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बच्चे कैसे बनेंगे खिलाड़ी…: सत्र खत्म लेकिन स्कूलों में न बैट पहुंचा न बॉल – Raipur News



शिक्षा का पूरा सत्र गुजर गया और परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं लेकिन इस साल स्कूलों में बच्चों के खेलकूद का एक सामान नहीं खरीदा गया। जबकि हर साल खेलगढ़िया योजना के तहत रायपुर समेत प्रदेश के प्रायमरी, मिडिल और हायर सेकेंडरी स्कूलों के बच्चों के लिए उनकी

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इसके लिए प्रायमरी को 5, मिडिल को 15 और हाई-हायर सेकेंडरी स्कूल को 25-25 हजार रुपए का बजट जिला शिक्षा अधिकारी को दिया जाता है। इन पैसों से स्कूलों में लूडो, पिट्टल, चायनीज चेकर, रस्सी, कैरम बोर्ड, बैट, बॉल, बैडमिंटन, फुटबॉल और प्लास्टिक की खेल सामग्री खरीदी जाती है। लेकिन इस साल किसी भी स्कूल को न तो सामग्री मिली न ही खेलकूद का किट खरीदने पैसे दिए गए। इस बार मुख्यालय स्तर पर खरीदी की प्रक्रिया टेंडर में ही उलझी है। ऐसा क्यों, अफसरों के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं है।

मुख्यालय स्तर पर खेल सामग्री खरीदी करने की प्रक्रिया इस सत्र में अगस्त से ही चल रही है। उस समय तय कर लिया गया था कि मुख्यालय ही खेल सामग्री खरीदकर एक-एक स्कूल तक पहुंचाएगा। अब जब कई स्कूलों में परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं, तब अफसर कह रहे हैं कि मार्च के अंतिम दिनों में टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। उसके बाद अप्रैल-मई यानी गर्मी की छुट्टियों के दौरान खेल सामग्री का वितरण स्कूलों में किया जाएगा।

भास्कर ग्राउंड रिपोर्ट 1. भनपुरी प्रायमरी स्कूल में दोपहर करीब डेढ़ बजे भास्कर की टीम पहुंची। यहां ग्राउंड में बच्चे खेलते नजर आ रहे थे। पास में ही एक लोहे का झूला लगा हुआ था जो टूटा था। बच्चों से हमने पूछा कि यहां कोई खेलने का सामान है या नहीं तो उन्होंने बताया कि कोई सामान नहीं है। स्कूल के शिक्षकों से भी बात की तो पता चला कि इस साल कोई भी खेल सामग्री या उसे खरीदने के लिए कोई राशि नहीं मिली है। 2. डंगनिया स्थित सरकारी स्कूल में सुबह करीब 9 बजे गए तो वहां देखा कि यहां ग्राउंड में पेवर ब्लॉक लग गए हैं। ग्राउंड है ही नहीं। स्कूल के शिक्षकों से पूछा तो पता चला कि यहां हाई स्कूल में ही एक पीटी टीचर हैं। यहां कोई किट नहीं मिली है, पिछले साल मिले सामान खराब हो चुके हैं। बच्चे ग्राउंड में दौड़कर आउट-आउट खेल रहे हैं। बच्चों से पूछने पर पता चला कि कोई सामान नहीं इसलिए ऐसे ही खेल कर समय गुजार लेते हैं।

एक नजर में

  • 56 हजार में प्रायमरी हैं राज्य मिडिल, हाई स्कूल व हायर सेकेंडरी स्कूल।
  • 40 करोड़ खर्च हुए एक साल में खेल सामग्री पर।
  • 51 लाख से ज्यादा बच्चे करते हैं एक सत्र में पढ़ाई।

सीधी बात -संजीव झा, प्रबंध संचालक, समग्र शिक्षा

बड़े स्तर पर खरीदी हो रही, इसलिए देरी

• शिक्षा का सत्र खत्म होने जा रहा, खेल सामग्री नहीं बंटी ? – हां, लेकिन प्रक्रिया चल रही है। जल्द वितरण होगा। • इसमें इतनी दूर क्यों हो रही है? -खेल सामग्री का बजट पहले जिलों को देते थे, अब मुख्यालय खरीदी कर रहा। इसलिए देरी हुई। • पर इसमें बच्चों का क्या कसूर? उन्हें क्यों वंचित रखा गया? -बड़े स्तर पर खरीदी हो रही है। प्रक्रिया पारदर्शी रखनी थी, इसलिए देर हुई।



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