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लंदन मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी में बुलाई गईं IAS सोनल गोयल: बताया- कैसे PPP मॉडल ने सड़क नेटवर्क खड़ा किया, भारत की विकास यात्रा पर हुई चर्चा – New Delhi News


लंदन मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी में आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार रखीं IAS ऑफिसर सोनल गोयल।

लंदन मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी में ‘द आर्ट एंड साइंस ऑफ प्रोजेक्ट मैनेजमेंट: लेसन्स फ्रॉम इंडिया एंड बियॉन्ड’ विषय पर अपने विचार साझा करने के लिए त्रिपुरा कैडर की 2008 बैच की IAS अधिकारी सोनल गोयल बुलाई गईं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के सामने चुन

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‘डिजिटल इंडिया मिशन ने पुरानी चुनौतियों को बदला’

सोनल गोयल ने भारत की उन पुरानी चुनौतियों से अपनी बात शुरू की, जब देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के मुताबिक एक रुपये में से केवल 15 पैसे ही लाभार्थियों तक पहुंचते थे। उन्होंने बताया कि किस तरह 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू हुए डिजिटल इंडिया मिशन ने इस स्थिति को पूरी तरह बदल दिया।

उन्होंने प्रधानमंत्री जन-धन योजना का उदाहरण देते हुए बताया कि इस पहल के तहत 50 करोड़ से अधिक नागरिकों को बैंकिंग सुविधाओं से जोड़कर डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की नींव रखी गई। इससे बिना किसी बिचौलियों के सरकारी सब्सिडी और योजनाओं का लाभ सीधे जरूरतमंदों तक पहुंच सका।

सोनल गोयल ने गिल्डहॉल स्कूल ऑफ बिजनेस एंड लॉ के प्रोफेसर अरविंद उपाध्याय को अपनी पुस्तक ‘नेशन कॉलिंग’ की एक प्रति भी भेंट की।

लार्ज स्केल सोशल वेलफेयर के प्राजेक्ट्स

सोनल ने भारत के लार्ज स्केल सोशल वेलफ़ेयर प्राजेक्ट्स के संदर्भ में आधार, यूपीआई, स्मार्ट सिटीज मिशन, पीएम जल जीवन मिशन की भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि किस तरह यह योजनाएं केवल सामाजिक कल्याण तक सीमित नहीं हैं, बल्कि समाज के हर वर्ग को सशक्त कर रही हैं और 2047 तक विकसित भारत बनाने के लक्ष्य में निर्णायक साबित हो रही हैं।

यूरोपीय और ब्रिटिश छात्रों को सोनल (IAS Sonal Goel) ने समझाया कि कैसे पब्लिक-प्राइवेट पार्ट्नरशिप मॉडल के प्रभावी क्रियान्वयन के चलते भारत में सड़क नेटवर्क 2014 में 91,287 किमी से बढ़कर दिसंबर 2023 तक 1,46,145 किमी हो गया। साथ ही उन्होंने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे अभियानों को धरातल पर उतारने में संचार की भूमिका को भी रेखांकित किया।

‘ब्लॉकचेन तकनीक से जमीन के डेटा ऑनलाइन’

सोनल ने बताया कि कैसे सरकार ने भूलेख परियोजना में ब्लॉकचेन जैसी तकनीक का उपयोग करके राज्यों में खेतिहर जमीन के डेटा को ऑनलाइन कर दिया है। भूमि रिकॉर्ड्स को डिजिटलीकृत करने से न सिर्फ़ सिस्टम में पारदर्शिता और प्रशासनिक क्षमता में वृद्धि हुई है बल्कि भूमि से जुड़े विवादों में भी असाधारण रूप से कमी आयी है और निचली अदालतों पर बोझ कम हुआ है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए आगे सोनल ने बताया कि भारत ने पिछले दशक में 415 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। उन्होंने इसे भारत की परिवर्तनकारी योजनाओं और प्रभावी नीतियों का प्रमाण बताया। सोनल ने कहा कि भारत का यह मॉडल अन्य देशों के लिए भी प्रेरणा का एक स्रोत है।



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