॉन्क्लेव आमतौर पर पिछले पोप के निधन के 15 से 20 दिनों के अंदर शुरू होती है। सभी कार्डिनल पोप के चुनाव के लिए जुटते हैं, तो वे सिस्टीन चैपल में गोपनीयता की शपथ लेते हैं और विचार-विमर्श शुरू करते हैं। यह प्रक्रिया कई दिन तक चल सकती है।
कार्डिनल्स बड़े पादरियों का एक ग्रुप है। इनका काम पोप को सलाह देना है। हर बार इन्हीं कार्डिनल्स में से पोप चुना जाता है। हालांकि, पोप बनने के लिए कार्डिनल होना जरूरी नहीं है। 1379 में अर्बन VI आखिरी पोप थे, जिन्हें कार्डिनल्स कॉलेज से नहीं चुना गया था।
नए पोप का चयन होने के बाद कार्डिनल्स कॉलेज का एक प्रतिनिधि सेंट पीटर्स बेसिलिका की बालकनी से हजारों लोगों के सामने लैटिन भाषा में घोषणा करता है- ‘बेमस पापम’ यानी- ‘हमारे पास एक पोप है।’
इसके बाद चुने गए पोप, एक नया पोप नेम चुनते हैं। ये आम तौर पर किसी पुराने सेंट या पोप के सम्मान में उनके नाम पर होता है। नए पोप एक नया कासक (पूरा शरीर ढकने वाली पोशाक) पहनकर जनता को बेसिलिका की बालकनी से पहला संबोधन देते हैं।