उत्तर प्रदेश में विद्युत विभाग एक बार फिर विवादों के घेरे में है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने पावर कॉर्पोरेशन में हुए ट्रांसफर पर घोटाले का आरोप लगाते हुए इसे गैरकानूनी ट्रांसफर बताया है। समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस पूरे मा
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संघर्ष समिति संयोजक शैलेंद्र दुबे कहा कि बिना किसी तय नीति के करीब 1500 अभियंता, उतने ही जूनियर इंजीनियर और हजारों कर्मचारियों को मनमाने तरीके से इधर-उधर कर दिया गया। इसमें बड़े पैमाने पर पैसों के लेनदेन की बात भी सामने आ रही है। मामले को और गंभीर बना दिया एक वायरल ऑडियो ने, जिसमें कथित रूप से ऊर्जा मंत्री और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक के बीच लेनदेन की बातचीत का दावा किया जा रहा है।
203 दिन से जारी विरोध, अब सत्याग्रह की चेतावनी
संघर्ष समिति के नेतृत्व में बिजली कर्मचारी पिछले 203 दिनों से लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन अब मामला और गरमा गया है। समिति ने ऐलान किया है कि यदि उत्पीड़न की दृष्टि से किए गए ट्रांसफर आदेशों को 19 जून तक रद्द नहीं किया गया, तो उसी दिन डिस्कॉम मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन सत्याग्रह शुरू होगा।
बैठक में मौजूद रहे कई बिजली कर्मी
महिला कर्मचारियों तक को नहीं बख्शा गया
संघर्ष समिति ने यह भी आरोप लगाया कि उत्पीड़न के इरादे से किए गए इन स्थानांतरणों में महिला कर्मचारियों को भी नहीं बख्शा गया। उन्हें दूर-दराज के क्षेत्रों में तैनात किया गया है, जिससे उनके परिवार और निजी जीवन पर सीधा असर पड़ रहा है।
पूरे प्रदेश में गूंजा विरोध
प्रदेश के वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, अलीगढ़, मथुरा, झांसी, बरेली, अयोध्या, नोएडा, गाजियाबाद, अनपरा, ओबरा सहित सभी प्रमुख बिजली परियोजनाओं और जिलों में विरोध प्रदर्शन हुए।