लखनऊ20 मिनट पहले
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लखनऊ के बाल्मीकि रंगशाला प्रेक्षागृह में आस्था नाट्य रंग मण्डल समिति द्वारा आयोजित तीन दिवसीय नाट्य समारोह शुरू हो गया । पहले दिन विजय पण्डित द्वारा लिखित और रत्ना अग्रवाल द्वारा निर्देशित नाटक ‘पूर्ण पुरुष’ का मंचन किया गया। यह आयोजन भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से किया गया।
प्रेमिका स्वार्थी पत्नी बन जाती है
नाटक की कहानी स्त्री-पुरुष के रिश्तों की पेचीदगियों को दर्शाती है। इसमें शाश्वती नाम की एक महिला की कहानी है। वह एक समर्पित प्रेमिका से स्वार्थी पत्नी बन जाती है। दूसरी ओर समग्र, एक प्रतिभाशाली चित्रकार है। वह अत्यधिक संवेदनशील है। उसकी अकर्मण्यता और अहंकार उसे नकारात्मक बनाते हैं।
हम सब आधे-अधूरे हैं….
नाटक का मुख्य संदेश है कि जीवन में पूर्णता की कोई अवधारणा नहीं होती। शाश्वती का एक संवाद इसे स्पष्ट करता है। वह कहती है कि हम सब आधे-अधूरे हैं। कोई भी पूर्ण नहीं होता। हमें अपनी अपूर्णता में ही पूर्णता ढूंढनी चाहिए।
दर्शकों ने नाटक को खूब सराहा
रत्ना अग्रवाल ने शाश्वती और अंकुर सक्सेना ने समग्र का किरदार निभाया। दोनों के अभिनय को दर्शकों ने सराहा। मनीष सैनी ने प्रकाश व्यवस्था संभाली। डॉ. स्वपनिल अग्रवाल ने संगीत दिया। शाहिर अहमद ने रूप सज्जा की। आशुतोष विश्वकर्मा ने सेट का निर्माण किया। दर्शकों ने इस नाटक को खूब सराहा।
लखनऊ के बाल्मीकि रंगशाला प्रेक्षागृह में आयोजित तीन दिवसीय नाट्य समारोह शुरू हो गया है। पहले दिन के मंचन को दर्शकों ने खूब सराहा है।