सांसद शंकर लालवानी संसदीय सलाहकार समिति की बैठक में शामिल हुए।
संसद भवन एनेक्सी में मंगलवार को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से जुड़ी संसदीय सलाहकार समिति की महत्वपूर्ण बैठक हुई। ‘राष्ट्रीय राजमार्गों की डिजाइन और निर्माण में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उपाय’ बैठक का मुख्य विषय था।
.
राजमार्ग परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और देशभर के सांसदों की मौजूदगी में मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और संबंधित एजेंसियों ने अब तक के कार्यों की जानकारी दी और भविष्य की रणनीति पर चर्चा की।
इस समिति के सदस्य होने के नाते बैठक में इंदौर लोकसभा सांसद शंकर लालवानी भी शामिल हुए और उन्होंने निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और निगरानी को लेकर अपने व्यावहारिक सुझाव रखे।
बैठक के दौरान सांसद शंकर लालवानी ने कहा
निर्माण के हर चरण में पारदर्शिता और जिम्मेदारी जरूरी है। राजमार्ग सिर्फ यातायात के साधन नहीं हैं, यह आम लोगों के जीवन, सुरक्षा और समय से जुड़े हैं। जब सड़कें बेहतर होंगी, तो सफर आसान होगा, दुर्घटनाएं कम होंगी और देश की अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी।
सांसद ने रखे ये सुझाव
- डीपीआर को और ज्यादा तकनीकी और व्यावहारिक बनाया जाए, ताकि बाद में बदलाव या रुकावट न आए।
- निर्माण कार्यों के लिए चुनी जा रही एजेंसियों की तकनीकी क्षमता और अनुभव की गहन जांच हो।
- प्रोजेक्ट के दौरान मौके पर उपस्थित इंजीनियरों और तकनीकी विशेषज्ञों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।
- थर्ड पार्टी ऑडिट, मोबाइल क्वालिटी टेस्टिंग वैन और डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम का प्रभावी उपयोग बढ़े।
इंदौर को भी होगा लाभ
बैठक के बाद सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि इस तरह की चर्चाएं बेहद उपयोगी हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार की योजनाओं से इंदौर और मध्यप्रदेश में भी बेहतर, सुरक्षित और समयबद्ध राजमार्ग बनेंगे, जिससे आमजन को लाभ मिलेगा।
बैठक में अधिकारियों ने बताया कि बीते वर्षों में भारत में राजमार्ग निर्माण की गति रिकॉर्ड स्तर पर रही है। 2014 में जहां राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई 91,000 किलोमीटर थी, वहीं अब यह 1.46 लाख किलोमीटर से अधिक हो चुकी है।
ड्रोन और एआई से होगी सड़कों की निगरानी
बैठक में यह भी जानकारी दी गई कि अब राष्ट्रीय राजमार्गों पर सड़क निरीक्षण के लिए रियल टाइम ड्रोन और एआई तकनीक का उपयोग किया जाएगा। नियमित मॉनिटरिंग के जरिए यदि कहीं कोई गड्ढा या सड़क में डिफेक्ट आता है, तो उसकी सूचना तुरंत दिल्ली हेड ऑफिस, भोपाल रीजनल ऑफिस, इंदौर लोकल ऑफिस और संबंधित कॉन्ट्रेक्टर को एक साथ मिल जाएगी।
इससे क्वालिटी कंट्रोल में तेजी और पारदर्शिता आएगी। ड्रोन के जरिए निर्माण कार्यों और रखरखाव की निगरानी आसान होगी और समय पर मरम्मत कार्य सुनिश्चित किया जा सकेगा।
बैठक में उठे अन्य मुद्दे
बैठक में अन्य सांसदों और अधिकारियों द्वारा यह भी कहा गया कि कई बार अत्यधिक कम बोली लगाने वाले ठेकेदारों को काम दे दिया जाता है, जिससे गुणवत्ता पर असर पड़ता है। साथ ही, निर्माण के दौरान पर्यावरणीय संतुलन, स्थानीय समस्याओं और यातायात के व्यवधान को भी ध्यान में रखने की आवश्यकता बताई गई।
वहीं, मंत्रालय और एनएचएआई के अधिकारियों ने सांसदों द्वारा उठाए गए सवालों और सुझावों का उत्तर दिया और बताया कि कैसे अब राजमार्ग निर्माण में गुणवत्ता, पारदर्शिता और तकनीकी निगरानी को प्राथमिकता दी जा रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि हर बड़े प्रोजेक्ट में अब मासिक समीक्षा, डिजिटल रिकॉर्डिंग, और निर्माण सामग्री की ऑनलाइन ट्रैकिंग जैसी व्यवस्थाएं लागू की जा रही हैं।