SSP डॉ लाल उम्मेद सिंह ने बताया कि परिवार धरमनगर इलाके में किराए का मकान लेकर रह रहा था
शनिवार को रायपुर से बांग्लादेशी पति-पत्नी को गिरफ्तार किया गया है। फर्जी डॉक्यूमेंट की मदद से ये दंपती 16 साल से रायपुर में रहे रहे थे। उन्होंने पड़ोसियों तक को शक नहीं होने दिया, हर बार वे खुद को पश्चिम बंगाल का बताते रहे।
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पुलिस के रडार में वे लोग भी हैं जिन्होंने इनके डॉक्यूमेंट बनाने में मदद की। इनमें पार्षद समेत कई लोग हैं। बांग्लादेशी दंपती कहते थे कि, वे रायपुर कमाने खाने के लिए आए हैं। आरोपियों ने आसपास में ही कई बार किराए के घर बदले। नए घर पर शिफ्ट होने पर वह पिछले घर का पता बताते थे।
आरोपियों ने आसपास में ही कई बार किराए के घर बदले। पुलिस ने इसी घर से गिरफ्तार किया है।
अंडा-बिरयानी का ठेला लगाया
रायपुर पुलिस अवैध तरीके से बांग्लादेशियों की जांच में मोहम्मद दिलावर खान (49 साल) से भी पूछताछ की। पुलिस को जब उसने डॉक्यूमेंट दिखाए। उसमें एक आठवीं की मार्कशीट थी, जो मध्यप्रदेश रीवा के एक स्कूल की थी।
मार्कशीट में अजीब यह था कि दिलावर साल 2009-10 में रेगुलर स्कूल गया, फिर उसने कक्षा आठवीं पास किया। तब उसकी उम्र 35 साल थी। जबकि दिलावर का जन्म 1975 में हुआ है। इसी से पुलिस को शक हुआ।
फर्जी मार्कशीट के आधार पर उसने पासपोर्ट भी बनवाया। SSP डॉ लाल उमेद सिंह ने बताया कि परिवार धरमनगर इलाके में किराए का मकान लेकर रह रहा था। अंडा-बिरयानी का ठेला लगाकर जीवन यापन कर रहा था।
आरोपियों में मो. दिलावर खान (49 साल) उसकी पत्नी परवीन बेगम (45 साल) के अलावा एक 14 साल की बेटी भी है। पूछताछ में पता चला कि यह परिवार बांग्लादेश के मुख्तारपुर थाना, मुंशीगंज का मूल निवासी है।
मो. दिलावर खान(49) उसकी पत्नी परवीन बेगम(45) को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
बच्ची को स्कूल में दिलाया एडमिशन
बांग्लादेशी दंपती ने अपनी 14 साल की बेटी को स्कूल में एडमिशन भी दिलाया था। वह यहां एक निजी स्कूल में कक्षा 9वीं की छात्रा थी। परिवार मोहल्ले में शांत रहता था। आसपास के लोगों से बहुत ज्यादा घुला मिला नहीं था।
पुलिस ने मकान मालिक से भी पूछताछ की है। हालांकि आधार कार्ड होने की वजह से उन्हें मकान आसानी से किराए पर मिल जाता था।
16 साल में 4 बार बांग्लादेश आना-जाना हुआ
पुलिस यह भी जांच कर रही है कि इनका संपर्क किसी संदिग्ध नेटवर्क या गुट से तो नहीं है। आरोपी ने अपने मोबाइल नंबर से कई बार बांग्लादेश के अलग-अलग नंबरों पर बातचीत की है। जिसमें एक नंबर बांग्लादेश में रहने वाली उसकी बहन का है।
दिलावर 16 सालों में 4 बार भारत से बांग्लादेश आना-जाना कर चुका है। सबसे पहले वह बंगाल के बनगांव बॉर्डर से अकेले आया था यहां साल भर रहने के बाद उसने अपनी पत्नी और बेटी को भी बुला लिया।
पुलिस दम्पति से पूछताछ कर यह जानने की कोशिश करेगी कि किस तरह से पासपोर्ट और आधार कार्ड जैसे महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट बनाए गए।
भारत के अलग-अलग शहरों में भी किया निवास
आरोपी मोहम्मद दिलावर से पुलिस ने पूछताछ में पाया कि आरोपी भारत के नागपुर मुंबई फिर रायपुर जैसे शहरों में रहा है। वह पचपेड़ी नाका के धरमनगर इलाके में शिफ्ट हुआ। यहां पर भी वह अलग-अलग कई मकानों पर किराए में रह चुका है।
14 साल की बेटी का पासपोर्ट।
5 दिन की रिमांड में लेने की तैयारी में पुलिस
पुलिस ने आरोपियों से 5 दिन की पूछताछ के लिए न्यायालय में आवेदन लगाया है। पुलिस दंपती से पूछताछ कर यह जानने की कोशिश करेगी कि किस तरह से पासपोर्ट और आधार कार्ड जैसे महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट बनाए गए। इसमें किन लोगों ने मदद की। इसके अलावा पुलिस डॉक्यूमेंट बनाने के समय तत्कालीन पार्षद और उन एजेंसियों को भी नोटिस देगी। जिन्होंने आधार कार्ड और पासपोर्ट का वेरिफिकेशन किया होगा।
बांग्लादेश डिपोर्ट के लिए पुलिस कर सकती है कोशिश
टिकरापारा रायपुर में पुलिस ने जो FIR दर्ज किया है उसमें BNS की धारा 112 (संगठित अपराध), 318(4) (धोखाधड़ी), 319(2), 336(3) (जालसाजी, झूठे दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को धोखा देने के इरादे से बनाता है) शामिल है।
साथ ही भारतीय पासपोर्ट अधिनियम 1967 की धारा 12 (बी), पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम 1920 की धारा 3, विदेशियों विषयक अधिनियम 1946 की धारा 14 का अपराध दर्ज किया है। जांच पड़ताल के बाद पुलिस आरोपियों को बांग्लादेश डिपोर्ट की भी प्रकिया आगे बढ़ा सकती है।