महिला अस्पताल में बने पीकू वार्ड की फोटो।
यूपी में एक बार फिर कोरोना संक्रमण की आहट सुनाई दे रही है। मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, लखनऊ और बिजनौर सहित कई जिलों में कोरोना के नए मामले सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आ गया है। सहारनपुर में भी एहतियातन तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
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जिला महिला अस्पताल में कोरोना की दूसरी लहर में बनाए गए 50 बेड के पीकू (पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट) वार्ड के ताले खोल दिए गए हैं। इसमें 10 बेड के वेंटिलेटर हैं, जबकि बाकी सभी बेड पर ऑक्सीजन की व्यवस्था है।
अस्पताल प्रशासन की ओर से पूरे वार्ड की साफ-सफाई करवाई गई और सभी उपकरणों की क्रियाशीलता जांची गई। वेंटिलेटर मशीनें मॉक ड्रिल के जरिए चलाई गईं और उनकी कार्यक्षमता का परीक्षण किया गया। सभी वेंटिलेटर चालू अवस्था में पाए गए। यह वही वार्ड है, जो कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भारी संख्या में मरीजों के लिए बनाया गया था।
बुखार-खांसी वाले मरीजों की होगी जांच स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना जैसे लक्षण वाले मरीजों की पहचान के लिए विशेष सतर्कता बरतने का निर्देश दिया है। अस्पतालों में बुखार, खांसी और गले में खराश जैसी समस्याओं से ग्रस्त मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है।
हालांकि, कोरोना की जांच तभी होगी जब चिकित्सक आवश्यक समझेंगे। मरीज के कहने मात्र से जांच नहीं की जाएगी। एंटीजन किट मंगा ली गई है और जरूरत के अनुसार प्रयोग की जाएगी।
कोरोना के डराते हैं पुराने आंकड़े कोरोना की पहली, दूसरी और तीसरी लहर में सहारनपुर में 32 हजार से अधिक लोग संक्रमण की चपेट में आए थे। दूसरी लहर ने सबसे ज्यादा कहर बरपाया था, जिसमें 400 से अधिक लोगों की जान चली गई थी।
मृतकों में डॉक्टर, सरकारी अधिकारी और महिलाएं भी शामिल थीं। इस भयावह अनुभव को देखते हुए इस बार सेहत विभाग पूरी तरह सतर्कता बरत रहा है।
महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ.इंद्रा सिंह ने बताया कि, “हमने कोरोना से निपटने की पूरी तैयारी कर ली है। पीकू वार्ड पूरी तरह एक्टिव है। 10 वेंटिलेटर चालू हालत में हैं और 35 ऑक्सीजन कंसंट्रेशन भी मौजूद हैं। अस्पताल में कोरोना के इलाज के लिए दवाओं की भी कोई कमी नहीं है।”
निगरानी और सतर्कता की जरूरत जैसे-जैसे कोरोना के केस अन्य जिलों में बढ़ते जा रहे हैं, सहारनपुर में भी संभावित खतरे को देखते हुए निगरानी तेज कर दी गई है। स्वास्थ्य विभाग ने जिला स्तर पर टीमों को सतर्क कर दिया है।
कोरोना से मिलते-जुलते लक्षणों वाले मरीजों की रिपोर्टिंग अनिवार्य की जा रही है। साथ ही, अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं कि वह ऑक्सीजन सप्लाई, वेंटिलेटर और दवा भंडारण की नियमित जांच करें।