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‘ये मेरी हिंदू बहन है’, आतंकियों ने 3 गोलियां मारीं: कौन है पहलगाम हमले में मरने वाला इकलौता मुस्लिम आदिल, फैमिली बोली- हमें फख्र


22 अप्रैल की सुबह आदिल हैदर पहलगाम के लिए निकले। आदिल गाइड थे और हमेशा की तरफ उस सुबह भी टूरिस्ट को बैसरन घाटी में घुमाने ले गए थे। घाटी तक गाड़ियां नहीं जा सकतीं, इसलिए टूरिस्ट घोड़ों से वहां तक जाते हैं। उस दिन आदिल के साथ एक महिला टूरिस्ट और उनके पि

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आदिल घबराया, लेकिन भागा नहीं। दूसरे टूरिस्ट भाग रहे थे, बोले- जान बचाना है तो तुम भी भागो। आदिल ने जवाब दिया- ‘ये मेरी टूरिस्ट मेरी बहन है। मैं इन्हें अकेला छोड़कर नहीं जाऊंगा।’ इसके बाद आदिल आतंकियों से भिड़ गए। उनकी बंदूक छीनने लगे। आतंकियों ने उन्हें तीन गोलियां मारीं। आदिल को हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टर उन्हें बचा नहीं पाए।

ये बताते हुए आदिल के भाई सैयद नौशाद के चेहरे पर दुख से ज्यादा फख्र नजर आता है। वे कहते हैं, ‘महिला टूरिस्ट ने मुझसे कहा कि आपके भाई की वजह से मैं जिंदा हूं। पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मरने वाले 26 लोगों में आदिल इकलौते कश्मीरी और मुस्लिम हैं। परिवार की जिम्मेदारी 29 साल के आदिल के कंधों पर ही थीं।

आदिल का घर पहलगाम से करीब 15 किमी दूर हापतनाड़ में है। घर में पत्नी, मां, पिता, दो भाई और तीन बहनें हैं। लोग अभी यहां मातम के लिए जुटे हैं।

हमले के अगले दिन दैनिक भास्कर की टीम आदिल के घर पहुंची। घर में घुसते ही एक तरफ टेंट लगा है। आसपास के लोग बैठकर मातम मना रहे थे। यहां हम आदिल के छोटे भाई सैयद नौशाद से मिले। वे टैक्सी चलाते हैं। टूरिस्ट को पहलगाम घुमाते हैं।

भाई बोले- आदिल के जाने का दुख, लेकिन उस पर फख्र है आदिल के भाई सैयद बताते हैं, ‘आदिल रोज की तरह सुबह 8 बजे घर से निकला था। वो दिनभर पहलगाम में रहता था। शाम को लौटने का वक्त होता, तभी उससे बात होती थी। 22 अप्रैल को मेरे पास घर से फोन आया। फैमिली ने बताया कि आदिल से बात नहीं हो पा रही है। मैं भी उस वक्त पहलगाम में ही था। मैंने उसे कॉल किया, लेकिन नंबर बंद आया। काफी देर तक ट्राई करता रहा।’

‘एक बार फोन पर रिंग गई, लेकिन बात नहीं हो पाई। शाम को पता चला कि उसकी डेथ हो गई है। फिर हम पहलगाम के हॉस्पिटल गए। यहां मुझे एक टूरिस्ट मिली। उनके परिवार को आदिल बैसरन घाटी ले गया था। उन्होंने मुझे बताया कि मेरे परिवार में भी मौत हुई है। आपके भाई ने हम लोगों को बचा लिया। उन्होंने मुझे पूरा वाकया बताया।’

पहलगाम में हमला करने वाले आतंकी जंगल की तरफ से आए थे। उन्होंने टूरिस्ट को निशाना बनाया। इस हमले में 26 मौतें हुई हैं।

‘टेररिस्ट जब फायरिंग करने लगे, तो सभी लोग वहां से भागे। वहां कई लोकल लोग भी थे। वे आदिल को जानते थे। उन्होंने आदिल से कहा कि यहां मत रुको, जल्दी भागो। आदिल नहीं भागे। उन्होंने आतंकियों से मुकाबला किया। उनसे पूछा कि आप लोगों को क्या दिक्कत है। ये टूरिस्ट हैं। बेगुनाह हैं। इन पर क्यों अटैक कर रहे हो।’

