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लोगों को दोगुनी कीमत में बेच रहे सामान: न लाइसेंस न अनुमति फिर भी शहरभर में बिल्डिंग मटेरियल डंप, मुसीबत में रहवासी – Gwalior News



सरकारी सड़क-जमीन हो या किसी का प्लॉट… उस पर अवैध तरीके से रेत-गिट्टी व ईंटों की फड़ लगाने वालों ने राहगीरों एवं क्षेत्र में रहने वालों की मुसीबतें बढ़ा रखी हैं। इन फड़ संचालकों के पास न तो जिला प्रशासन या खनिज विभाग से अनुमति है और न लाइसेंस। फिर

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वहीं खनिज विभाग की टीम इन पर कार्रवाई नहीं करता, जिससे इनके हौंसले बुलंद है। इस तरह का ज्यादा अवैध कारोबार उपनगर ग्वालियर एवं मुरार के क्षेत्रों में हो रहा है। ये लोग अपने मुनाफे के लिए लोगों की जान से सीधे तौर पर खिलवाड़ कर रहे हैं। जिम्मेदार अधिकारी भी मानते हैं कि ये फड़ संचालक पूरी तरह से अवैध कारोबार कर रहे हैं। लेकिन कार्रवाई के मामले में चुप्पी साधे हुए हैं।

टीम से इसे चेक कराकर कार्रवाई की जाएगी जिला खनिज अधिकारी प्रदीप भूरिया का कहना है कि जिन फड़ों की बात हो रही है उनके पास रेत, गिट्टी डंप करने को लेकर कोई परमिशन नहीं दी जाती। टीम से इसे चेक कराकर कार्रवाई की जाएगी।

यहां है बड़े फड़, मगर अफसर नहीं पहुंचते

मोहिते गार्डन: विनय नगर सेक्टर 4 के सामने स्थित मोहिते गार्डन के बाहर सरकारी नाले की जगह पर बिल्डिंग मटेरियल सप्लाई का काम हो रहा है। यहां सड़क पर रेत, गिट्टी, का ढेर लगा रहता है। जिस कारण आए दिन वाहन चलते दुर्घटना का शिकार होते हैं।

हुरावली: हुरावली चौराहे से सिरोल की तरफ जाते हुए रोड पर चौराहे से करीब 70-80 मीटर दूरी पर ही बिल्डिंग मटेरियल सप्लाई का बोर्ड लगा है। बाहर सड़क पर रेत व ईंटों का ढेर लगा रहता है और इन्हें यहीं से बेचा जाता है।

सीपी कॉलोनी: मुरार की सबसे बड़े रिहायश वाली इस कॉलोनी में चर्च के नजदीक एक खाली जगह पर ईंट, रेत व गिट्टी का स्टॉक किया जाता है और फिर उसे बेचा जाता है। यहां ईंट के ढेर सड़क तक लगे रहते हैं।

बहोड़ापुर: आनंद नगर-ट्रांसपोर्ट नगर को जोड़ने वाली डबल रोड पर जीडीए ने हेल्थ सेंटर के लिए जमीन आरक्षित की है। जिस पर अवैध रेत का कारोबार रोज होता है। यहां चंबल की रेत ट्रॉली से आती है, जो डंफर से शहर में सप्लाई होती है। ऐसे ही हालात मस्तान बाबा रोड, आनंद नगर में नवगृह मंदिर के आसपास के साथ मोतीझील और सागरताल के बने हुए हैं।

सिर्फ रेत कंपनी कर सकती है डंप, यहां सब कर रहे मानसून के दौरान निर्माण कार्य के लिए रेत की कमी न हो। इसलिए शासन द्वारा रेत ठेका लेने वाली कंपनियों को एक लिमिट में रेत डंप करने की अनुमति देता है। उसके स्टॉक की भी कंपनी को खनिज विभाग के पास जमा करानी होती है कि किस डंप प्वाइंट पर कितनी रेत रखी गई है। ये परमिशन सिर्फ बारिश के दौरान दी जाती है। क्योंकि मानसून सीजन के दौरान नदी से रेत निकाले जाने पर प्रतिबंध रहता है।

4 हजार का सामान, वसूले जा रहे 7500 रुपए तक इन फड़ पर रेत, गिट्टी व ईंट को दोगुना कीमत पर बेचा जा रहा है। इनकी कीमतों परो किसी का कोई नियंत्रण नहीं है और न मॉनिटरिंग। जिस वजह से लोगों से मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं। स्थिति यह है कि जिस एक ट्रॉली रेत की कीमत सामान्य तौर पर 4000 से 4500 रुपए तक है। वह रेत फड़ वाले 6500 से 7500 रुपए तक में दे रहे हैं। वहीं छत ढलाई वाली गिट्टी 3000 रुपए ट्रॉली तक आ रही है, उसके भी फड़ संचालक 5500 रुपए तक वसूल रहे। ऐसे ही ईंटों में मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं।



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