गाबा टेस्ट ड्रॉ होने के साथ ही भारतीय क्रिकेट में एक युग का अंत हो गया। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे टेस्ट मैच के समापन के साथ ही भारत के दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया। अश्विन ने एडिलेड टेस्ट में प्लेइंग-11 का हिस्सा रहते हुए एक विकेट झटका था लेकिन गाबा टेस्ट की प्लेइंग-11 में उन्हें मौका नहीं मिल सका। इसके बाद उनके बाकी के मैचों में भी खेलने की संभावना कम थी। ऐसे में अश्विन ने टीम इंडिया से विदा लेने का बड़ा फैसला करते हुए सभी को चौंका दिया। अश्विन पिछले कई सालों से टीम इंडिया की ओर से सिर्फ टेस्ट क्रिकेट में लगातार खेलते नजर आ रहे थे। हालांकि बीच-बीच में उन्हें लिमिटेड ओवर फॉर्मेट टीम में मौका दिया गया लेकिन वह प्रभावित नहीं कर सके।
रविचंद्रन अश्विन ने अपने करियर में कई उपलब्धियां हासिल की। अश्विन ने नवंबर 2011 में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया था। उन्होंने इस मैच में 9 विकेट लिए और प्लेयर ऑफ द मैच अवॉर्ड अपने नाम किया। अश्विन ने टेस्ट क्रिकेट में अपनी पहली पारी में ही पांच विकेट (156 रन देकर पांच विकेट) लेने का कारनामा किया था। इसके अगले ही साल अश्विन ने अगस्त 2012 में पहली बार टेस्ट मैच में 10 या इससे अधिक विकेट लेने का कारनामा किया। अश्विन ने भारत के लिए 106 टेस्ट मैचों की 200 पारियों में 537 विकेट अपने नाम किए।
अश्विन वर्ल्ड रिकॉर्ड से चूके
अश्विन ने वैसे तो कई कप्तानों के अंडर खेलते हुए गेंद से कमाल किया लेकिन उनका सर्वश्रेष्ठ दौर विराट कोहली की कप्तानी में आया। विराट कोहली की कप्तानी में उन्होंने 94 पारियों में कुल 293 विकेट अपने नाम किए। इस तरह वह टेस्ट में एक ही कप्तान के अंडर खेलते हुए दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज रहे। अगर कोहली थोड़े और दिन कप्तान बने रहते तो अश्विन टेस्ट में एक कप्तान के अंडर खेलते हुए सबसे ज्यादा विकेट लेने का वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम कर लेते।
टेस्ट क्रिकेट में एक ही कप्तान के अंतर्गत सबसे ज्यादा विकेट चटकाने वाले गेंदबाज
- 347 – ग्रीम स्मिथ की कप्तानी में डेल स्टेन (131 पारी)
- 293 – विराट कोहली के नेतृत्व में आर अश्विन (94 पारी)
- 280 – ग्रीम स्मिथ की कप्तानी में मखाया एंटिनी (130 पारी)
- 231 – एलन बॉर्डर की कप्तानी में क्रेग मैकडरमोट (98 पारी)
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