ओपीडी में इस तरह से मरीज घंटों अपने नंबर का इंतजार करते हैं।
यह मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से संबद्ध मनोहर दास नेत्र चिकित्सालय है। 7 दिन पहले ही यहां प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य निरीक्षण करने पहुंचे थे। यहां तमाम अव्यवस्थाओं को देखकर उन्होंने जिम्मेदारों को फटकार भी लगाई थी। तत्काल सुधार के आदेश भी दिए थे। लेकिन अ
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इस अस्पताल के CMS डॉ. बसंत कुमार सिंह हैं जो कई सालों से यहीं पर तैनात हैं। यह यहां के बजाय अपने प्राइवेट हास्पिटल पर ज्यादा फोकस करते हैं। यह बड़े पैमाने पर प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं, सिविल लाइंस स्थित जीवन निधि हास्पिटल के साथ आजमगढ़ जनपद तक प्राइवेट प्रैक्टिस के लिए जाते हैं। अब ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस अस्पताल का मुखिया ही प्राइवेट प्रैक्टिस पर ज्यादा फोकस करता हो उस अस्पताल की व्यवस्था किस तरह की होगी? यही स्थिति यहां विभागाध्यक्ष डॉ संताेष सिंह की है। वह भी खुलेआम प्राइवेट प्रैक्टिस करने के लिए जाते हैं।
दोपहर एक बजे पंजीकरण काउंटर बंद किया गया।
ठीक एक बजे बंद हो जाता है पंजीकरण काउंटर
बुधवार को दैनिक भास्कर की टीम इस अस्पताल की व्यवस्था देखने पहुंची थी। यहां ओपीडी की व्यवस्था पूरी तरह से जूनियरों के भराेसे चलती दिखी। यही स्थिति नेत्र परीक्षण समेत अन्य ओपीडी में भी दिखी। यहां घड़ी में दोपहर के एक बजते ही पंजीकरण काउंटर का काम बंद कर दिया जाता है। स्टाफ कांउटर छोड़ देते हैं। यहां खड़ा गार्ड आने वाले मरीजों को यह बताता रहा कि पर्चा अब आज नहीं बन पाएगा। जबकि अस्पताल में OPD टाइमिंग सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक है। लेकिन इस आदेश को यहां का स्टाफ नहीं मानता है। यही हाल पंजीकरण काउंटर के बगल में स्थित आयुष्मान भारत के काउंटर की है। यहां कोई भी स्टाफ मौजूद नहीं है।
आयुष्मान काउंटर आज तक शुरू नहीं हो सका।
मरीज बोले, चश्मे का नंबर लेने के लिए 4 घंटे लगे
यहां अस्पताल में मोे. तालिब सुबह 9 बजे पहुंच गए थे। तालिब बताते हैं, सुबह 9 बजे मैं हास्पिटल पहुंच गया था। पिछले सप्ताह मैं आंख की जांच कराने आया था और अब बुधवार को चश्मे का नंबर लेने के लिए पहुंचा। सुबह ही पर्चा बनवाकर जमा कर दिया लेकिन दोपहर एक बजे तक चश्मे का नंबर तक नहीं मिल सका। पूछने पर सिर्फ यही बताया जाता है, कि बस नंबर आने वाला है।
इसी तरह श्रेया सिंह अपने नाना का आंख की जांच कराने यहां आई थीं। सुबह 8:30 बजे से दोपहर एक बजे तक वह भटकती रहीं। कोई डॉक्टर नहीं मिल रहा था। जूनियर डॉक्टर से दिखाना पड़ा।
श्रेया सिंह।
वर्षों से इसी अस्पताल में पड़े हैं कई डॉक्टर्स
पिछले सात दिन पहले जब प्रमुख सचिव इस अस्पताल में पहुंचे तो डाक्टरों की संख्या ज्यादा देख वह भी आश्चर्यचकित हो गए थे। उन्होंने अपर निदेशक डॉ. राकेश शर्मा को निर्देशित किया था कि 15 PMS के डॉक्टरों को यहां से हटाकर मंडल में भेजा जाए।
वहीं इस, संबंध में अपर निदेशक स्वास्थ्य डॉ. राकेश शर्मा ने दैनिक भास्कर को बताया कि प्रमुख सचिव के निर्देश के बाद हमने बुधवार को CMS को पत्र भेजा है और पूरी डिटेल के साथ डॉक्टरों के बारे में विवरण मांगा है। चिह्नित किया जाएगा कि किसे यहां से ही मंडल में भेजा जाए।