‘असल में आदिल ऐसा ही था। उसे नाइंसाफी बर्दाश्त नहीं होती थी। उसने आतंकियों से पूछा कि तुमने इन्हें क्यों मारा। वो उनसे भिड़ गया। आतंकियों को उसका बोलना पसंद नहीं आया। उन्होंने पहली गोली उसके गले में मारी। इसके बाद पेट और कमर पर गोलियां मारीं। उसे कुल तीन गोली लगी थीं।’

सैयद बोलते-बोलते रुक जाते हैं। फिर कहते हैं, ‘हॉस्पिटल में 26 डेडबॉडी थींं। इनमें एक मेरा भाई था। मरने वालों में वो इकलौता मुस्लिम है।’

बहन फौजिया बोलीं- आदिल ने इंसानियत के लिए जान दी आदिल की मां बात करने की हालत में नहीं हैं। आदिल की चचेरी बहन फौजिया उन्हें संभाल रही हैं। वे कहती हैं, ‘दो दिन पहले ही उससे बात हुई थी। 22 अप्रैल को रात मुझे बताया कि आदिल जख्मी हो गया है। कुछ देर बाद पता चला कि उसकी मौत हो गई।’

आदिल के बारे में बताते हुए फौजिया रोने लगती हैं। कहती हैं, ‘वो बहुत अच्छा था। लोग उसके लिए रो रहे हैं। CM उमर अब्दुल्ला साहब भी आए थे। बोले कि हम आपके लिए कुछ करेंगे, लेकिन मेरा भाई तो चला गया, उसे वापस कैसे लाएंगे। हम उसके लिए फख्र महसूस करते हैं। उसने इंसानियत के लिए जान दे दी।’

पिता बोले- आज मेरा बेटा मरा, कल किसी और का मरेगा, सरकार इसे रोके आदिल के पिता सैयद हैदर शाह घर के एक कोने में बैठे हैं। बेटे के बारे में पूछने पर बोले- मेरा बेटा आतंकियों से लड़ा है। बाकी सभी को एक-एक गोली लगी। मेरे बेटे को तीन गोलियां लगी हैं। गोली लगने से एक शख्स नीचे गिर गए थे। उनके साथ एक महिला थी, वो भी गिर गई। आदिल ने उन्हें उठाया। उनके लिए आतंकियों से लड़ गया। वो शरीफ लड़का था। हक पर जान देने को तैयार रहता था।’

यहीं हमें आदिल के बहनोई सईद अल्ताफ मूसा मिले। वे कहते हैं, ‘आदिल बहादुर और होनहार लड़का था। उसूलों का पक्का था। पहलगाम में हमारे मेहमानों के साथ घिनौनी हरकत की गई है। सरकार ऐसा करने वालों को सजा दे। उस जगह करीब 6000 लोग थे। आदिल के साथ एक महिला टूरिस्ट थी। आदिल ने कहा ये मेरी बहन है। इसे छोड़कर नहीं जाऊंगा। मुझे फख्र है कि आदिल ने कश्मीरियत को जिंदा रखा है।’

हम अमन चाहते हैं। हमारा नाता हिंदुस्तान से है। हम सरकार के साथ हैं। समझ नहीं आता बेगुनाहों का कत्ल करने वाले कौन हैं। ऐसे लोगों से आदिल का बदला लेना चाहिए।

वे लोग, जो आतंकी हमले में मारे गए

लेफ्टिनेंट विनय नरवाल, हरियाणा 7 दिन पहले शादी हुई थी, आतंकियों ने नाम पूछकर गोली मारी आतंकियों के हमले में हरियाणा के करनाल के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की मौत हुई है। 26 साल के विनय की 7 दिन पहले ही हिमांशी से शादी हुई थी। 2 दिन पहले विनय और हिमांशी हनीमून के लिए जम्मू-कश्मीर पहुंचे थे। 22 अप्रैल को वे बैसरन घाटी में घूम रहे थे, तभी आतंकियों ने विनय पर फायरिंग कर दी। उनकी मौके पर ही मौत हो गई।

