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सीसीएल बरका-सयाल क्षेत्र की चोरघरा लपंगा जीवनधारा परियोजना कोल इंडिया से पीआर एप्रुव नहीं होने के कारण अभी तक चालू नहीं हो पाया है। परियोजना जल्द शुरू नहीं होने के कारण रैयत और स्थानीय ग्रामीणों में काफी निराशा है। वर्ष 2018 में सीसीएल प्रबंधन ने जीवनधारा परियोजना को चालू करने की प्रक्रिया शुरू की थी।
तत्कालीन भुरकुंडा पीओ जीसी साहा ने सर्वे टीम के साथ प्रस्तावित परियोजना क्षेत्र का दौरा कर ग्रामीणों से मुलाकात कर परियोजना से जुड़ी बातों पर चर्चा की थी। कहा था कि 2018 तक यह परियोजना चालू हो जाएगी। ग्रामीणों ने परियोजना खोलने का स्वागत करते हुए संभव मदद करने का आश्वासन दिया था। लेकिन सात साल बीत जाने के बाद भी जीवनधारा परियोजना नहीं खुल पाई है। परियोजना की लाइफ लगभग 18 वर्ष होगी। प्रतिवर्ष 10 लाख टन कोयले का उत्पादन होगा। यहां पर 1.8 मिलियन टन कोयला का रिजर्व भंडार है। कोयले का ग्रेड जी-7 है।
बरका सयाल प्रक्षेत्र ने जीवनधारा परियोजना के पीओ रामेश्वर मुंडा ने बताया की परियोजना करीब 830 हेक्टेयर एरिया मे चलेगी। इसके लिए 428 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण किया जा चुका है। अभी करीब 402 हेक्टेयर जमीन और अधिग्रहण करना है। इसमें रैयती, जंगल, गैरमजरूआ जमीन है। इसके लिए 2 जनवरी 2024 को सीसीएल बोर्ड द्वारा एप्रुव कर कोल इंडिया भेज दिया गया है। कोल इंडिया बोर्ड द्वारा पीआर एप्रुव होने के बाद जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। और जल्द जीवनधारा परियोजना शुरू हो जाएगा।
जीवनधारा परियोजना लगभग 830 हेक्टेयर जमीन पर संचालित होगी। इसमें रैयती, वन भूमि व गैरमजरुआ भूमि शामिल है। इसमें चोरधरा पंचायत क्षेत्र के तेतर टोला, धूमन टोला, तुरी टोला, रंका टोला व बेदिया टोला के लोगों की जमीन जाएगी। सीसीएल लपंगा कॉलोनी भी इसमें शामिल है। तकरीबन छह सौ लोग परियोजना खुलने के बाद विस्थापित होंगे। प्रबंधन इन्हें पुनर्वासित करने की योजना बना रही है।