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विसंगति…: कहीं 29% तो कहीं 44% पदों पर महिला आरक्षण – Indore News


सरकारी नौकरी में 35 फीसदी महिला आरक्षण को पिछले माह कैबिनेट की मंजूरी

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सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली भर्ती में महिला आरक्षण की तय सीमा का पालन नहीं किया जा रहा है। एमपी पीएससी के ही पिछले कुछ साल के भर्ती विज्ञापनों को देखें तो पता चलता है कि इसमें महिला आरक्षण का कोई निश्चित और समान फॉर्मूला नहीं अपनाया गया।

किसी विभाग ने 44% पद तो किसी ने सिर्फ 29 फीसदी पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए हैं। जबकि पिछले महीने ही राज्य सरकार ने कैबिनेट में सरकारी नौकरी में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दी है। अब तक 33 फीसदी आरक्षण दिया जाता था।

एमपी पीएससी ने पिछले तीन साल में विभिन्न विभागों के लिए दो हजार से ज्यादा भर्तियां निकालीं। इनमें राज्य सेवा परीक्षाएं भी शामिल हैं। इन भर्तियों में महिला आरक्षण का औसत देखा जाए तो वह 35 फीसदी से ऊपर ही जा रहा है। जबकि पहले आरक्षण का फॉर्मूला 33 फीसदी के हिसाब से तय होता रहा है।

इसमें हर वर्ग में कुल पदों में से 33 फीसदी महिलाओं के लिए निकाला जाता है। यदि दशमलव के बाद पांच से कम होता है तो उसे निचली संख्या पर माना जाता है। यदि दशमलव के बाद पांच से अधिक होता है तो ऊपर की संख्या माना जाता है। इस नियम का पालन भी नहीं किया गया।

द्वितीय श्रेणी भर्ती में भी गड़बड़ समीकरण

पीएससी की सबसे प्रमुख भर्ती परीक्षा राज्य सेवा परीक्षा है। इन परीक्षाओं का पिछले तीन साल का डाटा देखने पर सामने आया कि प्रमुख यानी द्वितीय श्रेणी के पदों में आरक्षण की अनिश्चितता है। कई बार आरक्षण 33 से कम तो कई बार 35 फीसदी से अधिक भी दिया गया।

आरक्षण सीमा का पालन नहीं

पिछले साल अक्टूबर में ही जारी हो गया था 35 फीसदी महिला आरक्षण का नोटिफिकेशन

सरकारी नौकरी में 35 फीसदी महिला आरक्षण को भले ही कैबिनेट ने 5 नवंबर 2024 को मंजूरी दी हो लेकिन इसका नोटिफिकेशन 3 अक्टूबर 2023 को ही हो गया था। यानी इस दिनांक के बाद जारी होने वाली सभी भर्तियों में यह लागू होना चाहिए। हालांकि पिछले भर्ती विज्ञापनों को देखें तो साफ है कि न तो 33% की सीमा का और न ही 35% की इस नई सीमा का पालन विभागों द्वारा किया जा रहा है।

इस विसंगति पर कोई अधिकारी जवाब देने को तैयार नहीं​​​​​​​

सरकारी नौकरियों में महिला आरक्षण को लेकर नियमों के उल्लंघन पर कोई अधिकारी कुछ कहने को तैयार नहीं है। सामान्य प्रशासन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पदों के आरक्षण का फैसला तो संबंधित विभाग ही करते हैं।



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