घटना का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें हिमांशी कह रही हैं, ‘मैं अपने पति के साथ भेलपुरी खा रही थी। एक आदमी आया और कहा ये मुस्लिम नहीं है, फिर गोली मार दी।’

ये लेफ्टिनेंट विनय नरवाल का आखिरी वीडियो बताया जा रहा है। इसमें वे पत्नी हिमांशी के साथ दिख रहे हैं।

शुभम द्विवेदी, यूपी आतंकियों ने पत्नी के सामने गोली मारी, फिर बोले- सरकार को बता देना आतंकियों ने कानपुर के रहने वाले शुभम को पत्नी एशान्या के सामने गोली मार दी। एशान्या ने आतंकियों से कहा कि मुझे भी गोली मार दो। इस पर आतंकी ने कहा कि हम आपको गोली नहीं मारेंगे, आप सरकार को जाकर बताओ। यह बात एशान्या ने परिवार के लोगों को बताई।

एक बात ये भी सामने आई है कि आतंकियों ने शुभम से कहा कि कलमा पढ़ दो तो छोड़ देंगे। इसके बाद सिर पर गोली मार दी। शुभम और एशान्या की 12 फरवरी को ही शादी हुई थी। वे परिवार के 11 लोगों के साथ जम्मू-कश्मीर घूमने गए थे। परिवार के मुताबिक, हम लोग 22 अप्रैल को पहलगाम में थे। परिवार के बाकी सदस्य होटल में थे। शुभम और एशान्या बाहर घूमने निकले थे।

सुशील नथानियल, मध्यप्रदेश कलमा पढ़ने को कहा, घुटनों पर बिठाया, फिर गोली मारी इंदौर के रहने वाले सुशील नथानियल की पहलगाम हमले में मौत हो गई। उनकी बेटी आकांक्षा को भी गोली लगी है। सुशील अलीराजपुर में LIC की सैटेलाइट ब्रांच में पोस्टेड थे। वे 21 साल के बेटे ऑस्टिन गोल्डी, 30 साल की बेटी आकांक्षा और पत्नी जेनिफर के साथ कश्मीर गए थे।

सुशील के भाई विकास बताते हैं, ‘आतंकवादियों ने पहले सुशील को घुटनों पर बिठाया, फिर उन्हें कलमा पढ़ने के लिए कहा। भाई ने कहा कि मैं ईसाई हूं। तब उन्हें गोली मार दी। आकांक्षा को पैर में गोली लगी है। हमले के वक्त सुशील ने पत्नी जेनिफर को छिपा दिया था और खुद आतंकियों के सामने खड़े हो गए।’

जेनिफर सरकारी स्कूल में टीचर हैं। बेटी आकांक्षा सूरत में बैंक ऑफ बड़ौदा में फर्स्ट क्लास ऑफिसर हैं। बेटा ऑस्टिन बैडमिंटन प्लेयर है। ये परिवार जोबट का रहने वाला है।

दिनेश मिरानिया, छत्तीसगढ़ सालगिरह मनाने कश्मीर गए थे, परिवार के सामने आतंकियों ने गोली मारी हमले में मरने वालों में रायपुर के स्टील कारोबारी दिनेश मिरानिया भी शामिल हैं। आतंकियों ने पत्नी, बेटे और बेटी के सामने उन्हें गोली मारी। पत्नी के चेहरे पर भी गहरा घाव हो गया है। बच्चे भी घायल हैं। 45 साल के दिनेश को जिस दिन गोली मारी गई, उसी दिन उनकी शादी की सालगिरह थी। इसीलिए वे परिवार के साथ कश्मीर गए थे।

