सोनोग्राफी के लिए मरीजों को करना पड़ता है 3-4 महीने का इंतजार
सतना जिला अस्पताल में सोनोग्राफी की सुविधा मरीजों के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। अस्पताल में चार अल्ट्रा सोनोग्राफी (यूएसजी) मशीनें होने के बावजूद रेडियोलॉजिस्ट चिकित्सकों की कमी के कारण मरीजों को 3 से 4 महीने की प्रतीक्षा करनी पड़ रही है।
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प्राइवेट सेंटर का सहारा ले रहे मरीज
स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्तमान में मरीजों को अप्रैल 2025 की तारीख दी जा रही है। इस कारण मरीज मजबूरी में प्राइवेट डायग्नोस्टिक सेंटर का रुख करने को विवश हैं। जिला अस्पताल में प्रतिदिन ओपीडी और आईपीडी मिलाकर 100 से अधिक मरीज सोनोग्राफी के लिए आते हैं। लेकिन वर्तमान व्यवस्था में सुबह 9 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक केवल 40-50 मरीजों की ही सोनोग्राफी हो पाती है।
कलर डॉपलर जांच में लग रहा अधिक समय
नई मशीन में कलर डॉपलर की सुविधा है, जिसमें एक जांच में 30 मिनट से एक घंटे तक का समय लगता है, जबकि सामान्य सोनोग्राफी में 10-15 मिनट का समय लगता है। फिलहाल, मेडिकल कॉलेज की रेडियोलॉजिस्ट डॉ. हर्षिका सिंह रूटीन सोनोग्राफी की जिम्मेदारी संभाल रही हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि सेवाओं को सुचारू बनाने के लिए कम से कम पांच और रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टरों की आवश्यकता है। जिला अस्पताल के आरएमओ डॉ. शरद दुबे के अनुसार, यह समस्या मुख्य रूप से ओपीडी मरीजों को प्रभावित कर रही है, जबकि भर्ती मरीजों की सोनोग्राफी प्राथमिकता के आधार पर की जाती है।