संक्रांति का दिन हो या फिर रविवार का, रथ सप्तमी हो या फिर भानु सप्तमी. भगवान सूर्य से जुड़े व्रत और पर्व पर आप उनकी विधि विधान से पूजा करने के बाद आरती जरूर करें. आरती करने से पूजा की जो भी कमियां होती हैं, वो पूरा हो जाती हैं. भगवान भास्कर को प्रसन्न करने से ग्रह दोष मिटते हैं, रोगों से मुक्ति मिलती है, धन और धान्य से घर भर जाता है. सूर्य के शुभ प्रभाव से पिता का सहयोग मिलता है और उनसे संबंध मधुर होता है. यदि आपका सूर्य मजबूत है तो उच्च पद और यश की प्राप्ति होती है. सूर्य ग्रहों के राजा हैं, इसलिए उनका शुभ प्रभाव राजसी सुखों में वृद्धि करने वाला होता है.
सूर्य देव की आरती
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
ॐ जय सूर्य भगवान…
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
ॐ जय सूर्य भगवान…
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
ॐ जय सूर्य भगवान…
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
ॐ जय सूर्य भगवान…
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
ॐ जय सूर्य भगवान…
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
ॐ जय सूर्य भगवान…
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
ॐ जय सूर्य भगवान…
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
ॐ जय सूर्य भगवान…
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
ॐ जय सूर्य भगवान…
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान
ॐ जय सूर्य भगवान…
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)