मनीष रंजन, बिहार नाम पूछा और सिर में गोली मार दी आतंकियों के हमले में बिहार के रहने वाले मनीष रंजन भी मारे गए। वे IB के हैदराबाद ऑफिस में सेक्शन ऑफिसर थे। मनीष को पत्नी और 2 बच्चों के सामने गोली मार दी गई। उनकी पत्नी आशा और दोनों बच्चे सुरक्षित हैं। मनीष रोहतास के करगहर थाना एरिया के अरुही गांव के रहने वाले थे। वे 3 दिन पहले ही हैदराबाद से वैष्णो देवी गए थे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गोलियों की आवाज सुनकर मनीष ने पत्नी और बच्चों को दूसरी तरफ भागने के लिए कहा। इसी दौरान वे परिवार से अलग हो गए और आतंकियों ने उन्हें गोली मार दी।

श्रीनगर से पहलगाम तक सन्नाटा, दुकानें, स्कूल-कॉलेज बंद पहलगाम हमले का असर पूरे कश्मीर में दिख रहा है। श्रीनगर एयरपोर्ट से पहलगाम तक रास्ते में सन्नाटा है। न दुकानें खुलीं हैं, न टूरिस्ट दिख रहे हैं। कुछ जगहों पर लोकल लोग ही दिखे। आमतौर पर लाल चौक पर चहल-पहल रहती है, लेकिन यहां भी इक्का-दुक्का टूरिस्ट ही थे। यहां कुछ लोग हाथों में पोस्टर लिए थे। वे पहलगाम अटैक का विरोध कर रहे थे।

हमले के विरोध में पूरा कश्मीर बंद है। श्रीनगर में हम स्कूल एसोसिएशन से जुड़े जीएम वार से मिले। वे कहते हैं, ‘घटना के विरोध में हमने सभी स्कूल-कॉलेज बंद रखने का ऐलान किया है। हम कश्मीरी हमेशा से टूरिस्ट को अपना मानते हैं। इस वक्त पूरा कश्मीर रो रहा है।

हमले में तीन विदेशी, दो लोकल आतंकी शामिल इंटेलिजेंस के सोर्स के मुताबिक, पहलगाम अटैक में तीन विदेशी और दो लोकल आतंकी शामिल थे। हमले का मास्टर माइंड सैफुल्लाह खालिद है। वो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से ऑपरेट करता है। उसकी लोकेशन रावलकोट बताई गई है। सैफुल्लाह ने एक महीने पहले हमले की चेतावनी भी दी थी। इसका 2019 का एक वीडियो भी वायरल हुआ था। इस वीडियो में सैफुल्लाह ने कहा था कि कश्मीर का मसला ठंडा नहीं होने देना है।

पाकिस्तान के खिलाफ 5 बड़े फैसले सिंधु जल समझौता रोका, पाकिस्तानियों का वीजा रद्द पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ 5 बड़े फैसले लिए हैं। ये फैसले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट मीटिंग में लिए गए इसमें रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, NSA अज‍ित डोभाल समेत सीनियर अफसर मौजूद थे।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया, ‘पहलगाम आतंकी हमले की गंभीरता को देखते हुए CCS ने 5 फैसले लिए हैं।

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1. तीन संदिग्ध आतंकियों के स्केच जारी, लश्कर का आतंकी मास्टरमाइंड

सुरक्षा और इंटेलिजेंस एजेंसियों ने पहलगाम अटैक के संदिग्ध आतंकियों के स्केच जारी किए हैं। इनके नाम आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबु तल्हा बताए गए हैं। इंटेलिजेंस सूत्रों ने बताया कि इस हमले का मास्टर माइंड लश्कर-ए तैयबा का डिप्टी चीफ सैफुल्लाह खालिद है। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी विंग द रजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। पढ़िए पूरी खबर…

2. नाम पूछकर हिंदुओं को गोली मारी, कौन है पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लेने वाला TRF

पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी विंग द रजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। आतंकियों ने टूरिस्ट से नाम पूछने के बाद उन्हें गोली मारी। ये हमला बीते 6 साल में कश्मीर में सबसे बड़ा टेररिस्ट अटैक है। इससे पहले पुलवामा में आतंकियों के हमले में 40 जवानों की मौत हुई थी। TRF का सुप्रीम कमांडर शेख सज्जाद गुल है। श्रीनगर में पैदा हुआ शेख सज्जाद अभी पाकिस्तान में है। पढ़ें पूरी खबर..



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