इंदौर की स्वच्छता से प्रेरित होकर दो युवकों ने महाकुंभ में सफाई करने का निर्णय लिया। इसके लिए उन्होंने अपनी नौकरी तक छोड़ दी। अब वे 24 फरवरी को अपने खर्चे पर प्रयागराज के लिए रवाना होंगे। वहां कुछ दिन रुककर घाटों की सफाई में मदद करेंगे।
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इन युवकों में पहला नाम नीलेश प्रजापति (27 वर्ष) का है, जो अशोक नगर के रहने वाले हैं, जबकि दूसरा संजू यादव (21 वर्ष) हैं, जो गुना के रहने वाले हैं। निलेश पिछले 15 साल से इंदौर में रह रहे हैं, जबकि संजू दो साल से इंदौर में हैं। वे दोनों पिछले पांच साल से दोस्त हैं। इंदौर की स्वच्छता से प्रेरित होकर उन्होंने महाकुंभ में सफाई करने का फैसला लिया।
यह थी सफाई करने की वजह
दोनों युवकों ने बताया कि उन्होंने सोशल मीडिया पर महाकुंभ के घाटों के फोटो और वीडियो देखे, जिनमें उन्हें काफी गंदगी नजर आई। इसे देखकर उन्होंने फैसला किया कि वे महाकुंभ में जाकर वहां के घाटों की सफाई करेंगे।
उन्होंने बताया कि वे सफाई कर्मचारियों के साथ मिलकर सफाई में मदद करेंगे। घाटों के अलावा, जहां भी उन्हें गंदगी नजर आएगी, वहां सफाई करेंगे। इसके लिए वे अपनी “छोटा हाथी” गाड़ी का भी इस्तेमाल करेंगे।
महाकुंभ जाने के लिए छोड़ी नौकरी
निलेश और संजू दोनों इंदौर के एक होटल में प्रतिदिन ₹500 की मजदूरी पर नौकरी करते थे। वे होटल में टेबल सर्विस का काम करते थे। उन्होंने बताया कि महाकुंभ जाने के लिए जब उन्हें छुट्टी नहीं मिली, तो उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला कर लिया। नौकरी छोड़ने के बाद वे इंदौर से अशोक नगर पहुंच चुके हैं। अब वे 24 फरवरी को अशोक नगर से प्रयागराज के लिए रवाना होंगे।
संजू और निलेश छोटा हाथी गाड़ी से महाकुंभ के लिए 24 फरवरी को रवाना होंगे।
650 किमी से ज्यादा का सफर करेंगे
निलेश ने बताया कि उनके पास “छोटा हाथी” गाड़ी है, जिससे वे सड़क मार्ग से महाकुंभ तक जाएंगे। वे अपने खर्चे पर वहां सफाई कार्य करेंगे। वे लगभग 7 से 8 दिन प्रयागराज में रुककर सफाई अभियान में मदद करेंगे। इस काम में उन्हें लगभग ₹25,000 से ₹30,000 तक का खर्च आएगा।
अलग पहचान के लिए चुना “एलियन” नाम
उन्होंने कुछ पोस्टर भी छपवाए हैं, जिनमें से एक में लिखा है, “सबकी यात्रा बंद, हमारी यात्रा चालू। एलियन ही हमारी पहचान है।” उन्होंने बताया कि “एलियन” नाम उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाने के लिए चुना है। संजू ने बताया कि 144 साल बाद महाकुंभ का यह महासंगम आया है। उनका मानना है कि स्वच्छता सेवा से बड़ा पुण्य उन्हें दोबारा नहीं मिल सकेगा, इसलिए वे इस कार्य को पूरी निष्ठा से करेंगे।