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मणिपुर हिंसा के बाद कुकी-मैतेई पहली बार बैठक करेंगे: दोनों समुदाय के नेता-विधायक आज दिल्ली में मिलेंगे; शांति का समाधान निकालेंगे


नई दिल्ली2 घंटे पहले

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मणिपुर में 3 मई 2023 से कुकी-मैतेई समुदाय के बीच हिंसा जारी है। इस हिंसा में 200 से ज्यादा लोगों की जान गई है।

पिछले एक साल से मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के बीच आज, 15 अक्टूबर को कुकी और मैतेई समुदाय पहली बार बातचीत करने जा रहे हैं।

गृह मंत्रालय की तरफ से नई दिल्ली में होने वाली बैठक में दोनों समुदाय के नेता और विधायक शामिल होंगे ताकि शांति से हिंसा का समाधान निकाला जा सके।

बैठक में मैतेई समुदाय के नेता थोंगम बिस्वजीत, स्पीकर थोकचोम सत्यब्रत, थोउनाओजम बसंतकुमार, खोंगबंतबाम इबोमचा, डॉ. सपाम रंजन, थोकचोम राधे-श्याम और टोंगब्रम रॉबिन्ड्रो शामिल होंगे।

वहीं कुकी समुदाय के नेताओं में लेटपाओ हाओकिप, पाओलिएनलाल हाओकिप, हाओखोलेट किपगेन रहेंगे । इस चर्चा में नागा विधायकों और मंत्रियों में अवांगबो न्यूमई, एल. दिखो और राम मुइवा भी मौजूद रहेंगे।

मणिपुर में जातीय हिंसा 3 मई 2023 को शुरू हुई थी। इसके 16 महीने बीत चुके हैं। इस दौरान 226 लोगों की मौत हो चुकी है। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं।

16 महीने से जारी इस हिंसा में कई जिलों में घर, दुकानें, वाहन जलाकर खाक कर दिए गए हैं।

अगस्त में जिरीबाम में कुकी-मैतेई ने किया था शांति समझौता दिल्ली में होने वाली बैठक से पहली अगस्त में मणिपुर के जिरीबाम में कुकी और मैतेई ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के तहत जिरीबाम में दोनों पक्ष आगजनी और गोलीबारी की घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षाबलों का सहयोग करेंगे और स्थिति सामान्य करने की दिशा में काम करेंगे।

दरअसल, जिरीबाम के CRPF ग्रुप सेंटर में 1 अगस्त को कुकी और हमार कम्युनिटी (मैतई) के बीच एक मीटिंग हुई। यह मीटिंग CRPF, असम राइफल्स और डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर ने आयोजित कराई थी। इसी मीटिंग में दोनों पक्षों ने एग्रीमेंट पर साइन किया।

हिंसा के बीच राज्य में बढ़ीं जबरन वसूली की घटनाएं मणिपुर हिंसा के दौरान राज्य में जबरन वसूली की घटनाएं बढ़ी हैं। कई गैंग-गिरोह हैं जो जबरन वसूली करके अंडरग्राउंड हो जाते हैं। अब इनसे निपटने के लिए मणिपुर पुलिस ने स्पेशल सेल ‘एंटी एक्सटॉर्शन सेल’ का गठन किया है।

13 अक्टूबर को IGP इंटेलिजेंस के. कबीब ने कहा- राज्य से निकले नेशनल हाइवे से गुजरने वालों ट्रकों से अवैध टैक्स वसूला जा रहा है। डोनेशन के नाम पर व्यापारियों, एजुकेशन इंस्टीट्यूट और आम लोगों को परेशान किया जा रहा है। उनसे जबरन वसूली की जा रही है। इसका असर इकोनॉमिक एक्टिविटी पर भी दिख रहा है।

उन्होंने कहा कि पुलिस जबरन वसूली करने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन ले रही है। कई अंडरग्राउंड गैंग और गिरोह किडनैपिंग, ग्रेनेड अटैक और फोन पर धमकी देने के मामलों में शामिल हैं। इन एक्टिविटी के जवाब में पुलिस ने ADGP (लॉ एंड ऑर्डर) की लीडरशिप में एंटी एक्सटॉर्शन सेल बनाई है। इसमें सभी जोन के IGP सदस्य हैं। पूरी खबर यहां पढ़ें…

4 पॉइंट्स में जानिए- क्या है मणिपुर हिंसा की वजह… मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

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