Homeमध्य प्रदेशभोपाल में पहली बार ट्राइबल इन्फ्लुएंसर्स मीट: सोशल मीडिया के जरिए...

भोपाल में पहली बार ट्राइबल इन्फ्लुएंसर्स मीट: सोशल मीडिया के जरिए आमदनी बढ़ाने के गुर सीखेंगे आदिवासी युवा; सीएम करेंगे शुभारंभ – Bhopal News



राजधानी भोपाल में आज पहली बार ट्राइबल इन्फ्लुएंसर्स मीट का आयोजन हो रहा है। इस वर्कशॉप के लिए सोशल मीडिया पर पॉपुलर मप्र के आदिवासी युवाओं का चयन किया गया है। भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित ट्राइबल म्यूजियम में आज यानी 30 और कल 31 मई को यह कार्यशाला हो

.

पीएम के महिला सम्मेलन में प्रोजेक्ट बनाएंगे जनजातीय संग्रहालय में आज सुबह 10 बजे से कार्यशाला शुरू होगी। इसके बाद ये सभी आदिवासी युवा कल यानी 31 मई को जंबूरी मैदान पर होने वाले महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन में प्रोजेक्ट वर्क को पूरा करने भी जाएंगे। शाम करीब 5:30 बजे ट्राइबल म्यूजियम में कार्यशाला का समापन होगा।

ये एक्सपर्ट सिखाएंगे आमदनी बढ़ाने के गुर

  • डॉ हिमांशु राय- डायरेक्टर आईआईएम इंदौर
  • आशीष शर्मा, ब्रांड मैनेजमेंट एक्सपर्ट स्टीलवुड दिल्ली
  • लक्ष्य मेहलावत, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट एक्सपर्ट कॉन्सिलियो गुरुग्राम
  • डॉ निशांत खरे, सीनियर सर्जन एवं सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर
  • लक्ष्मण सिंह मरकाम- एडिशनल सेक्रेटरी मप्र शासन
  • श्रुति यादव- डिजिटल मार्केटिंग एक्सपर्ट अमेजन बैंगलुरू
  • नेहा बग्गा, पब्लिक पॉलिसी एंड लीडरशिप एक्सपर्ट MIT पुणे
  • रिमझिम गौर- स्ट्रेटजिक लीडरशिप एक्सपर्ट स्पाइंस रिसर्च एंड एनालिसिस दिल्ली

एमपी की आबादी में 21 फीसदी आदिवासी जनसंख्या है। देश के परिप्रेक्ष्य में देखें तो विश्व में सबसे ज्यादा जनजातीय आबादी 8.6% है। सरकारों ने आदिवासी वर्ग के लिए कई योजनाएं और संवैधानिक प्रावधान किए हैं लेकिन फिर भी आदिवासी समुदाय डिजिटल वर्ल्ड में काफी पीछे हैं। इन्हें डिजिटल मार्केटिंग से जोड़कर आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए यह कार्यशाला आयोजित की जा रही है।

इसलिए पड़ी जरूरत सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफार्म के विस्तार से इंसान के अंदर छिपे कलाकार को वैश्विक मंच मिला है। जिसके जरिए वे अपनी प्रतिभा दिखा सकते हैं। आदिवासी युवाओं को आत्मनिर्भर कहानीकार, समुदाय रिपोर्टर और छोटे उद्यमी बन सकते हैं। इस प्रशिक्षण से आदिवासी संस्कृति के प्रमाणिक प्रस्तुतिकरण का रास्ता खुलेगा। सरकारी योजनाओं के प्रचार और निगरानी संभव होगी। कला संस्कृति और टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा।

ये है उद्देश्य इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब जैसे प्लेटफार्म पर आदिवासी युवाओं की सक्रियता बढ़े। सांस्कृतिक रूप से क्रिएटिव और वर्ल्ड लेवल का कंटेंट क्रिएट कर सकें। एफिलेट मार्केटिंग और सरकारी साझेदारी से आय बढ़ा सकें। सरकार की योजनाओं का प्रचार हो और जमीनी फीडबैक भी दें। समुदाय और सरकार के बीच ब्रिज का काम करें।

8 दिन की है पूरी ट्रेनिंग 2 दिन की भोपाल में कार्यशाला के बाद 6 दिन की ऑनलाइन ट्रेनिंग होगी। इसमें 18 से 35 साल के आदिवासी युवा जो डिजिटल साक्षर हों या सोशल मीडिया में रुचि रखते हों।

ये सीखेंगे

  • एल्गोरिदम की समझ
  • क्रिएटर प्रोफाइल सेटअप
  • पर्सनल ब्रांडिंग
  • मोबाइल से वीडियो स्टोरी बनाना
  • ऑडियो-वीडियो एडिटिंग
  • सांस्कृतिक रूप से प्रासंगिक कंटेंट बनाना
  • SEO, SMO एनालिटिकल टूल्स
  • मुद्रीकरण रणनीतियां
  • डिजिटल सिक्योरिटी
  • आदिवासी वर्ग के लिए चलाई गई सरकारी योजनाओं की जानकारी
  • सामाजिक जवाबदेही की रिपोर्टिंग



Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version