लखनऊ बलरामपुर गार्डन में 21 वां राष्ट्रीय पुस्तक मेला जारी है। चौथे दिन बड़ी संख्या साहित्य प्रेमियों का जमावड़ा लगा। मेले में नये साहित्यकारों की पुस्तकों की काफी डिमांड रही। पुस्तक मेले में बड़ी संख्या में बुजुर्गों के साथ युवा भी नजर आए। किताबों में
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पुस्तक मेले में युवाओं और बुजुर्गों का लगा जमावड़ा
ज्योति किरण ने जानकारी देते हुए बताया कि चौथे दिन बड़ी संख्या में पुस्तकों का विमोचन किया गया। मेले में आयी नई किताबों में राजपाल द्वारा प्रकाशित 24 पुस्तकों में सुधीर विद्यार्थी की ‘बिदाय दे माँ’ , देवदत्त पट्टनायक की ‘गरुड़ पुराण’, राजेन्द्र राजन की फिल्म से चर्चित हुई ‘हीरामण्डी’ और सुशील तंवर की ‘मुखबिर’ पसंद की जा रही हैं। किराज कमल समूह की किताबों में ‘प्रत्यक्षा की अतर दुनिया में क्या हासिल’ , देवेश की ‘मेट्रोनामा’ और संजीव की ‘प्रार्थना’ जैसी पुस्तकें चर्चा का विषय रहीं।
पुस्तक मेले में सांस्कृतिक मंच पर कार्यक्रम का हुआ आयोजन
‘पुस्तक मेले का साल भर रहता है इन्तिजार’
मेले में सजे साहित्यिक मंच पर रत्ना बापुली की पुस्तक ‘भारत की महान नारियां’ का विमोचन प्रोफेसर उषा सिन्हा की अध्यक्षता में हुआ । शाम को जन संस्कृति मंच विमोचन के साथ काव्यपाठ किया गया। कवि और आलोचक चन्द्रेश्वर की अध्यक्षता में अशोक चन्द्र, शैलेश पंडित और उषा राय ने संग्रह की कविताओं पर विचार रखे। रेनू शुक्ला, इरा श्रीवास्तव ने कविताओं की प्रस्तुति दिया। ज्योति किरण ने कहा कि पुस्तक मेला में लगे जमावड़े से साबित हो रहा है कि यह सफलता की ओर बढ़ रहा है। मेला में हर दिन नए चेहरे को देखने को मिलते हैं। यहां आने वाले पाठकों का कहना है कि मेले का साल भर इंतजार रहता है। जो किताबें कहीं नहीं मिलती है वह इस मेले में मिल जाती हैं।