‘6 दिसंबर, 1992 की तारीख थी। कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद के 2 गुंबद गिरा दिए थे। मैं बीच वाले बड़े गुंबद के नीचे रामलला की रखवाली कर रहा था। गुस्साए कारसेवक इस गुंबद पर भी चढ़ गए और उसे तोड़ने लगे। गुंबद के बीचोबीच बड़ा सुराख हो गया। ऊपर से रामलला के आ
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‘हमने तय किया कि रामलला को यहां से लेकर निकलना पड़ेगा। मैं रामलला, भरत और शत्रुघ्न भगवान की मूर्तियां लेकर दौड़ा। संतोष लक्ष्मण जी और चंद्रभूषण भगवान के कपड़े-गहने लेकर दौड़े। देखते ही देखते कारसेवकों ने ढांचा ढहा दिया। तब तक हम अपने भगवान को सुरक्षित ले आए थे।’
32 साल पुराना ये किस्सा सुनाते हुए रामलला के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास भावुक हो जाते हैं। सत्येंद्र दास 1992 से लेकर अब तक रामलला का ख्याल रख रहे हैं। भगवान के खाने से लेकर पहनने के कपड़े, पूजा-आरती और खिलौनों तक हर चीज का ध्यान वही रखते हैं।
22 जनवरी, 2024 को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद यहां के पुजारियों की जिम्मेदारियां भी बढ़ गई हैं। रामलला के साथ अब 6 साल के बालक राम भी हैं। लिहाजा अब पुजारियों की ड्यूटी का टाइम 8 से 10 घंटे हो गया है। काम बढ़ा तो उसी हिसाब से सैलरी भी बढ़ाई गई है।
अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद एक साल के अंदर 3 करोड़ से ज्यादा लोग दर्शन के लिए पहुंचे हैं। बढ़ती भीड़ को देखते हुए दर्शन का वक्त भी बढ़ाया गया है।
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के एक साल होने पर अयोध्या में 11, 12 और 13 जनवरी को कार्यक्रम किए जा रहे हैं। इस मौके पर दैनिक भास्कर ने भगवान राम के सेवादारों-पुजारियों से बात की। उनकी जिंदगी के बारे में जाना। इन सबके बीच पुजारियों ने हमें कई रोचक किस्से सुनाए।
सबसे पहले रामलला के पुजारियों को जानते हैं…
पुजारी सत्येंद्र दास 33 साल से रामलला की सेवा कर रहे अयोध्या में हम रामपथ होते हुए हनुमान गढ़ी पहुंचे। यहीं दिगंबर और निर्मोही अखाड़ों की तरफ जाने का रास्ता है। संकरी सी गली में राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास का घर है। अंदर गए तो दरवाजे पर 100 से ज्यादा बंदरों के बीच पुजारी सत्येंद्र दास बैठे मिले। वे बंदरों को उबले चने खिला रहे थे।
ये राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास के घर की तस्वीर है। पिछले 20 साल से हर दिन वो वानर भोज कराते हैं।
87 साल के सत्येंद्र दास अयोध्या के नहीं हैं। उनका जन्म यूपी के संत कबीरनगर में हुआ। 1949 में पहली बार पिता अभिराम दास के साथ राम जन्मभूमि आए थे। 9 साल बाद यानी 1958 में वो अयोध्या में रहने लगे। यहीं से पढ़ाई पूरी की और आजीवन संन्यासी रहने का फैसला किया।
सत्येंद्र दास कहते हैं, ‘पिताजी को पता चला कि मैं संन्यासी बनना चाहता हूं तो वे खुश हुए। उन्होंने मेरा फैसला मान लिया। 1975 में मैंने संस्कृत विद्यालय से आचार्य की डिग्री ली। 1976 में मुझे संस्कृत डिग्री कॉलेज में असिस्टेंट टीचर की नौकरी मिल गई। उस वक्त मेरी तनख्वाह 75 रुपए थी।’
