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लारेंस रोड स्थित बिजली पहलवान मंदिर में वीरवार को शिव महापुराण कथा में बाबा भोले नाथ के भजन गाए गए। आयोजन किया। बाद दोपहर 3 से 6 बजे तक चली कथा को सुनने शहर के कई शिव भक्त पहुंचे। मां चिंतपूर्णी संस्था और संगत के सहयोग से शिव महापुराण कथा की गई।
जिसमें वृंदावन धाम से ब्यास गद्दी पर विराजमान शुभम तिवारी ने कथा दौरान बाबा भोले नाथ के विवाह के बाद की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि बाबा भोले नाथ माता पार्वती से विवाह करके उन्हें कैलाश पर्वत पर ले आए। जिसमें देवता और अन्य शिव गण नाचते उनके साथ कैलाश में पहुंचे।
कथा में भजन गायकों की ओर से बाबा भोले नाथ के भजन गाए। गणेश वंदना से शुरु किए भजनों में जिसमें भजन गायकों ने ‘भोले दे नाम दी मस्ती चढ़ गई नी मैं कमली हो गई’ और ‘मैं नच्च-नच्च भोले नूं मनाउणा है ’ आदि भजन गाए। जिसे सुनकर भक्तजन मंत्र मुग्ध हो उठे।
इसी दौरान भक्तों की तरफ से भगवान को 108 प्रकार के व्यजनों के भोग लगाए गए। जिसमें फल, मिठाईयां, रस और अन्य सामान मौजूद था। भोग के उपरांत कथा सुनने आए भक्तो को उन्हें प्रसाद के रूप में बांटा गया। कथा में तिवारी महाराज ने कहा कि बाबा भोले नाथ त्रिलोकी के स्वामी है।
उन्होंने समुंदर मंथन दौरान निकले विष का पान किया। जिसके बाद उनका नाम नीलकंठ पड़ा। इस मौके पर संजय सेठ, दिनेश सिंघला, वरुण अग्रवाल, पूर्व पार्षद शमा शर्मा, मनोज अग्रवाल, सीमा, अशोक कुमार, सुनील कुमार, रिचा अग्रवाल समेत कई भक्त मौजूद थे।
भास्कर न्यूज | अमृतसर साल 2024 की विदाई से पहले इस साल की आखिरी सोमवती अमावस्या का संयोग 30 दिसंबर को बन रहा है। ऐसे में इस दिन मंदिरों, स्नान घाटों और तीर्थ स्थान पर भारी भीड़ रहेगी। इसके बाद 2025 में एक बार भी सोमावती अमावस्या का संयोग नहीं रहेगा। ज्योतिषाचार्य राधे श्याम का कहना है कि अब ऐसा संयोग डेढ़ साल बाद यानि 15 जून 2026 को बनेगा।
हिंदू कैलेंडरों के अनुसार पौष माह कृष्णपक्ष अमावस्या 30 दिसंबर को मनाई जाएगी। जबकि अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से यह इस साल की आखिरी सोमवती अमावस्या होगी। इससे पहले सोमवती अमावस्या का संयोग 2 सितंबर को बना था। वहीं अब 30 दिसंबर को पड़ने वाली अमावस्या तिथि सुबह 4 बजे जाएगी और सूर्योदय के बाद मध्य रति तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि अनुसार यह इस साल की आखिरी सोमावती अमावस्या होगी। पंडित सोहन लाल शास्त्री के मुताबिक यह दिन सनातन के लिए विशेष शुभ माना गया है।
वैसे तो हर माह अमावस्या आती है, लेकिन जब सोमवार के दिन आती है तो सोमावती अमावस्या का संयोग बनता है। साल में बहुत कम ऐसे मौके आते हैं जब सोमावती अमावस्या होती है। इस दिन तीर्थ स्थलों पर स्नान, दान, पुण्य करने का विशेष महत्व के साथ-साथ पितरों का तर्पण भी इसी दिन किया जाता है।
सोमावती अमावस्या के दिन शिव पूजन के लिए बेहद खास माना जाता है। पंडितों के मुताबिक दिन की शुरुआत स्नान करके पितरों का तर्पण करें। भोजन तैयार करके पहला भाग गौ माता को खिलाएं। अगर आपकी कुंडली में पितृ दोष है तो पितृ तर्पण किसी ब्राह्मण से करवाए। वहीं पितरों के लिए हवन करें और पितृ दोष की शांति के लिए गीता का पाठ करें।