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वन नेशन-वन इलेक्शन JPC के लिए प्रियंका का नाम: कांग्रेस ने 3 और सांसदों को नॉमिनेट किया; लोकसभा में कल पेश हुआ था बिल


नई दिल्ली5 मिनट पहले

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एक देश, एक चुनाव के लिए संसद में मंगलवार को पेश हुए 129वां संविधान (संशोधन) बिल की समीक्षा के लिए बनने वाली जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) में कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल हो सकती हैं।

कांग्रेस ने JPC के लिए चार सांसदों के नाम नॉमिनेट किए हैं। इनमें प्रियंका के अलावा मनीष तिवारी, रणदीप सिंह सुरजेवाला और सुखदेव भगत सिंह शामिल हैं। वहीं, तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने साकेत गोखले और कल्याण बनर्जी का नाम आगे बढ़ाया है।

बीते दिन बिल पेश किए जाने पर विपक्ष के विरोध को देखते हुए अमित शाह ने सदन में कहा कि बिल जब कैबिनेट में आया था, तब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजना चाहिए। कानून मंत्री ऐसा प्रस्ताव कर सकते हैं।

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने वन नेशन वन इलेक्शन को वापस लेने की अपील की थी।

वोटिंग के बाद एक देश-एक चुनाव के लिए बिल दोबारा पेश हुआ

कानून मंत्री मेघवाल ने 17 दिसंबर को लोकसभा में एक देश-एक चुनाव को लेकर संविधान संशोधन बिल रखा था। विपक्षी सांसदों ने इसका विरोध किया। इसके बाद बिल पेश करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग कराई गई। कुछ सांसदों की आपत्ति के बाद वोट संशोधित करने के लिए पर्ची से दोबारा मतदान हुआ।

इस वोटिंग में बिल पेश करने के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े। इसके बाद कानून मंत्री ने बिल दोबारा सदन में रखा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भाजपा बिल पेश होते समय लोकसभा में अनुपस्थित रहे 20 सांसदों को नोटिस भेजेगी। पार्टी ने सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया है। पूरी खबर पढ़ें…

लोकसभा में मौजूद सत्ता पक्ष के सांसदों ने बिल का समर्थन किया। तस्वीर में अमित शाह, राजनाथ सिंह, पीयूष गोयल, किरेन रिजिजू देखे जा सकते हैं।

एक देश-एक चुनाव क्या है…

भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं। एक देश-एक चुनाव का मतलब लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से है। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय वोट डालेंगे।

आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एकसाथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद दिसंबर, 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।

एक देश-एक चुनाव के लिए बनाई गई समिति ने मार्च में राष्ट्रपति को सौंपी थी रिपोर्ट

एक देश-एक चुनाव पर विचार के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 2 सितंबर, 2023 को एक कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने करीब 191 दिनों में स्टेकहोल्डर्स और एक्सपर्ट्स से चर्चा के बाद 14 मार्च, 2024 को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी थी।

एक देश-एक चुनाव को लागू करने के लिए संविधान संशोधन के जरिए संविधान में 1 नया अनुच्छेद जोड़ने और 3 अनुच्छेदों में संशोधन करने की व्यवस्था की जाएगी। सरकार इस मुद्दे पर आम सहमति बनाना चाहती है, लिहाजा बिल को जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) को भेजे जाने की संभावना है।

संविधान संशोधन से क्या बदलेगा, 3 पॉइंट…

  • संविधान संशोधन के जरिए अनुच्छेद- 82(A) जोड़ा जाएगा, ताकि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जा सकें। वहीं, अनुच्छेद- 83 (संसद के सदनों का कार्यकाल), अनुच्छेद- 172 (राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल) और अनुच्छेद- 327 (विधानसभाओं के चुनाव से जुड़े कानून बनाने में संसद की शक्ति) में संशोधन किया जाएगा।
  • बिल के जरिए प्रावधान किया जाएगा कि आम चुनाव के बाद लोकसभा की पहली बैठक की तारीख पर राष्ट्रपति नोटिफिकेशन जारी करेंगे। नोटिफिकेशन जारी करने की तारीख को अपॉइंटेड डेट कहा जाएगा। लोकसभा का कार्यकाल अपॉइंटेड डेट से 5 साल का होगा। लोकसभा या किसी राज्य की विधानसभा समय से पहले भंग होने पर बचे हुए कार्यकाल के लिए ही चुनाव कराए जाएंगे।
  • बिल के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है कि यह पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक देश-एक चुनाव पर हाईलेवल कमेटी की सिफारिशों पर आधारित है। कोविंद कमेटी ने देश और राज्यों को चुनावों के साथ ही लोकल बॉडीज इलेक्शन कराने की भी सिफारिश की थी। हालांकि 12 दिसंबर को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इसे लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ है।



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