सत्येंद्र दास आगे बताते हैं, ‘राम मंदिर में मुख्य पुजारी बनने के बाद 9 महीने तक सब कुछ अच्छे से बीता। 6 दिसंबर, 1992 को जब बाबरी ढहाई गई, तब मैं मंदिर परिसर में ही था। दोपहर के 12 बज रहे थे। मंदिर के पास ही बने मंच पर विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल के साथ BJP नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, साध्वी ऋतंभरा और उमा भारती बैठे थे। उनके साथ कई लोकल नेता भी थे।‘
1992 में ली गई ये उसी मंच की तस्वीर है, जहां से कारसेवा के लिए अनाउंसमेंट किया जाता था। तस्वीर में पुजारी सत्येंद्र दास के साथ VHP के अध्यक्ष अशोक सिंघल हैं।
‘मंच के लाउड स्पीकर पर अनाउंस हुआ- रामलला के लिए भव्य चबूतरा बनाया गया है। सभी कारसेवक सरयू से जल और बालू ले आइए। इसके बाद चबूतरे की धुलाई शुरू होगी। उस दिन जन्मभूमि पर इकट्ठा हुए ज्यादातर कारसेवक युवा थे। उन्हें ये बात अच्छी नहीं लगी।‘
‘कारसेवकों ने कहा- हम यहां चबूतरा धोने नहीं आए हैं। हम ये नहीं करेंगे। इतना कहते हुए कारसेवकों ने जय श्री राम के नारे लगाए और बैरिकेडिंग तोड़ दी। कारसेवक विवादित ढांचे पर पहुंच गए और गुंबद तोड़ना शुरू कर दिया।’
ज्यादा उम्र की वजह से पूजा कराने मंदिर नहीं जाते मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास की उम्र को देखते हुए उनके लिए नियमित मंदिर आकर पूजा करवाना जरूरी नहीं है। राम मंदिर ट्रस्ट ने उन्हें सेहत का ख्याल रखने और उसके मुताबिक मंदिर आने की राहत दी है। हालांकि उनके रिटायरमेंट की ऑफिशियल अनाउंसमेंट नहीं हुई है।
पुजारी: संतोष तिवारी बाबरी गिराए जाने के दिन लक्ष्मण की मूर्ति बचाई मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास के बाद रामलला की देखरेख का जिम्मा पुजारी संतोष तिवारी संभालते हैं। दोनों पुजारियों के बीच कई बातें एक सी हैं। दोनों की नियुक्ति 1 मार्च, 1992 को हुई। दोनों संत कबीरनगर के रहने वाले हैं। बाबरी ढहाए जाने की घटना पुजारी संतोष ने भी देखी थी। वे भगवान लक्ष्मण की मूर्ति बचाकर विवादित ढांचे से बाहर निकले थे।
पुजारी संतोष हमें ये किस्सा सुनाते हैं। कहते हैं, ‘विवादित ढांचा गिरने से पहले हम सभी पुजारी भगवान को लेकर वहां से भागे। सत्येंद्र दास जी के पास रामलला, भरत और शत्रुघ्न भगवान की मूर्तियां थीं। मैं भगवान लक्ष्मण की मूर्तियां लेकर भागा।’
‘भागने में लक्ष्मण जी की मूर्ति जमीन पर गिर गई। मैंने बिना वक्त गंवाए मूर्ति उठाई और बाहर आकर उसे संघ कार्यालय में रखवा दिया। उस दिन ऐसा पहली बार लगा कि आज हमारा जय सिया राम (अंत) हो जाएगा। हम सब जैसे ही मंदिर परिसर के बाहर आए, उसके 5 से 10 मिनट बाद कारसेवकों ने बड़ा गुंबद भी गिरा दिया, जहां रामलला विराज रहे थे।’
32 साल में राम मंदिर में 10 से ज्यादा पुजारी बदले, लेकिन संतोष और सत्येंद्र अब तक रामलला की सेवा कर रहे हैं। अयोध्या में विभीषण कुंड के पास पुजारी संतोष का मकान है। वहां वे पत्नी सुभाषिनी और 3 बेटों के साथ रहते हैं। अनुभव को देखते हुए सत्येंद्र दास के रिटायरमेंट के बाद संतोष ही मुख्य पुजारी का काम संभालेंगे।
