मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10वीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में इस साल शामिल होने वाले करीब 16.60 लाख विद्यार्थी संकट में हैं। उन्हें वार्षिक परीक्षा के ठीक दो महीने पहले तक स्कूल में पढ़ाई का मौका नहीं मिलेगा। कक्षाएं नहीं लगेंगी तो उनका कोर्स पू
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दरअसल, इन दिनों 10वीं-12वीं की प्री बोर्ड परीक्षा चल रही है, इसलिए उनकी कक्षाएं नहीं लग रहीं। जनवरी महीना इसी में निकल गया। मंडल द्वारा 3 से 22 फरवरी तक 9वीं एवं 11वीं की परीक्षा का टाइम टेबल जारी किया है। इसमें विसंगति यह है कि लोकल परीक्षाएं सुबह-शाम दो सत्रों में होंगी। यानी 10वीं की परीक्षा सुबह 9.30 से 12.20 एवं 12वीं की दोपहर 1.30 से शाम 4.30 बजे तक। इसके चलते 10वीं, 12वीं की कक्षाएं नहीं लगेंगी। पूरे समय क्लास रूम और शिक्षक इंगेज रहेंगे।
23 फरवरी से बोर्ड की प्रायोगिक परीक्षाएं
लोकल परीक्षाएं खत्म होते ही 23 फरवरी से बोर्ड की प्रायोगिक परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी। 10वीं की लिखित परीक्षा 27 फरवरी से 19 मार्च एवं 12वीं की 25 फरवरी से 25 मार्च तक चलेंगी। इस कारण पूरे दो महीने एक्स्ट्रा क्लासेस तो दूर सामान्य कक्षाएं भी नहीं लग सकेंगी। पढ़ाई ठप होने पर रिजल्ट पर असर पड़ने वाला है।
संकट का यह है समाधान- शिक्षा विभाग द्वारा 9वीं, 11वीं की परीक्षाएं दो सत्रों में पूरे दिन कराने के बजाय सुबह या शाम किसी एक सत्र में करानी चाहिए। यदि संशोधित आदेश जारी होता है तो एक सत्र में अन्य कक्षाएं लग सकती हैं। इससे 10वीं एवं 12वीं का कोर्स पूरा हो सकेगा।
विद्यार्थियों को पढ़ने का समय नहीं मिलेगा तो रिजल्ट बिगड़ेगा
शिक्षा विभाग ने अब बेस्ट फाइव पॉलिसी खत्म कर दी। विद्यार्थी को सभी छह विषयों में पास होना जरूरी है। कोई विद्यार्थी गणित, अंग्रेजी या विज्ञान विषय में फेल भी हो जाता था तो उसे पास माना लेते थे। बेस्ट फाइव खत्म किया तो विद्यार्थियों को पढ़ने और शिक्षकों को पढ़ाने का समय मिलना चाहिए। 9वीं-11वीं परीक्षाएं एक ही सत्र में ली जाना चाहिए। परीक्षा के पीक टाइम में बोर्ड की पढ़ाई ठप होती है तो निश्चिच रूप से रिजल्ट बिगड़ेगा। लोकल परीक्षाएं पहले की तरह प्रिंसिपल पर ही छोड़ देना चाहिए।