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यूपी में मुस्लिम ने खुद का गला काटकर कुर्बानी दी: लिखा- बकरीद पर लोग बकरे की कुर्बानी देते हैं; मैंने खुद को अल्लाह के नाम किया – Deoria News


यूपी में बकरीद पर एक मुस्लिम ने खुद की कुर्बानी दे दी। उसने चाकू से अपना गला रेत दिया। वह घर के बाहर बनी झोपड़ी में करीब एक घंटे तड़पता रहा। परिजनों ने जब उसकी कराह सुनी तो तत्काल अस्पताल लेकर भागे।

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गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में उसकी मौत हो गई। गला रेतने से पहले उसने एक लेटर लिखा था। जिसमें लिखा है- ‘इंसान बकरे को अपने बेटे की तरह पाल-पोसकर कुर्बानी करता है। मैं खुद अपनी कुर्बानी अल्लाह रसूल के नाम कर रहा हूं।’

अब विस्तार से पढ़िए..

ईश मोहम्मद ने घर के बगल में इसी झोपड़ी में खुद की कुर्बानी दी।

खुद की कुर्बानी देने की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची। लोगों से मामले की जानकारी ली।

घटना देवरिया के गौरी बाजार थाना क्षेत्र के उधोपुर गांव की है। यह गांव जिला मुख्यालय से 16 किमी की दूर है। गांव में रहने वाले ईश मोहम्मद (60) पुत्र स्वर्गीय मोहम्मद बरसाती धार्मिक व्यक्ति थे। 5वीं तक पढ़ाई की थी। वह घर में आटा-चक्की चलाते थे।

परिवार के मुताबिक, वह एक दिन पहले यानी शुक्रवार को अंबेडकर नगर में सुल्तान सैयद मखदूम अशरफ शाह की दरगाह से वापस लौटे थे।

कराहने की आवाज सुनकर पहुंचे तो देखा गले से खून बह रहा पत्नी हाजरा खातून के मुताबिक, ईश मोहम्मद ने सुबह मस्जिद में ईद-उल-अजहा (बकरीद) की नमाज पढ़ी। सुबह 10 बजे घर लौटे तो सीधे घर के बगल में बनी झोपड़ी में चले गए। एक घंटे बाद उनकी कराहने की आवाज आई। दौड़कर पहुंची तो देखा कि उनके गले से खून बह रहा था। झोपड़ी में जमीन पर खून ही खून बिखरा हुआ है। पास में ही चाकू पड़ा था।

मंजर देखकर हाजरा की चीख निकल पड़ी। उन्होंने मदद के लिए लोगों को बुलाया। पड़ोसी पहुंचे और इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस मौके पर पहुंची और एम्बुलेंस से ईश मोहम्मद को लेकर अस्पताल पहुंची। वहां गंभीर हालत देखते हुए डॉक्टरों ने गोरखपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। वहां इलाज के दौरान ईश की मौत हो गई।

यह ईश मोहम्मद का घर है। इसी के बगल में झोपड़ी है। जहां उन्होंने अपना गला रेत लिया।

जिस जगह गला रेता, वहां का सीन समझिए मकान से 10 कदम की दूरी पर दाहिने तरफ एक झोपड़ी है। झोपड़ी में एक चारपाई थी। उस पर मच्छरदानी लगी थी। ईश मोहम्मद इसी चारपाई पर सोते थे। बगल में बकरियों के बांधने के खूंटे भी गड़े हुए थे। चारपाई के बगल छोटा बाक्स रखा था, जिसमें अगरबत्ती और अन्य समान थे। ईश मोहम्मद का सिर उत्तर दिशा में था। मुंह पर काला मास्क था। गले से खून बह रहा था।

अब पढ़िए कुर्बानी से पहले ईश मोहम्मद ने क्या लिखा…

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इंसान बकरे को अपने बेटे की तरह पोसकर कुर्बानी करता है। वो भी जीव है। कुर्बानी करनी चाहिए, मैं खुद अपनी कुर्बानी अल्लाह के रसूल के नाम से कर रहा हूं। किसी ने मेरा कत्ल नहीं किया है। सुकून से मिट्‌टी देना। किसी से डरना नहीं है। जिस जगह खूंटा (घर के बाहर जमीन पर गड़ा लकड़ी टुकड़ा) है, उसी जगह पर कब्र होनी चाहिए।

ईश मोहम्मद ने अपना गला रेतने से पहले यह नोट लिखा था।

तीन बेटे, एक मुंबई ताज होटल में काम करता है ईश मोहम्मद के तीन बेटे हैं। बड़ा बेटा अहमद अंसारी और दूसरे नंबर का बंटा मोहम्मद फैज उनके साथ ही रहते हैं, जबकि छोटा बेटा ताज मुंबई में कमाता है। तीन कमरों का एक पक्का मकान है, जिसमें दोनों बेटे परिवार के साथ रहते हैं। बगल में ही झाेपड़ी है, जिसमें बकरियां रहती हैं। घटना के समय दोनों बेटे गांव में बकरीद मनाने गए थे।

यह ईश मोहम्मद हैं। इन्होंने बकरीद पर खुद की कुर्बानी दे दी।

दरगाह के बारे में जानिए, जहां एक दिन पहले लौटे थे ईश अंबेडकरनगर के किछौछा में कौमी एकता के लिए विश्व प्रसिद्ध सूफी संत हजरत सैयद मखदूम अशरफ की दरगाह है। यहां पर नौचंदी मेला लगता है। रमजान के मौके पर इस मेले में देश भर से हजारों की संख्या में अकीदतमंदों आते हैं।

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा, ‘इस्लाम की रोशनी में खुद की कुर्बानी देना बिल्कुल नाजायज है। इस्लाम इस तरह की कुर्बानी की इजाजत नहीं देता है। अल्लाह ने इंसान को बनाया है, वो इंसान की कुर्बानी नहीं चाहता है।’

बकरीद जिसे ईद उल अजहा भी कहा जाता है, यह इस्लाम समुदाय का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है। ईद का किस्सा पैगंबर इब्राहिम और उनके बेटे इब्राहिम इस्माइल जुड़ा हुआ है। इस दिन मुसलमान कुर्बानी करते हैं। पूरी दुनिया में लगभग 1.9 बिलियन लोग इस त्योहार को मनाते हैं। कुर्बानी से गरीब और जरूरतमंदों की मदद करने का मौका मिलता है। क्योंकि कुर्बानी के मांस पर गरीबों का 33 प्रतिशत हक होता है।

बकरीद पर बकरे के अलावा ऊंट, भैंस, बकरा/बकरी और भेड़ ऐसे जानवर हैं, जिनकी कुर्बानी जायज है। वहीं खच्चर, घोड़े और जो जानवर बीमार हों, उनकी कुर्बानी देना जायज नहीं है। इसके अलावा गर्भवती जानवर की कुर्बानी को भी इस्लाम में गलत बताया गया है।

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