प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर और पुजारियों का रूटीन बदला राम मंदिर में रामलला की सेवा के लिए इस वक्त 15 पुजारी हैं। सत्येंद्र दास मुख्य पुजारी थे, लेकिन अब वे मंदिर कम आते हैं। लिहाजा, भगवान के भोग से लेकर आरती तक सारे काम 4 सहायक पुजारी करते हैं। हाल ही ट्रेनिंग के बाद 10 नए छात्रों को राम मंदिर के पुजारियों की टीम में शामिल किया गया है। ये छात्र पुराने पुजारियों की मदद करते हैं।
पुजारी संतोष कहते हैं, ‘सुबह 4:30 बजे सबसे पहले भगवान की मंगला आरती होती है। इसके लिए मुझे सुबह 4 बजे मंदिर पहुंचना होता है। ये वो वक्त होता है, जब प्रभु सो रहे होते हैं। वे जाग न जाएं, इसलिए मंदिर में दबे पांव आना पड़ता है। बिना लाइट जलाए, कोई आवाज किए बगैर ही भगवान के आसन की साफ-सफाई करनी होती है।’
पुजारी संतोष आगे बताते हैं, ‘उन्हें छोटे बच्चे की तरह गुनगुने पानी से नहलाते हैं। फिर शृंगार करके हीटर के सामने आसन पर बैठाते हैं। अब रामलला के साथ खड़ी मुद्रा में बालक राम जी भी हैं। उनके आसन के पास खड़े होकर पुजारी उन्हें स्नान कराते हैं। साफ कपड़े पहनाकर उनका भी शृंगार होता है।’
‘रामलला को खुरचन पेड़े का भोग लगाकर सुबह 6:30 बजे शृंगार आरती होती है। इसके बाद भोग आरती और आम दर्शन के लिए दोपहर 12 बजे तक मंदिर खुला रहता है। 12 से 1:30 बजे तक भगवान आराम करते हैं, इसलिए इस वक्त मंदिर बंद रहता है।’
’दोपहर 1:30 बजे से गर्भगृह के पट फिर खोले जाते हैं। शाम 7 बजे संध्या आरती होती है। फिर रामलला के सोने से पहले रात 9 बजे शयन आरती की जाती है। रात 9:30 बजे मंदिर बंद कर दिया जाता है।’
एक साल में पुजारियों की ड्यूटी 13 से 16 घंटे हो गई सुबह 4 बजे से रात 9:30 बजे तक मंदिर में दो पालियों में पुजारियों की ड्यूटी लगाई जाती है। इस बीच रामलला की 5 आरतियां होती हैं। इसमें 7 पुजारियों की ड्यूटी सुबह और 7 की शाम को होती है। 15-15 दिनों में ये ड्यूटी बदल जाती है। सुबह वाले शाम और शाम की शिफ्ट वाले पुजारी सुबह की आरतियां करवाते हैं।
प्राण प्रतिष्ठा के बाद एक साल के अंदर 3 करोड़ से ज्यादा लोग राम मंदिर दर्शन करने आए। लोगों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए दर्शन का वक्त भी बढ़ाया गया है। इसलिए पुजारियों की ड्यूटी 13 से 16 घंटे हो गई है।
नया ड्रेस कोड: 27 दिसंबर 2024 को राम मंदिर ट्रस्ट ने पुजारियों के लिए नया ड्रेस कोड लागू किया। अब पुजारी पीली चौबंदी, धोती-कुर्ता और सिर पर पीले रंग की पगड़ी बांधते हैं।
नई व्यवस्था के तहत पुजारियों के मंदिर के अंदर मोबाइल इस्तेमाल करने पर पाबंदी है। इसके अलावा वे किसी भी श्रद्धालु को तिलक-चंदन नहीं लगाएंगे। फिलहाल, किसी भी पुजारी को मीडिया से बात करने के लिए मना किया गया है। इस खबर में जिन पुजारियों के वीडियो इस्तेमाल हुए हैं, उनसे बातचीत इन नियमों के लागू होने से पहले की गई है।
अब बाकी 3 पुजारियों की बात पुजारी सत्येंद्र दास और संतोष तिवारी के अलावा रामलला के 3 और पुजारी हैं। इनमें बस्ती जिले के प्रेम चंद्र त्रिपाठी, गोंडा के अशोक उपाध्याय और संत कबीरनगर के प्रदीप दास हैं। ट्रस्ट के नए नियमों को देखते हुए तीनों पुजारियों ने हमें ऑफिशियल बाइट देने से मना कर दिया।
बाकी तीनों पुजारियों के बारे में जानिए…
