भीषण गर्मी में बेहाल हुए यात्री, RPF जवानों की समझाइश के बाद भी नहीं माने।
भीषण गर्मी में छत्तीसगढ़ से होकर चलने वाली पुरी-योगनगरी ऋषिकेश उत्कल एक्सप्रेस के एक कोच का AC बंद हो गया। जिसके कारण यात्री गर्मी से बेहाल हो गए। ट्रेन जैसे ही बिलासपुर स्टेशन पहुंची, तब यहां यात्रियों ने जमकर हंगामा मचाया। इस दौरान बार-बार चेन पुलिं
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पुरी से ऋषिकेश जा रही कलिंग उत्कल एक्सप्रेस मंगलवार को 2.30 घंटे देरी से शाम 4.20 बजे बिलासपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 3 पर पहुंची। ट्रेन के रुकते ही बी-1 कोच के यात्री ट्रेन से नीचे उतरे और प्लेटफार्म पर हंगामा करने लगे।
रायगढ़ से पहले ही परेशानी शुरू हुई
पहले तो यह समझ में नहीं आया कि यात्री क्यों हंगामा मचा रहे हैं। दरअसल, इस कोच में रायगढ़ से पहले ही परेशानी शुरू हो गई थी। कोच में AC काम नहीं कर रहा था, जिसके कारण भीषण गर्मी में यात्री बेहाल हो गए। वहीं, अंदर कोच में हवा नहीं पहुंचने और खिड़कियां बंद होने के कारण यात्री पसीने से तर-बतर हो गए थे। बिलासपुर स्टेशन पहुंचने के बाद भी AC नहीं सुधारा गया तो नाराज यात्रियों ने जमकर हंगामा मचाया।
नाराज यात्रियों ने स्टेशन में मचाया हंगामा, चेन पुलिंग कर रोकी ट्रेन।
यात्रियों ने मचाया हंगामा, प्लेटफार्म पर पहुंचे RFP के जवान
परेशान यात्रियों ने बिलासपुर पहुंचते ही जमकर हंगामा मचाना शुरू कर दिया। इसे देख कर RPF के जवान प्लेटफार्म पर पहुंचे। उन्होंने इसकी जानकारी टेक्नीशियन विभाग को दी, जिसके बाद AC टेक्नीशियन भी पहुंच गए। उन्होंने सुधार किया। लेकिन कोच को ठंडा होने में समय लग रहा था। इस बीच ट्रेन रवाना हो गई।
नाराज यात्रियों ने चेन पुलिंग कर रोक दी ट्रेन
सुधार के बाद भी AC कोच ठंडा नहीं हो रहा था। जिस पर यात्रियों ने चेन पुलिंग कर ट्रेन रोक दी। ऐसा तीन से चार बार किया गया। प्लेटफार्म पर यात्री किसी की नहीं सुन रहे थे। उन्होंने टीटीई को जमकर खरी खोटी सुनाई। बहस के बाद RPF के जवान समझाने लगे तो भी उन्होंने किसी की नहीं सुनी।
इसके चलते करीब 1 घंटे तक ट्रेन खड़ी रही। इस दौरान कोच में ठंडक महसूस हुई तो यात्रियों ने ट्रेन को आगे छोड़ने की सहमति दी, जिसके बाद करीब 5.30 बजे ट्रेन यहां से आगे के लिए रवाना हुई।
निजी मैकेनिक के बाद भी नहीं हुआ सुधार
इस ट्रेन में मैकेनिक मौजूद था। लेकिन, वह इस समस्या को ठीक नहीं कर सका। आरोप तो यह भी लगा कि जिन-जिन ट्रेनों में निजी एसी मैकेनिक हैं, वह भी सुधार करने में दिलचस्पी नहीं दिखाते। उत्कल एक्सप्रेस का हाल भी कुछ इसी तरह था। रेलवे व्यवस्था सुधारने के लिए अलग-अलग कामों को ठेके पर देती है। लेकिन, जैसे ही कोई निजी हाथों पर जाता है, उसकी व्यवस्था और लचर हो जाती है।