इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी निवासी नितेश कुमार के अपहृत भाई का पता लगाने में पुलिस टीम के नाकाम रहने पर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक से हलफनामा मांगा है। याचिका की अगली सुनवाई नौ जुलाई को होगी।
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इससे पहले कोर्ट ने सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि अपहृत की हत्या हो सकती है, संबंधित जिलों के पुलिस प्रमुख को क्यों नहीं दोषी माना जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति हरवीर सिंह की खंडपीठ ने 12 जून को प्रकरण में सुनवाई करते हुए कहा कि याची का भाई 31 मार्च 25 से लापता है ,जिसके अपहरण की आशंका की एफआईआर दर्ज कराई गई है।और जब इस न्यायालय में चार जून को सुनवाई हुई तो सात जून को अपहृत की तलाश के लिए पुलिस दल गठित किया गया,लेकिन आज सुनवाई के समय कोर्ट के संज्ञान में कोई प्रगति नहीं लाई गई। जांच दल गठित किए जाने के बाद से आज तक पुलिस द्वारा कोई प्रगति रिपोर्ट नहीं की गई है। चार जून को इसी मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति जेजे मुनीर व अनिल कुमार (दशम) की खंडपीठ ने अपहरण से जुड़े मामलों में पुलिस की उदासीनता पर चिंता व्यक्त की थी। कहा था कि समय पर पता न लगने के कारण यदि अपहृत व्यक्ति की हत्या हो जाती है तो प्रथम दृष्टया जिम्मेदारी उस जिले के पुलिस प्रमुख की तय की जानी चाहिए जहां केस दर्ज हुआ है।
कोर्ट ने कहा था कि पुलिस अधिकारी हमेशा अपनी छवि बनाने की कोशिश में दिखते हैं लेकिन शिकायतों को लेकर संजीदा नहीं रहते। वाराणसी के पुलिस आयुक्त व अन्य पुलिस अफसरों से हलफनामा मांगा गया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि – यह पहला मामला नहीं है जब लापता लोगों का पता नहीं चल पाया है। पुलिस शिकायत दर्ज कर ध्यान देने से खुद को बचाती रही है। संबंधित प्रकरण में एफआइआर तीन अप्रैल 2025 को दर्ज की गई, लेकिन पुलिस उदासीन रही। क्योंकि अधिकारियों की कोई व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय नहीं थी। पुलिस की इस तरह की उदासीनता से ही अपहृत की हत्या तक हो जाती है।