अब तक आपने रामलला के 5 पुजारियों के बारे में जाना। आगे इनके सिलेक्शन प्रोसेस को जानते हैं…
पहले हाईकोर्ट तय करता था पुजारी, अब ट्रस्ट के जिम्मे राम मंदिर रामानंद संप्रदाय का है। रामानंद का अर्थ है- राम को पूजने वाले। हिंदू परंपरा में वैष्णव, शैव, शाक्त, स्मार्त, वैदिक और चावार्क संप्रदाय हैं। वैष्णव संप्रदाय भगवान विष्णु के उपासक होते हैं।
वैष्णव संप्रदाय का उप-संप्रदाय ‘श्री’ संप्रदाय है। ये 2 हिस्सों रामानंद और रामानुज में बंटा है। रामानंद संप्रदाय के लोग भगवान राम और सीता को पूजते हैं। इसी संप्रदाय से दीक्षा ले चुके छात्र राम मंदिर के पुजारी बन सकते हैं।
1992 से लेकर राम मंदिर का फैसला आने तक पुजारियों की नियुक्ति हाईकोर्ट के जज करते थे। इसके बाद 5 फरवरी 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट की घोषणा की। तब से मंदिर में पुजारियों की नियुक्ति ट्रस्ट करता है। ट्रस्ट इस बात का ध्यान रखता है कि उन्हीं पुजारियों को रखा जाए, जो रामानंद संप्रदाय से जुड़े हुए हों।
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्रा कहते हैं, ‘राम मंदिर के परिसर के अंदर 18 से 20 मंदिर और बन रहे हैं। दर्शन का समय भी 14 से 16 घंटे का हो गया है। इसे देखते हुए हमें भविष्य में और पुजारियों की जरूरत पड़ेगी। हम चाहते हैं कि राम मंदिर के लिए ऐसे पुजारी तैयार हों, जो प्रॉपर ट्रेनिंग के बाद रामलला की सेवा करें।‘
4 दिन की कड़ी परीक्षा पास करने वाले बनते हैं रामलला के पुजारी रामलला का पुजारी बनना इतना आसान नहीं है। देशभर से छात्र पुजारी पद के लिए 4 दिन की परीक्षा में बैठते हैं। कई चरणों में पास होने के बाद उन्हें राम मंदिर के पूजन विधि की ट्रेनिंग पर भेजा जाता है। सिलेक्शन के बाद भी इतने कड़े नियम होते हैं कि बीच में ही कुछ छात्र प्रक्रिया छोड़ देते हैं, जो इसमें कामयाब होते हैं, उन्हें ही मंदिर में पुजारी का पद मिलता है।
ये तस्वीर उस वक्त की है, जब ट्रेनिंग के बाद नए पुजारियों को मंदिर सेवा के लिए परमानेंट किया गया था। तब उन्हें नए मोबाइल भी मिले थे।
पुजारी पद की परीक्षा के लिए फॉर्म राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट की वेबसाइट पर जारी किया जाता है। 2022-23 में देश के 3000 छात्रों ने फॉर्म भरा था। इनमें 257 चुने गए। सिलेक्शन प्रोसेस के आखिरी फेज तक 257 में से सिर्फ 24 छात्र बचे। पिछले साल इन 24 छात्रों में भी 3 ने खुद चयन प्रक्रिया छोड़ दी। फिलहाल, बचे 10 छात्रों को ट्रेनिंग के बाद राम मंदिर में ड्यूटी पर रखा गया है। …………………….. पढ़िए, अगले 3 दिनों में अयोध्या में दर्शन-पूजा की व्यवस्था और कार्यक्रम क्या होंगे…
रामलला प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ, 5 लाख श्रद्धालु आएंगे
अयोध्या रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ मनाने को तैयार है। 11 से 13 जनवरी तक उत्सव होंगे। इन 3 दिनों में VIP दर्शन नहीं होंगे। मंदिर ट्रस्ट ने अंगद टीला पर जर्मन हैंगर टेंट लगवाए हैं। 5 हजार मेहमानों की मेजबानी होगी, इनमें 110 VIP गेस्ट होंगे। ट्रस्ट के मुताबिक, 5 लाख लोगों के आने का अनुमान है। पढ़िए अयोध्या में कब क्या होगा…