कुआकोंडा में देवी लच्छन देई का मेला मंगलवार को लगा। इसमें 84 गांवों के लोग जुटे। माता की पालकी निकली तो उसके रास्ते में लोग 39 डिग्री सेल्सियस की गर्मी में जमीन पर लेट गए। माता की पालकी उनके ऊपर से गुजरी। श्रद्धालु माता का आशीर्वाद लेने के लिए ऐसा कर
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बुधवार को माता लच्छन देई की छोटी बहन गगना देई के मैलावाड़ा मंदिर में मेला लगेगा। इन दोनों देवियों को क्षेत्र के लोग बहन बताते हैं। एक का मंदिर कुआकोंडा के पुजारीपारा में है और दूसरी का 5 किलोमीटर दूर मैलावाड़ा में है। हर साल अप्रैल महीने में मंगलवार को पुजारीपारा और बुधवार को मैलावाड़ा में मेले का आयोजन होता है।
इस बार मेले में कुआकोंडा से लेकर बुरगुम, पोटाली, नहाड़ी, रेवाली, निलावाया जैसे 50 किलोमीटर दूर गांव से ग्रामीण पहुंचते हैं। इस साल भी पहुंचे हैं। लच्छन देई माता का मंदिर पुजारीपारा में है पर क्षेत्र के मुखिया का घर 4 किलोमीटर दूर मांझीपारा में है। पुजारी और मांझी परिवार के लोग पालकी मांझी के घर से लेकर पहुंचते हैं।
मांझीपारा से पालकी निकलते ही मंदिर आने वाले रास्ते में लोग जमीन पर लेट जाते हैं। पालकी इनके ऊपर से ही गुजरती है। यह परंपरा इस साल भी निभाई गई। पुजारी लेटे हुए लोगों पर बड़े से मटके में रखा चावल आशीर्वाद के रूप में डालते गए। लोगों ने बताया देवी की पालकी साल में एक बार ही निकलती है, आशीर्वाद लेने के लिए लेटने की परंपरा बहुत पुरानी है।
आज शुरू होगा आमा पंडुम कुआकोंडा क्षेत्र के 84 गांवों में आज से ग्रामीण माटी तिहार (आमा पंडुम) मनाएंगे। इस दौरान गांवों में सभी काम बंद रहेंगे, साथ ही आज से आम भी खाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। ग्रामीणों को पुजारीपारा और मैलावाड़ा के मेले के बाद आम का अमचूर बनाने और इसके इस्तेमाल की अनुमति दी जाती है। रविवार को ग्रामीणों का आमा पंडुम का त्योहार खत्म होगा।