कोंडागांव जिले में मजदूर दिवस पर पारंपरिक बोरे बासी खाने का आयोजन किया गया। प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहन मरकाम ने गांव-गांव जाकर कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों के साथ बोरे बासी का आनंद लिया।
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मरकाम ने कहा कि बोरे बासी सिर्फ भोजन नहीं है। यह किसान, मजदूर और मेहनतकशों की जीवनशैली और संस्कृति का प्रतीक है। इस अवसर पर पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजन बोरे बासी के साथ इमली की चटनी, चेच भाजी, मड़िया पेज और मेठा की सब्जी परोसी गई।
बोरे बासी छत्तीसगढ़ का विशेष व्यंजन है। इसे गर्म चावल को पानी में भिगोकर रातभर रखकर तैयार किया जाता है। अगली सुबह इसे प्याज, हरी मिर्च, इमली की चटनी और सब्जी के साथ परोसा जाता है।
यह शरीर को ठंडक देने वाला और पाचन में सहायक भोजन है। गर्मी के मौसम में यह ऊर्जा का स्रोत बनता है। किसान-मजदूरों में लोकप्रिय यह व्यंजन अब छत्तीसगढ़ी पहचान का प्रतीक बन गया है।